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37C से अधिक तापमान पर खुले में रखा मांस खतरनाक

सावधान. शहर भर में बिना सुरक्षा मानक के बेचा जा रहा हीट प्रभावित संक्रमित मांस पटना : 37 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान पर खुले में काटा और स्टोर किया गया मांस दो घंटे के भीतर खराब होने लगता है. वह सड़ांध मारने लगता है. इस तरह की गर्मी में मांस पर खास हानिकारक बैक्टीरिया […]

सावधान. शहर भर में बिना सुरक्षा मानक के बेचा जा रहा हीट प्रभावित संक्रमित मांस

पटना : 37 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान पर खुले में काटा और स्टोर किया गया मांस दो घंटे के भीतर खराब होने लगता है. वह सड़ांध मारने लगता है. इस तरह की गर्मी में मांस पर खास हानिकारक बैक्टीरिया छा जाते हैं, जो मांस की गुणवत्ता को खराब कर देते हैं. इससे मीट संक्रामक हो जाता है. इस तरह का मीट खाने योग्य नहीं होता है. यही नहीं इस तरह का मांस वातावरण में अतिरिक्त तापमान भी रिलीज करता है. इससे वातावरण असंतुलित होने का खतरा भी खड़ा हो जाता है. प्राणी विज्ञान के मुताबिक मानव शरीर के तापमान के समान स्तर पर कोई भी मांस गुणवत्तापूर्ण रह सकता है. चूंकि मानव शरीर का औसत तापमान 37 डिग्री सेल्सियस होता है. इसलिए इतने तापमान तक मांस स्वतंत्र अवस्था में ठीक या खाने योग्य रहता है.
कई तरह की बीमारियों की आशंका
चूंकि शहर में इन दिनों 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान बना हुआ है. इसलिए इतने तापमान पर मांस को बिना फ्रिज के घंटों तक सुरक्षित नहीं रखा जा सकता है. बावजूद बढ़ी हुई गर्मी के दौरान अगर असुरक्षित तरीके से मीट खाया जाता है, तो खाने वाले को कई प्रकार की शारीरिक एवं मानसिक परेशानियां झेलनी पड़ सकती हैं. इस तरह का मांस खाने पर खास तौर पर अतिसार, हैजा और लिवर खराब होने की आशंका कई गुना बढ़ जाती है.
नहीं होता नियमों का पालन : प्राणी विज्ञान एवं पर्यावरण विज्ञान के नियमों की कसौटी पर पटना शहर के मीट बाजार को कसा जाये तो स्थिति हैरत भरी दिखायी दे रही है. यह देखते हुए कि शहर में एक-दो शॉप को छोड़ दें तो कोई भी मीट सेंटर ऐसा नहीं है, जो वातानुकूलित हो. जहां मीट रखने के लिए एक निश्चित तापमान मेंटेन किया जाता हो. यहां मीट बेचना और काटना बेहद गंदी जगहों पर होता है, जहां का तापमान पहले ही बढ़ा होता है.
खाद्य विंग नहीं करता मांस की गुणवत्ता की जांच : स्वास्थ्य विभाग के खाद्य प्रकोष्ठ की जिम्मेदारी है कि वह शहर के नागरिक स्वास्थ्य के हित में खाने योग्य सभी वस्तुओं की जांच करे. दरअसल इसके लिए उसे सैंपल लेना होता है. पटना शहर में ऐसा बिल्कुल नहीं किया जा रहा.
37 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान पर मांस काटे जाने के कुछ घंटे बाद ही सड़ने लगता है. इसके अलावा मुर्गा-मुर्गी के पंख भी पर्यावरण के लिए घातक साबित होते हैं.
प्रोफेसर डीके पॉल, पर्यावरणविद

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