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BIHAR : 12 विधान पार्षदों को नोटिस, HC ने पूछा, क्यों न समाप्त कर दी जाये सदस्यता

पटना : बिहार विधान परिषद के मनोनयन कोटे के सभी 12 सदस्यों की मुश्किलें बढ़ गयी हैं. पटना हाइकोर्ट ने सोमवार को इन विधान पार्षदों को उनकी सदस्यता को लेकर नोटिस जारी किया. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जस्टिस इकबाल अहमद अंसारी और जस्टिस समरेंद्र प्रताप सिंह के खंडपीठ ने कहा कि राज्यपाल द्वारा मनोनीत विधान पार्षदों […]

पटना : बिहार विधान परिषद के मनोनयन कोटे के सभी 12 सदस्यों की मुश्किलें बढ़ गयी हैं. पटना हाइकोर्ट ने सोमवार को इन विधान पार्षदों को उनकी सदस्यता को लेकर नोटिस जारी किया. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश जस्टिस इकबाल अहमद अंसारी और जस्टिस समरेंद्र प्रताप सिंह के खंडपीठ ने कहा कि राज्यपाल द्वारा मनोनीत विधान पार्षदों की सदस्यता पर हस्तक्षेप करने का अधिकार कोर्ट को है.
कोर्ट ने सभी 12 विधान पार्षदों से पूछा है कि क्यों नहीं उनकी सदस्यता समाप्त कर दी जाये. कोर्ट ने इन विधान पार्षदों को व्यक्तिगत रूप से जवाब देने को कहा है. आठ मार्च से पहले सभी को अपने मनोनयन से संबंधित बैकग्राउंड की जानकारी देते हुए जवाब देना है. मामले की अगली सुनवाई आठ मार्च को होगी.
विधान पार्षदों को अपने जवाब में यह बताना है कि जिस विधा के नाम पर उनका मनोनयन किया गया है, वह उसमें पारंगत हैं या नहीं. जिन विधान पार्षदों को नोटिस जाररी किया गया है, उनमें जल संसाधन मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह का भी नाम है,जबकि दल-बदल कानून के तहत जदयू के मुख्य सचेतक के अनुरोध पर सम्राट चौधरी की सदस्यता विधान परिषद के सभापति ने समाप्त कर दी है और दूसरे सदस्य शिवप्रसन्न यादव को उनकी सदस्यता समाप्त के लिए नोटिस जारी किया है.
इस संबंध में नागरिक अधिकार मंच की ओर से दायर याचिका की सुनवाई के क्रम में सरकार और विधान परिषद के वकील ने कहा कि कैबिनेट की मंजूरी और राज्यपाल की सहमित से सभी 12 सदस्यों का मनानेयन किया गया है. इस पर कोर्ट को सुनवाई करने का अधिकार नहीं है.
दूसरी ओर याचिकाकर्ता के वकील दीनू कुमार ने कोर्ट को बताया कि मनोनयन का बैकग्राउंड सही नहीं है. जिन लोगों का मनोनयन किया गया, उन्होंने अपने बायोडाटा में पूर्व के राजनीतिक पदों की चर्चा नहीं की है. याचिककर्ता के वकील ने कोर्ट से कहा कि हाउस ट्रेडिंग के लिए नेताओं को साहित्यकार, शिक्षाविद और समाजसेवा के कोटे में मनोनयन कर दिया गया है.
कोर्ट को बताया गया कि 20 मई, 2016 को जीतन राम मांझी राज्य के मुख्यमंत्री. दो दिन बाद 22 मई 2014 को कैबिनेट ने मुख्यमंत्री को मनोनयन कोटे की सीटों को भरने के लिए सीएम को अधिकृत कर दिया. 23 मई को सीएम ने सभी 12 आवेदनों की अनुशंसा राज्यपाल के समक्ष भेज दी. जबकि इसके पहले मनोनयन काेटे की सभी सीटें 25 महीने से खाली थीं. 2006 में इस कोटे के मनोनीत 12 विधान पार्षदों का कार्यकाल नौ मई, 2012 को ही समाप्त हो गया था.
दल बदल कर आये नेताअों को मिली थी जगह
मनोनयन कोटे में जिन 12 को जगह मिली थी, उनमें से तीन सम्राट चौधरी, जावेद इकबाल अंसारी और रामलषण राम रमण राजद छोड़ जदयू में शामिल हुए थे. यह तीनों िवस के सदस्य थे. मनोनीत होने के बाद इन्हें मांझी सरकार में मंत्री बनाया गया था. विजय कुमार मिश्र और राणा गंगेश्वर भाजपा छोड़ जदयू में आये थे.

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