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क्रूड ऑयल के दाम 20 महीने में सबसे तेज, पेट्रोल-डीजल अभी नहीं होंगे सस्ते, जुलाई से बढ़ेंगी कीमतें

नयी दिल्ली : भारत में लगातार पेट्रोल-डीजल कीमतों में छुटपुट कटौती की खबरें आ रही हैं. महंगे ईंधन को लेकर सरकार पर भी दबाव है. पिछले दिनों पेट्रोलियम को जीएसटी के दायरे में लाकर लोगों को राहत देने की खबरें मीडिया में आयी थीं. लेकिन, हाल फिलहाल जनता को राहत मिलती दिख नहीं रही. अब […]

नयी दिल्ली : भारत में लगातार पेट्रोल-डीजल कीमतों में छुटपुट कटौती की खबरें आ रही हैं. महंगे ईंधन को लेकर सरकार पर भी दबाव है. पिछले दिनों पेट्रोलियम को जीएसटी के दायरे में लाकर लोगों को राहत देने की खबरें मीडिया में आयी थीं. लेकिन, हाल फिलहाल जनता को राहत मिलती दिख नहीं रही. अब एक बार फिर पेट्रोल-डीजल की कीमतों में तेजी दिखने के आसार हैं.

कच्चे तेल का उत्पादन करनेवाले देशों के संगठन ओपेक ने 10 लाख बैरल प्रति दिन प्रोडक्शन बढ़ाने पर सहमति जतायी है. ओपेक के इस फैसले से क्रूड के दाम में छह फीसदी तक का उछाल आया है. इसके कारण भारत में तेल कंपनियों पर पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ाने का दबाव बढ़ गया है. क्रूड का उत्पादन बढ़ाने के फैसले के बाद इसकी कीमतों में छह फीसदी उछाल देखने को मिला है. क्रूड में यह 20 महीने में सबसे बड़ी तेजी है.

नवंबर 2016 के बाद कच्चे तेल की कीमतों में इतना बढ़ा उछाल आया है. न्यूयॉर्क मर्चेंटाइल एक्सचेंज (नायमेक्स) पर क्रूड की कीमतें 5.71 फीसदी बढ़कर 69.28 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गयीं. क्रूड ऑयल में यह तेजी नवंबर, 2016 के बाद की सबसे बड़ी तेजी थी. पेट्रोलियम विशेषज्ञ मानते हैं कि तेल की कीमतों में आगे भी इजाफा देखने को मिलेगा. क्रूड में दो से तीन फीसदी की तेजी और हो सकती है.

क्रूड ऑयल का उत्पादन बढ़ाने पर बंटे ओपेक देश
ईरान के तेल मंत्री ने कहा था कि नये उत्पादन समझौते के बाद ओपेक और उसके सहयोगी देश क्रूड उत्पादन में पांच लाख बैरल प्रति दिन का इजाफा करेंगे. उधर, सऊदी अरब का कहना है कि वैश्विक आपूर्ति में 10 लाख बैरल प्रति दिन (बीपीडी) यानी एक फीसदी की बढ़ोतरी की जायेगी. वहीं, इराक ने हाल ही में कहा था कि क्रूड के उत्पादन में 7.70 लाख बीपीडी की बढ़ोतरी होगी. दरअसल, कई उत्पादक देश उत्पादन में कमी की समस्या से जूझ रहे हैं. यही वजह है कि उन्हें पिछला कोटा पूरा करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा.

भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा क्रूड आयातक
भारत दुनिया में चीन और अमेरिका के बाद क्रूड का सबसे ज्यादा आयात करता है. यही वजह है विदेशी बाजार में ब्रेंट क्रूड के भाव 75 डॉलर प्रति बैरल पहुंचने से भारत बैचेन हो गया. भारत और चीन ने ओपेक से उत्पादन बढ़ाने की अपील की थी ताकि कीमतों में नरमी आये. क्रूड की बढ़ती कीमतें भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए खतरा पैदा कर सकती हैं. इससे देश का राजकोषीय घाटा बढ़ सकता है. इसलिए सरकार नहीं चाहती कि क्रूड की कीमतों में उछाल आये. कम कीमतों से इकोनॉमी को लाभ होता है.

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