सिडनीः अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की कोटा व्यवस्था में सुधार को आगे बढ़ाने में असफलता को जी20 की पहली स्पष्ट विफलता करार देते हुए भारत ने आज सदस्य देशों से कहा कि वे बदलाव पर जल्द सहमति जताएं ताकि उभरते देशों को मजबूती मिल सके.
आर्थिक मामलों के सचिव अरविंद मायाराम ने कहा ‘‘यह जी20 की शायद पहली स्पष्ट विफलता है. इससे जी20 की विश्वसनीयता घटी है. इससे जी20 की अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग के प्रमुख मंच के तौर पर विश्वसनीयता घटी है और उसकी ऐसे सुधार करने में बहुराष्ट्रीय मंच की भूमिका को धक्का लगा है जिस पर सबकी सहमति हो.’’ दिसंबर 2010 में सहमति बनी थी कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष :आईएमएफ: जनवरी 2014 तक 14वीं आम समीक्षा को लागू कर देगा.
इस पर अमल होने पर भारत की आईएमएफ में हिस्सेदारी 2.44 प्रतिशत से बढ़कर 2.75 प्रतिशत हो जाएगी और वह इस बहुपक्षीय संस्थान का छठा सबसे बड़ा कोटाधारक होगा. भारत फिलहाल इस लिहाज से 11वें स्थान पर है.केंद्रीय बैंक एवं वित्त विभाग के अधिकारियों की बैठक के बाद मायाराम ने यहां कहा ‘‘हमने अपनी बात जोरदार तरीके से कही कि दुर्भाग्य की बात है कि जी20 में समझौते के बावजूद 2010 के सुधार का कार्यान्वयन पूरा नहीं हुआ और हम जनवरी 2014 की समयसीमा में इसे पूरा नहीं कर पाए.’’ यह बैठक वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों की कल से शुरु होने वाली बैठक से पहले हुई. नयी वित्तपोषण प्रणाली पर अमेरिकी सांसदों की सहमति नहीं बन पाने के कारण आईएमएफ की कोटा व्यवस्था में सुधार की प्रक्रिया में गतिरोध पैदा हो गया है.