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पहला इ-मेल किसने और कब भेजा था?

इ-मेल इलेक्ट्रॉनिक मेल का संक्षिप्त रूप है. दुनिया का पहला इ-मेल सन् 1971 में अमेरिका के कैंब्रिज नामक स्थान पर रे टॉमलिंसन नामक इंजीनियर ने एक ही कमरे में रखे दो कंप्यूटरों के बीच भेजा था. कंप्यूटर नेटवर्क अर्पानेट से जुड़े थे. अर्पानेट एक मायने में इंटरनेट का पूर्वज है. यह संदेश को एक जगह […]

इ-मेल इलेक्ट्रॉनिक मेल का संक्षिप्त रूप है. दुनिया का पहला इ-मेल सन् 1971 में अमेरिका के कैंब्रिज नामक स्थान पर रे टॉमलिंसन नामक इंजीनियर ने एक ही कमरे में रखे दो कंप्यूटरों के बीच भेजा था. कंप्यूटर नेटवर्क अर्पानेट से जुड़े थे. अर्पानेट एक मायने में इंटरनेट का पूर्वज है.
यह संदेश को एक जगह से दूसरी जगह भेजने का प्रयोग था. इ-मेल को औपचारिक रूप लेने में कई साल लगे. अलबत्ता भारतीय मूल के अमेरिकी वीए शिवा अय्यदुरई ने 1978 में एक कंप्यूटर प्रोग्राम तैयार किया, जिसे ‘इ-मेल’ कहा गया. इसमें इनबॉक्स, आउटबॉक्स, फोल्डर्स, मेमो, अटैचमेंट्स ऑप्शन थे. सन् 1982 में अमेरिका के कॉपीराइट कार्यालय ने उन्हें इस आशय का प्रमाणपत्र भी दिया. इस कॉपीराइट के बावजूद उन्हें इ-मेल का आविष्कारक नहीं कहा जा सकता.
क्या महत्ता है? इसके बिना इ-मेल अधूरा क्यों है?
अंगरेजी के एट या स्थान यानी लोकेशन का यह प्रतीक चिह्न है. शुरू में इसका इस्तेमाल गणित में ‘एट द रेट ऑफ’ यानी दर के लिए होता था. इ-मेल में इसके इस्तेमाल ने इसके अर्थ का विस्तार कर दिया. इ-मेल में पते के दो हिस्से होते हैं. एक होता है लोकल पार्ट जो के पहले होता है. इसमें अमेरिकन स्टैंडर्ड कोड फॉर इन्फॉर्मेशन इंटरचेंज (एएससीआइआइ) के तहत परिभाषित अक्षर, संख्या या चिह्न शामिल हैं.
चिह्न के बाद डोमेन का नाम लिखा जाता है. यानी इस चिह्न के पहले व्यक्तिया संस्था का नाम बताने वाले संकेत और उसके बाद डोमेन नाम. कुछ लोगों को लगता है कि इस पते को केवल लोअर केस में लिखा जा सकता है. जबकि इसे अपर और लोअर दोनों केस में लिख सकते हैं.

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