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MP News: देश के सबसे स्वच्छ शहर की खराब हो सकती है हवा, इस कारण बढ़ा प्रदूषण का खतरा

परिवहन, निर्माण और उद्योगों की तेज गतिविधियों से हवा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है. मंडल ने बताया कि क्लीन एयर कैटलिस्ट की परियोजना के तहत शहर में अगले दो सालों तक वायु प्रदूषण के आंकड़ों का अध्ययन किया जाएगा और इसके बाद स्थानीय प्रशासन को उचित समाधान प्रदान किया जाएगा.

देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में परिवहन, निर्माण और उद्योगों की तेज गतिविधियों से वायु प्रदूषण की बढ़ती चुनौतियों को लेकर विशेषज्ञों ने बुधवार को चिंता जताई. विशेषज्ञों ने कहा कि शहर में वायु प्रदूषण की रोकथाम के प्रयासों को तेज किए जाने की आवश्यकता है ताकि हालात को बिगड़ने से रोका जा सके. गौरतलब है कि हवा की गुणवत्ता में सुधार के लिए काम करने वाले वैश्विक गठजोड़ ‘‘क्लीन एयर कैटलिस्ट’’ ने अपनी एक परियोजना के लिए जकार्ता (इंडोनेशिया), नैरोबी (केन्या) के साथ ही इंदौर को चुना है.

क्लीन एयर कैटलिस्ट के एक अधिकारी ने बताया कि इस परियोजना के तहत भारत के सबसे स्वच्छ शहर में तीन वायु प्रदूषण निगरानी केंद्र शुरू किए गए हैं जो पीएम 2.5, कार्बन मोनोऑक्साइड और ब्लैक कार्बन सरीखे प्रदूषक तत्वों के आंकड़े लगातार दर्ज करेंगे.क्लीन एयर कैटलिस्ट से जुड़े एन्वायर्नमेंटल डिफेंस फंड (ईडीएफ) के भारत में मुख्य सलाहकार हिषम मंडल ने बताया कि इंदौर दुनिया के सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में शामिल नहीं है, लेकिन यह वायु गुणवत्ता के लिहाज से दुनिया के सबसे साफ शहरों में से एक भी नहीं है.

उन्होंने कहा कि इंदौर में परिवहन, निर्माण और उद्योगों की तेज गतिविधियों से हवा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है. मंडल ने बताया कि क्लीन एयर कैटलिस्ट की परियोजना के तहत शहर में अगले दो सालों तक वायु प्रदूषण के आंकड़ों का अध्ययन किया जाएगा और इसके बाद स्थानीय प्रशासन को उचित समाधान प्रदान किया जाएगा. क्लीन एयर कैटलिस्ट से जुड़े पर्यावरण जानकार डॉ. दिलीप वाघेला के मुताबिक इंदौर में वायु प्रदूषण की चुनौतियां लगातार बढ़ रही हैं. उन्होंने कहा,‘‘इंदौर में खासकर सर्दियों के मौसम और हवा नहीं बहने के दौरान पीएम 10 और पीएम 2.5 जैसे प्रदूषक कणों की मात्रा बहुत ज्यादा बढ़ जाती है.

उन्होंने बताया कि सघन आबादी वाले इंदौर की अधिकांश सड़कें ज्यादा चौड़ी नहीं हैं, जबकि इन पर वाहनों का घनत्व बहुत ज्यादा है. वाघेला ने बताया,‘‘शहर की आबादी 38 से 40 लाख के बीच है, जबकि वाहनों की तादाद 18 से 20 लाख के बीच आंकी जाती है. यानी शहर के हर दो व्यक्तियों पर एक वाहन है. यह अनुपात संभवत: पूरे भारत में सबसे ज्यादा है. इंदौर के महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा कि शहर में यातायात और हवा की गुणवत्ता की समस्याएं ‘‘सुंदर चांद पर दाग’’ की तरह हैं. उन्होंने कहा,‘‘हमने इन दोनों समस्याओं को सुलझाने का काम प्रमुखता से अपने हाथ में लिया है. इस काम में क्लीन एयर कैटलिस्ट की भी मदद ली जाएगी.

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