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WB News: अपराधी नहीं कर सकेंगे मोबाइल का इस्तेमाल, हाईकोर्ट के आदेश के बाद जेलों में लगेगा जैमर और स्कैनर

पश्चिम बंगाल के जेलों में अब अपराधी मोबाइल का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे. कलकत्ता हाईकोर्ट ने आदेश के बाद राज्य के सभी जेलों में जैमर और फुल बॉडी स्कैनर लगाया जाएगा.

पानागढ़, मुकेश तिवारी. पश्चिम बंगाल के केंद्रीय जेलों में अपराधियों द्वारा चोरी छिपे मोबाइल फोन से किए जाने वाले बाहरी अपराध को रोकने के लिए कलकत्ता हाईकोर्ट ने बड़ा निर्देश दिया है. जल्द ही इस निर्देश के तहत अब राज्य के प्रत्येक सेंट्रल जेल में जैमर और फुल बॉडी स्कैनर मशीन लगाई जायेगी. एक मामले की सुनवाई के बाद अदालत में यह मामला सामने आया कि अपराधी जेल के भीतर बैठकर कैसे मोबाइल फोन के जरिए बाहर में अपराधिक घटनाओं को अंजाम देते है. इस खुलासे के बाद ही कोर्ट हरकत में आई और यह सख्त निर्देश जारी किया है.

कोर्ट ने नकेल कसने के लिए दिया निर्देश

कारागार में मौजूद अपराधी मोबाइल फोन के जरिए बाहरी दुनिया में अपने गिरोह को चलाते है. हाल ही में अनुब्रत मंडल जैसे बड़े राजनीतिक नेता के खिलाफ सुधारक सुविधा में बैठकर संगठनात्मक गतिविधियों को अंजाम देने का आरोप खुद उनकी ही पार्टी के नेता काजल शेख ने लगाया था. जेलों में मोबाइल फोन के इस्तेमाल की रोकथाम के लिए कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जयमाल्या बागची की खंडपीठ ने सोमवार को राज्य भर की जेलों में मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने के लिए जैमर और फुल बॉडी स्कैनर लगाने का आदेश दिया है.

सभी जेलों में सख्ती करने का दिया आदेश

कलकत्ता हाईकोर्ट ने राज्य के सभी जेलों में सख्ती करने का आदेश दिया है. खंडपीठ ने सुधार गृहों के अंदर कैदियों द्वारा मोबाइल फोन के इस्तेमाल को रोकने के लिए राज्य के सभी सुधारक संस्थानों में जैमर और फुल बॉडी स्कैनर लगाने का आदेश दिया है. कलकत्ता हाईकोर्ट में जस्टिस जयमाल्य बागची और जस्टिस अजय कुमार गुप्ता की खंडपीठ में मुर्शिदाबाद के एक ड्रग मामले के दो आरोपियों की जमानत पर सुनवाई की. इस मामले की सुनवाई के क्रम में ही इस बात का खुलासा हुआ कि उक्त अपराधी जेल के भीतर ही बैठकर मोबाइल फोन से अपराधिक घटनाओं को अंजाम दे रहे थे. जानकारी सामने आने के बाद कलकत्ता उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने यह आदेश दिया.

चार सप्ताह में रिपोर्ट पेश करने को कहा

खंडपीठ ने राज्य को आदेश लागू करने और अगले चार सप्ताह के भीतर इस संबंध में एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है. न्यायमूर्ति बागची और न्यायमूर्ति गुप्ता की खंडपीठ ने सोमवार को आदेश दिया कि कैदियों को अदालत से सुधारक सुविधा तक वापस लिए जाने के बाद उन्हें पहले फुल बॉडी स्कैनर से गुजरना होगा. जेल विभाग को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी मोबाइल या कोई अन्य इलेक्ट्रॉनिक गैजेट सुधार गृह के अंदर प्रवेश न कर सके. खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय को ‘भ्रामक’ रिपोर्ट सौंपने के लिए जेल विभाग के कई अधिकारियों के खिलाफ नाराजगी भी जताई.

कई बड़े नेता जेल में बंद

सीबीआई-ईडी-एनआईए द्वारा दायर महत्वपूर्ण मामलों में देशद्रोह के आरोप में कई राजनीतिक दिग्गज वर्तमान में जेल में हैं. आरोप है कि कुछ जगहों पर सुधारक कर्मचारियों के एक वर्ग की मिलीभगत से कैदी मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर रहे हैं. यहां तक कि प्रदेश के एक कद्दावर नेता पर केंद्रीय जांच एजेंसी द्वारा स्मार्ट फोन पर तिहाड़ जेल में बंद एक दागी आरोपी से बात करने का आरोप लगा है. हालांकि हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब सभी जेलों में जैमर और फुल बॉडी स्कैनर लगाया जाएगा.

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