काबुल : अफगानिस्तान सरकार ने आज रात घोषणा की है कि तालिबान प्रमुख मुल्ला उमर की मौत हो गयी है. देश पर 1996 से 2001 तक तानाशाही शासन चलाने वाले एक आंख के कट्टरपंथी के मरने की खबरों की पुष्टि हो गयी है.
अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी के कार्यालय की ओर से जारी बयान के अनुसार, विश्वसनीय सूचनाओं के आधार पर इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ अफगानिस्तान की सरकार पुष्टि करती है कि तालिबान नेता मुल्ला मोहम्मद उमर की अप्रैल 2013 में पाकिस्तान में मौत हो चुकी है.
बयान में कहा गया है, अफगानिस्तान सरकार को लगता है कि अफगान शांति वार्ता के रास्ते पहले के मुकाबले अब ज्यादा खुल गए हैं, इसलिए वह हथियारबंद विपक्षी बलों से इस अवसर का लाभ उठाने तथा शांति प्रक्रिया में शामिल होने का अनुरोध करती है. इस संबंध में तालिबान की ओर से कोई बयान नहीं आया है.
अमेरिकी नेतृत्व वाले सुरक्षा बलों द्वारा 2001 में मुल्ला उमर की सरकार अपदस्थ किए जाने के बाद से वह भूमिगत हो गया था. तालिबान नेता पर एक करोड़ डॉलर का इनाम था. अमेरिका में हुए 9/11 हमले के बाद मुल्ला उमर द्वारा अल-कायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन का समर्थन किए जाने के कारण ही अफगानिस्तान में अमेरिकी नेतृत्व वाली कार्रवाई शुरु हुई थी.
आज दिन में अफगान सरकार और खुफिया सूत्रों के हवाले से मीडिया में खबरें आयी थीं कि मुल्ला उमर की मौत दो-तीन वर्ष पहले ही हो चुकी है. कुछ खबरों के अनुसार, उसे अफगानिस्तान में दफनाया गया है. पहले भी मुल्ला उमर के मरने की खबरें आ चुकी हैं.
इस माह के शुरु में तालिबान ने ईद की पूर्व संध्या पर उमर का संदेश जारी किया था. इस संदेश में उसने अपने समूह एवं अफगान सरकार के बीच अफगानिस्तान में 13 साल से चल रहे युद्ध के खात्मे के लिए सात जुलाई को होने वाली शांति वार्ता को उचित कहकर उसकी सराहना की थी. यह ताजा खबर उस समय आई है जब दो दिन बाद पाकिस्तान के पर्वतीय स्थल मुर्ररे में दूसरे दौर की शांति वार्ता होने जा रही है. पहले दौर की वार्ता सात जुलाई को हुई थी.