कुआलालंपुर : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि इन दिनों ‘वन एशिया’ अवधारणा को जोरशोर से आगे बढाया जा रहा है जबकि स्वामी विवेकानंद ने आज से 100 साल पहले ही इस संकल्पना को पेश किया था. मोदी ने यहां स्वामी विवेकानंद की एक प्रतिमा का अनावरण करने के बाद कहा, ‘‘ स्वामी विवेकानंद ने 100 वर्ष से भी पहले ‘वन एशिया’ की अवधारणा प्रस्तुत की थी जिस पर आज जोर शोर से चर्चा हो रही है.
आज वन एशिया की चर्चा आर्थिक और राजनीतिक कारणों से हो रही है जबकि 100 वर्ष पहले आध्यात्मिक संयोग के आधार पर विवेकानंद ने इसे आगे बढाया था. एशिया की समस्याओं का समाधान विवेकानंद के संदेशों में निहित है.’ मोदी ने कहा कि अगर हम विवेकानंदजी की एक बात पर भी अमल करते हैं तो आने वाली शताब्दी के लिए कुछ न कुछ देकर ही जायेंगे.
मोदी ने कहा कि आज आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वामि’ग की चर्चा हो रही है. लेकिन हमारी ही धरती से महात्मा बुद्ध ने शांति, अहिंसा का संदेश दिया था. उन्होंने कहा कि जब आतंकवाद की बात आती है तब बुद्ध, विवेकानंद के संदेशों में इसका समाधान भी है. इसमें कहीं भी संघर्ष की बात नहीं है और जब संघर्ष की बात न हो तब हिंसा और आतंक हो ही नहीं सकता है.
उन्होंने कहा कि आज ग्लोबल वामि’ग की बात हो रही है लेकिन हम उस धरती से हैं जहां पौधे में भी परमात्मा को देखा गया है. हम प्रकृति के शोषण के कभी पक्षकार नहीं रहे हैं. हम प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाकर चलने वाले लोग हैं. प्रधानमंत्री ने कहा कि विवेकानंद हमारे मन एवं हमारी आत्मा में बसे हैं जिन्होंने जनसेवा को प्रभुसेवा बताया था. वेद से विवेकानंद तक सब हमारी सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक हैं. सत्य की खोज में विवेकानंद और रामकृष्ण परमहंस ने हाथ मिलाया.
भारत की आत्मा की पहचान बताते हुए मोदी ने कहा कि विवेकानंद की शिक्षाओं से भारत को अपनी विकास यात्रा आगे बढाने में मदद मिली. उपनिषद से उपग्रह हमारी विकास यात्रा के प्रतीक है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यहां स्वामी विवेकानंद की प्रतिमा का अनावरण किया और उनपर एक पुस्तक का लोर्कापण किया. योग का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि आज विश्व योग के प्रति आकर्षित हुआ है, लोग तनाव मुक्त जीवन जीने को उन्मुख हुए हैं.
इसका रास्ता योग में नजर आता है. संयुक्त राष्ट्र द्वारा 21 जून को योग दिवस घोषित किये जाने के संदर्भ में उन्होंने कहा कि अब हमारे सामने चुनौती इस बात की नहीं है कि हम दुनिया को योग के बारे में बताये, बल्कि आज दुनिया को अच्छे योग शिक्षक उपलब्ध कराने की एक बडी चुनौती है ताकि सही अर्थो में योग की जरुरतों को पूरा किया जा सके.