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पटना : ब्रेन डेड मरीज की आंखों से चार को रोशनी

आईजीआईएमएस : नेत्रदान करने को परिजन हुए तैयार पटना : इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में शुक्रवार को एक महिला मरीज को ब्रेन डेड घोषित किया गया. सड़क दुर्घटना में घायल 35 साल की महिला पटना की राजीव नगर इलाके की रहने वाली है. 11 सितंबर को सड़क दुर्घटना में बुरी तरह से घायल हो गयी […]

आईजीआईएमएस : नेत्रदान करने को परिजन हुए तैयार
पटना : इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में शुक्रवार को एक महिला मरीज को ब्रेन डेड घोषित किया गया. सड़क दुर्घटना में घायल 35 साल की महिला पटना की राजीव नगर इलाके की रहने वाली है. 11 सितंबर को सड़क दुर्घटना में बुरी तरह से घायल हो गयी थी.
इस ब्रेन डेड महिला मरीज की आंखें सुरक्षित बची हैं और उसके परिजन आंख दान करने पर राजी हो गये हैं. डॉक्टरों का कहना है कि सब कुछ ठीक रहा, तो शनिवार की दोपहर नेत्रदान की प्रक्रिया शुरू कर दी जायेगी. इससे चार लोगों को रोशनी मिल सकती है.
बाकी के ऑर्गन खराब : आईजीआईएमएस प्रशासन का कहना है कि चार दिन पहले ही महिला की मौत हो चुकी है. उसके बचे हुए आर्गन (किडनी, लिवर) खराब हो गये हैं. आंखें ठीक है, जिसको निकाल दूसरे मरीज को ट्रांसप्लांट कर लगाया जा सकता है.
आईजीआईएमएस में पहला ऐसा मामला
आईजीआईएमएस के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ मनीष मंडल ने बताया कि ब्रेन डेड को लेकर सभी लोगों को जागरूक होने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि आईजीआईएमएस में अगर महिला की सफलतापूर्वक आंखें दान में ले ली जाती हैं तो संस्थान के इतिहास में यह पहला ब्रेन डेड मरीज होगा. हालांकि, इससे पहले भी बेगूसराय के एक लड़के को ब्रेन डेड घोषित किया गया था. लेकिन, परिजनों ने आर्गन देने से मना कर दिया था.
निष्क्रिय होने लगते हैं अंग
पटना एम्स के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ विनय कुमार यादव ने बताया कि ब्रेन डेड में सांस लेने की प्रक्रिया सामान्य रहती है. रक्त प्रवाह में भी कोई बाधा नहीं रहती है. इसमें लिवर, हृदय, किडनी और आंख आदि सही रूप से काम करते हैं.
लेकिन ब्रेन डेड होने के बाद मरीज के मस्तिष्क के सभी हिस्से काम करना बंद कर देते हैं. इस स्थिति में मरीज तो जिंदा रहता है, लेकिन वह धीरे-धीरे मौत के निकट पहुंच जाता है. इसके बाद मरीज के शरीर का अन्य अंग भी काम करना बंद कर देता है और बाद में मरीज की पूरी तरह से मौत हो जाती है.
ब्रेन डेड मरीज की मौत निश्चित
ब्रेन डेड मरीज की मौत निश्चित रहती है. उसकी मौत शारीरिक संरचना के आधार पर निर्भर करता है. मरीज की मौत दो घंटे से 10 दिन के अंदर हो जाती है. इस स्थिति में मरीज को मशीन के सहारे जिंदा रहता है. सबसे अधिक सड़क दुर्घटना में मरीजों के ब्रेन डेड की घटनाएं होती हैं.
वहीं डॉक्टर ब्रेन डेड घोषित करने से पहले मरीज के ब्रेन का कंपन, हाथ व पैर काम कर रहा है या नहीं आदि देखते हैं. इतना ही नहीं अस्पताल में बने ब्रेन डेड कमेटी के साथ बैठक करने के बाद जब कमेटी पुष्टि करती है तो डॉक्टर ब्रेन डेड घोषित करते हैं.

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