सुपौल : एक तरफ लोग स्वच्छता की शपथ ले रहे हैं, लेकिन आज भी नगर की सड़कें गंदी हैं, नाली लबालब है. मुख्यालय के हटिया मोड़ के पास कूड़े का ढेर लगा हुआ है. वार्ड नंबर 07 में नालियां बजबजा रही है. प्रसिद्ध पुरानी दुर्गा स्थान के समीप नाला के पास खड़ा होना मुश्किल है. वार्ड नंबर 11-13 के बीच सड़क पर झील सा नजारा है. नगर परिषद का नारा स्वच्छ सुपौल-सुंदर सुपौल यहां हवा-हवाई है. वार्ड नंबर 07 में सुमन कुमार सिंह के घर के सामने नाले के ऊपर का प्लेट टूटा हुआ है सो अलग.
जिम्मेदार कहते हैं कि सफाई के मामले में नप काफी गंभीर है. लेकिन सच्चाई यही है कि इस बार लोग गंदगी के बीच दुर्गा पूजा घूमने आयेंगे. रविवार को डीएम बैद्यनाथ यादव गांधी मैदान व पुरानी दुर्गा स्थान में गंदगी देख बिफर उठे. उन्होंने अविलंब गंदगी साफ करने का निर्देश दिया. बचपन बचाओ कमेटी की जिलाध्यक्ष नवनीता सिंह गुड्डी ने बताया कि यत्र-तत्र बिखरे पड़े कचरों पर आवारा पशुओं के धमाचौकड़ी से आसपास का वातावरण दूषित हो गया है.
नगर में आज तक जल निकासी की व्यवस्था कुशल प्रबंधन के तहत योजनाबद्ध तरीके से नहीं की जा सकी है. फलस्वरूप नालियां लबालब रहती है. सड़क पर नाला का पानी बहता है. कीचड़ के कारण सड़क पर चलना मुश्किल होता है. पानी निकासी की व्यवस्था नहीं रहने के कारण शहर वासियों को काफी दुश्वारियां उठानी पड़ती है. लोगों का आरोप है कि प्रशासनिक लापरवाही व नगर परिषद की उदासीनता के कारण जलजमाव की समस्या नगर की पहचान बन चुकी है. सफाई कर्मी सफाई के प्रति बेपरवाह बने हुए हैं. मुख्यालय में कई जगहों पर मां दुर्गा की भव्य प्रतिमा बनायी गयी है. कई दिनों तक मेला भी लगता है. बड़ी संख्या में लोग आते-जाते हैं. गांधी मैदान में रावण वध के दौरान सैलाब उमड़ता है. अगर यही स्थिति रही तो श्रद्धालुओं को माता के दर्शन के लिये कूडा-करकट, यत्र-तत्र फैली सड़ांध, मलमूत्र व असहृय गंदगी के बीच आने को मजबूर होना पड़ेगा.
हल्की बारिश में ही शहर हो जाता है पानी-पानी
न्यू कॉलोनी में पानी का जमाव हो जाने के कारण मच्छर व मक्खियों का प्रकोप बढ़ने से बीमारी फैलने की आशंका है. यहां बता दें कि जनसुविधाओं के विकास के मामले में पिछले दिनों सुपौल नगर परिषद ने सूबे में पहला स्थान प्राप्त किया है. राज्य सरकार के नगर विकास व आवास विभाग द्वारा इसे आदर्श नगर परिषद घोषित किया गया है.
पंचम राज्य वित्त से उत्कृष्ट कार्यों के लिये तीन करोड़ रुपये का प्रोत्साहन राशि भी प्रदान किया गया है. लेकिन हकीकत, हल्की बारिश में ही शहर पानी-पानी हो जाता है. लोगों के घरों में पानी प्रवेश कर जाता है. पानी निकासी के लिए नगर परिषद के प्रतिनिधियों द्वारा खाका तैयार किया जाता रहा है. लेकिन उक्त प्रारूप को अब तक समुचित तरीके से धरातल पर नहीं उतारा गया है. जिस कारण हरेक वर्ष लोगों को जल निकासी की समस्या से दो-चार होना पड़ता है.
नगर परिषद का नारा स्वच्छ सुपौल-सुंदर सुपौल यहां हवा-हवाई है. वार्ड नंबर 07 में सुमन कुमार सिंह के घर के सामने नाले के ऊपर का प्लेट टूटा हुआ है सो अलग. न्यू कॉलोनी वार्ड नंबर 07 की स्थिति तो विकट है. जलजमाव का निदान नहीं होने से वार्डवासी काफी परेशान हैं. कुल मिलाकर नालों के नाम पर उल्टे-सीधे निर्माण से नगरवासी हलकान हैं. दबी जुबान से अधिकारियों का कहना है कि सड़कों का उंचीकरण हुआ है और नाला नीचे पड़ गया है सो परेशानी सामने आ रही है.
यह सच है कि शहर का विकास हुआ है. लेकिन भयावह सच यह भी है कि हल्की बारिश में भी शहर पानी-पानी हो जाता है. पेंट मोड़कर चलना लोगों की मजबूरी हुआ करती है. मुख्यालय के रिंटू सिंह कहते हैं कि गंदी है सड़कें, लबालब है नाली, माफ करना हे मां शेरावाली.
साफ-सफाई के लिये डोर-टू-डोर कर्मियों को लगाया गया है, जाम नाले की सफाई भी की जाती है. समस्याओं के बाबत नप काफी गंभीर है.
सुशील कुमार मिश्रा, कार्यपालक पदाधिकारी, नगर परिषद, सुपौल
बजबजाती नालियां, सड़कों पर बहता गंदा पानी, इन सड़कों पर लोगों की चलने की मजबूरी. किये गये विकास का द्योतक है. आज की तारीख में बुनियादी नागरिक दरकार का मोर्चा, रहनुमाओं-अधिकारियों को कठघरे में खड़ा करता है. इधर, जिला मुख्यालय में तरह-तरह के मच्छर हैं. लेकिन अब तक यहां मच्छर मुद्दा नहीं बन सका है सो अलग.
कुल मिला कर यह कहना कहीं से गलत नहीं होगा कि सभी तरह की सुविधा टैक्स देने के बाद भी शहरवासियों को बुनियादी सुविधाएं समय पर उपलब्ध नहीं हो पाती है. वार्ड नंबर 07 की पूनम झा ने कहा कि शहर के प्राय: सभी वार्डों में जलजमाव से उत्पन्न होने वाली बदबू की समस्या है. गंदगी का साम्राज्य फैला हुआ है. गंदगी के कारण मच्छरों का प्रकोप भी है. शाम ढलते ही मच्छरों का डंक असहनीय हो जाता है. बारिश शुरू होने के साथ ही कचरा सड़ने लगता है और असहनीय बदबूओं का सामना करना पड़ता है.