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निशाने पर पंजाब

दक्षिणी एशिया के अपने पड़ोसियों को अस्थिर और अशांत करने की आधिकारिक रणनीति के तहत पाकिस्तान की कुख्यात खुफिया एजेंसी आइएसआइ की निगाहें अब पंजाब पर हैं. पिछले साल धार्मिक ग्रंथों के साथ अभ्रदता तथा मंदिरों-गुरुद्वारों को निशाना बना कर सांप्रदायिकता भड़काने की कोशिशों के बाद अब वह हिंदू और अन्य अल्पसंख्यक संगठनों के नेताओं […]

दक्षिणी एशिया के अपने पड़ोसियों को अस्थिर और अशांत करने की आधिकारिक रणनीति के तहत पाकिस्तान की कुख्यात खुफिया एजेंसी आइएसआइ की निगाहें अब पंजाब पर हैं.

पिछले साल धार्मिक ग्रंथों के साथ अभ्रदता तथा मंदिरों-गुरुद्वारों को निशाना बना कर सांप्रदायिकता भड़काने की कोशिशों के बाद अब वह हिंदू और अन्य अल्पसंख्यक संगठनों के नेताओं पर हमले करा कर आतंकवाद के पुराने दौर की वापसी की जुगत लगा रही है. खालिस्तानी उग्रवादियों, तस्करों और कश्मीर में सक्रिय आतंकियों के नेटवर्क के जरिये पंजाब में हिंसा कराने के पाकिस्तानी मंसूबों पर सरकार को कड़ी नजर रखने की जरूरत है.

वर्षों की मेहनत और बड़ी कुर्बानियों के बाद इस प्रदेश में अमन-चैन की बहाली हो सकी थी. कश्मीर में बढ़ते दबाव के मद्देनजर पाकिस्तान पंजाब का इस्तेमाल करना चाह रहा है. दीनानगर और पठानकोट के आतंकी हमले उसकी इसी रणनीति का हिस्सा थे. विदेशों में बैठे खालिस्तान-समर्थकों को भी पाकिस्तानी शह मिल रही है. पिछले साल अलगाववादी सिख नेता अमरजीत सिंह ने बयान दिया था कि अगर पाकिस्तान मदद करे, तो खालिस्तान का सपना पूरा हो सकता है. पाकिस्तानी मीडिया का एक बड़ा हिस्सा ऐसे बयानों को खूब हवा देता है.

पाकिस्तान स्थित ननकाना साहिब में प्रार्थना के लिए भारत समेत अनेक देशों से सिख जाते हैं. पाकिस्तान में शरण लिये आतंकियों के माध्यम से सिख युवाओं में भारत-विरोधी भावनाएं भड़कायी जाती हैं. उल्लेखनीय है कि वधावा सिंह बब्बर, रंजीत सिंह नीता, परमजीत सिंह पंजवार और गजिंदर सिंह जैसे आतंकवादी वर्षों से पाकिस्तानी मेहमान बने हुए हैं.

भारत कई बार पाकिस्तान को सीधे और अंतरराष्ट्रीय मंचों से इन्हें सौंपने की मांग कर चुका है, पर पाकिस्तान मसूद अजहर और दाऊद इब्राहिम की तरह इनका इस्तेमाल कर भारत को परेशान करने का षड्यंत्र कर रहा है. हवाला के जरिये धन भेज कर और दुनिया के अलग-अलग हिस्से में बैठे अलगाववादियों से मिल कर आइएसआइ ने बीते दो सालों में पंजाब में कई अपराधों को अंजाम दिया है. अब तक मिले साक्ष्य पाकिस्तानी सेना मुख्यालय के अधीन कार्यरत आइएसआइ की ओर इशारा कर रहे हैं.

एक तो इन जांचों को तेजी से पूरा कर स्थानीय अपराधियों को दंडित किया जाना चाहिए. दूसरा िक चाक-चौबंद निगरानी से संभावित घटनाओं को रोका जाना चाहिए. साथ ही, सरकार को इस मसले को कूटनीतिक तौर-तरीकों से दुनिया के सामने रखना चाहिए. अफगानिस्तान और कश्मीर में पाकिस्तानी स्वार्थों के बारे में सभी को जानकारी है.

अमेरिका और चीन भी इस बात को स्वीकार कर चुके हैं. अगर पाकिस्तान पंजाब में भी आतंकवाद का मोर्चा खोलता है, तो समूचे दक्षिणी एशिया के लिए खतरा और बढ़ जायेगा. ऐसे में पाकिस्तान के ऊपर चौतरफा दबाव बनाने की जरूरत है, ताकि वह अपने नापाक इरादों से बाज आ सके

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