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30 साल की सजा पाये व्यक्ति को उच्च न्यायालय से राहत

मुंबई : नशीली दवायें रखने के जुर्म में मॉरीशस की एक अदालत ने जिस व्यक्ति को 30 साल की सजा सुनाई थी उसे राहत देते हुए बंबई उच्च न्यायालय ने उसकी रिहाई के आदेश दिये हैं.उच्च न्यायालय ने पाया कि उस व्यक्ति को केवल दस साल की सजा दी जा सकती है क्योंकि उसके पास […]

मुंबई : नशीली दवायें रखने के जुर्म में मॉरीशस की एक अदालत ने जिस व्यक्ति को 30 साल की सजा सुनाई थी उसे राहत देते हुए बंबई उच्च न्यायालय ने उसकी रिहाई के आदेश दिये हैं.उच्च न्यायालय ने पाया कि उस व्यक्ति को केवल दस साल की सजा दी जा सकती है क्योंकि उसके पास नशीली दवाओं की बहुत ही कम मात्रा थी.

न्यायमूर्ति एस सी धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति गौतम पटेल की पीठ प्रेम किशोर राज की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. राज को मई 1996 में मॉरीशस पुलिस ने नशीली दवाएं रखने के लिए गिरफ्तार किया था. राज को 371.3 ग्राम हेरोइन रखने का दोषी पाया गया और उसे 30 साल कैद की सजा सुनाई गई. बाद में यह सजा घटा कर 23 साल कर दी गई.

भारत और मॉरीशस के बीच हुए करार के तहत राज को वर्ष 2008 में भारत भेज दिया गया. उसके स्वदेश वापसी संबंधी दस्तावेजों से पता चला कि उसे एक जनवरी 1999 को दोषी ठहराया गया था. राज ने बंबई उच्च न्यायालय में एक याचिका दाखिल कर मांग की कि उसे भारतीय कानून के मुताबिक राहत दी जाये और शीघ्र रिहा कर दिया जाए. दोनों देशों के बीच हुए करार के तहत दोषी को अपने मूल देश के कानून का लाभ लेने की अनुमति है.

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