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सुब्रमण्यन व पनगढ़िया के उलट सरकारी बैंकों के निजीकरण के खिलाफ हैं विनोद राय, बतायी वजह

नयी दिल्ली : पीएनबी फ्रॉड के बाद सरकारी बैंकों के निजीकरण की मांग के बीच बैंक ब्यूरो ऑफ इंडिया के प्रमुख विनोद राय ने असहमति जतायी है. उन्होंने कहा कि बुनियादी ढांचे के निर्माण में सरकारी बैंकों की अहम भूमिका है. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों( पीएसबी) में धोखाधड़ी के मामले सामने आने के बाद चिंता […]

नयी दिल्ली : पीएनबी फ्रॉड के बाद सरकारी बैंकों के निजीकरण की मांग के बीच बैंक ब्यूरो ऑफ इंडिया के प्रमुख विनोद राय ने असहमति जतायी है. उन्होंने कहा कि बुनियादी ढांचे के निर्माण में सरकारी बैंकों की अहम भूमिका है. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों( पीएसबी) में धोखाधड़ी के मामले सामने आने के बाद चिंता व्यक्त करते हुए मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन और नीति आयोग के पूर्व चेयरमैन अरविंद पनगढ़िया सहित अन्य विशेषज्ञों ने सरकार के स्वामित्व वाले बैंकों के निजीकरण की वकालत की है.

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हालांकि, राय ने कहा कि सार्वजनिक बैंक अभी भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, खासकर बुनियादी ढांचे के विकास में इनकी विशेष भूमिका है. राय ने कहा, " सार्वजनिक बैंकों की प्रदर्शन में महत्वपूर्ण भूमिका है और भारत में यदि ये बैंक नहीं होते तो बुनियादी ढांचा क्षेत्र को उस तरह का समर्थन नहीं मिल पाता, जिसकी दरकार है. चाहे सड़क, बंदरगाह, हवाई अड्डे, बिजली या फिर दूरसंचार क्षेत्र हो, इन सभी क्षेत्रों को बड़े पैमाने पर केवल सार्वजनिक बैंकों से सहयोग मिलता है. उन्होंने कहा, " हम कह सकते हैं कि निजी बैंकों का बाजार पूंजीकरण सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों के समान ही ऊंचा है, लेकिन वे खुदरा क्षेत्र उलझ गए हैं. वे बुनियादी ढांचा क्षेत्र में नहीं है.
देश के भीतर बुनियादी ढांचे के विकास के लिए सार्वजनिक बैंकों से सहयोग की जरूरत होगी. पंजाब नेशनल बैंक में 13,000 करोड़ रुपयेके घोटाले का मामला सामने आने के बाद फिक्की और एसोचैम जैसे उद्योग मंडल ने भविष्य में इस तरह की धोखाधड़ी वाली गतिविधियों को रोकने के लिए बैंकों के निजीकरण की वकालत की थी. मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने हाल ही में कहा था कि बैंकिंग क्षेत्र में सुधार के हिस्से के रूप में सार्वजनिक बैकों के स्वामित्व को लेकर फिर से विचार करने का सही समय आ गया है. वहीं, पनगढ़िया ने बैंकों के निजीकरण की वकालत करते हुए कहा था कि कि2019 में सरकार गठन को लेकर गंभीर राजनीतिक दलों को इसे मुद्दों को अपने घोषणा पत्र में शामिल करना चाहिए.

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