पटना : बिहार सरकार ने आंध्र प्रदेश सहित अन्य राज्यों से आयात की जाने वाली हानिकारक रसायनयुक्त मछली की बिक्री पर पटना नगर निगम क्षेत्र में 15 दिनों के लिए रोक लगा दी है. वहीं, इस प्रतिबंध के विरोध में मछली व्यवसायी संघ खड़ा हो गया है. संघ के सचिव अनुज कुमार ने अन्य प्रदेशों से आयातित मछली में फार्मलिन सहित अन्य हानिकारक रसायनों की मात्रा निर्धारित सीमा से अधिक होने से इन्कार किया. उन्होंने कहा कि आयातित मछलियों के पटना नगर निगम क्षेत्र में बिक्री पर रोक लगाये जाने के सरकार के निर्णय के खिलाफ उनका संघ कल पटना में प्रदर्शन करेगा. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय को एक ज्ञापन सौंपेगा. उन्होंने कहा कि सरकार यदि अपने निर्णय को वापस नहीं लेती तो है तो आगामी 17 जनवरी को राज्यव्यापी आंदोलन शुरू किया जायेगा और अदालत का भी रुख किया जायेगा.
इससे पहले सोमवार को स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने सोमवार को बताया कि पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग ने आयातित मछली के नमूने की जांच करायी थी. इसमें फार्मलिन और अन्य भारी धातुओं (लीड, कैडमियम और पारा) की मात्रा निर्धारित मात्रा से अधिक पायी गयी. संजय कुमार ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा पटना नगर निगम क्षेत्र से इकठ्ठा किये गये आयातित मछली के 10 नमूनों की कोलकाता स्थित केंद्रीय खाद्य प्रयोगशाला में जांच कराये जाने पर उसमें से 7 नमूनों में फार्मलिन की मात्रा तय सीमा से कहीं ज्यादा पायी गया. साथ ही सभी 10 नमूनों में अन्य भारी धातुओं (लीड, कैडमियम और पारा) की मात्रा भी अधिक होने की पुष्टि हुई. उन्होंने कहा कि इसलिए नगर निगम क्षेत्र में आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल से आयातित मछलियों की बिक्री पर अगले 15 दिनों के लिए रोक लगायी गयी है. उन्होंने बताया कि राज्य के खाद्य सुरक्षा अधिकारियों को अन्य प्रमुख शहरों से भी नमूने एकत्र करने को कहा गया है.
उल्लेखनीय है कि पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान बिहार में मछली के उत्पादन और खपत के बीच का अंतर करीब 0.55 लाख मैट्रिक टन रहा. इस अंतर को आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल से मछलियों का आयात कर पाटा जाता है. पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के निदेशक (मत्स्य) निशात अहमद ने बताया कि केरल, असम, गोवा, मणिपुर और मेघालय राज्यों में आंध्र प्रदेश से मछली के आयात पर पहले से ही प्रतिबंध लगा हुआ है. वहीं, पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग की प्रधान सचिव एन विजिया लक्ष्मी ने प्रदेश वासियों को राज्य में ही उत्पादित ताजी मछलियों का उपभोग करने का सुझाव दिया है. ज्ञात हो कि फार्मलिन रसायन का इस्तेमाल मुर्दाघरों में शवों को सड़ने-गलने से बचाने के लिए किया जाता है.