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1987 में हुआ था पाकिस्तान की अवैध परमाणु खरीदारी का खुलासा

वाशिंगटन : कुछ दस्तावेजों ने खुलासा किया है कि एक पाकिस्तानी नागरिक की गिरफ्तारी के साथ 1987 में ही पाकिस्तान की अवैध परमाणु खरीदारी गतिविधियों का पता चल गया था जिसके कारण अमेरिका सरकार दो भागों में विभाजित हो गई थी लेकिन तत्कालीन रीगन प्रशासन ने रुस के खिलाफ अफगानिस्तान में इस्लामाबाद के योगदान के […]

वाशिंगटन : कुछ दस्तावेजों ने खुलासा किया है कि एक पाकिस्तानी नागरिक की गिरफ्तारी के साथ 1987 में ही पाकिस्तान की अवैध परमाणु खरीदारी गतिविधियों का पता चल गया था जिसके कारण अमेरिका सरकार दो भागों में विभाजित हो गई थी लेकिन तत्कालीन रीगन प्रशासन ने रुस के खिलाफ अफगानिस्तान में इस्लामाबाद के योगदान के मद्देनजर इसे नजरअंदाज करने का निर्णय किया था.

राष्ट्रीय सुरक्षा अभिलेखागार :एनएसए: ने गुप्त सूची से हटाए गए दस्तावेजों का एक सेट कल जारी किया जिसमें जुलाई 1987 में अवैध परमाणु खरीदारी के आरोप में अरशद परवेज की गिरफ्तारी की जानकारी दी गई है.

एनएसए ने कहा, ‘‘ परवेज मामला दर्शाता है कि अमेरिकी सरकारी एजेंसियों ने किस प्रकार पाकिस्तान की परमाणु खरीदारी गतिविधियों पर नजर रखने और उन्हें बाधित करने की कोशिश की. उस समय रीगन व्हाइट हाउस ने पाकिस्तान पर प्रतिबंध लगाने की अनदेखी करने के लिए अमेरिकी परमाणु अप्रसार कानूनों में खामियों का इस्तेमाल किया.’’

दस्तावेजों में पांच अगस्त 1987 में तत्कालीन पाकिस्तानी शासक जनरल जिया उल हक और अमेरिकी विदेश उपमंत्री आर्माकोस्ट के बीच हुई बैठकों के रिकार्ड का खुलासा किया गया है.

एक रिपोर्ट में कहा गया है कि परवेज पाकिस्तानी परमाणु खरीदारी एजेंटों के लिए ‘‘सुविधाजनक साधन’’ था जिसका इस्तेमाल ‘‘अमेरिका में संवेदनशील सामान को हासिल करने के लिए किया जाता था.’’ वे परवेज को परमाणु ‘‘खरीदारी सूची’’ देते थे इससे पता चलता है कि उसकी गतिविधियां सरकार द्वारा समर्थित बड़ी योजना का हिस्सा थी.

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