वाशिंगटन : एक ऐसे असाधारण घटनाक्रम के तहत, जिससे अमेरिका और ईरान जैसे दो परंपरागत प्रतिद्वंद्वियों के बीच पुराना गतिरोध समाप्त हो सकता है, राष्ट्रपति बराक ओबामा अपने ईरानी समकक्ष हसन रुहानी से संयुक्त राष्ट्र महासभा के इतर मुलाकात कर सकते हैं.व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जे कार्नी ने संवाददाताओं से कहा, मैं सामान्य रुप से यही कहूंगा कि यह संभव है और यह हमेशा से संभव रहा है. राष्ट्रपति ने जब से पद संभाला है हमने हाथ आगे बढ़ाया है.
बहरहाल, जब सीधे–सीधे पूछा गया कि अगले सप्ताह न्यूयार्क में मुलाकात होगी कार्ने ने कहा, फिलहाल राष्ट्रपति ओबामा का राष्ट्रपति रुहानी के साथ मुलाकात की योजना नहीं है. कार्ने ने कहा, यह कहना मुनासिब होगा कि जब अमेरिका और उसके सहयोगी देशों को ईरान द्वारा पैदा की गई मौजूदा चुनौतियों की बात की जाए तो राष्ट्रपति का मानना है कि वहां कूटनीति के लिए मौका है और हम उम्मीद करते हैं कि ईरानी सरकार इस अवसर का लाभ उठाएंगी. उदारवादी मौलवी, रुहानी संयुक्त राष्ट्र महासभा के 68 वें सत्र में हिस्सा लेने के लिए जाएंगे जहां वह विश्व नेताओं को संबोधित करेंगे.
राष्ट्रपति ओबामा और रुहानी के बीच कोई मुलाकात ऐतिहासिक होगी. दोनों देशों के बीच 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद से कोई राजनयिक संबंध नहीं है, जब देशव्यापी विरोधों ने पश्चिम समर्थित शाह प्रशासन को उखाड़ फेंका था.
अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन केरी ने रुहानी की इन हालिया टिप्पणियों का स्वागत किया है जिसमें ईरानी राष्ट्रपति ने कहा था कि उनका देश परमाणु हथियार विकसित नहीं करेगा. लेकिन, दोनों राष्ट्रपतियों के बीच किसी संभावित बैठक के बारे में सवाल को उन्होंने टाल दिया.
एक समाचार चैनल पर कल प्रसारित एक साक्षात्कार में रुहानी ने कहा था कि किसी भी हालात में हम परमाणु हथियारों सहित सामूहिक विनाश के कोई हथियार नहीं चाहते और न ही भविष्य में ऐसा चाहेंगे. द वाशिंगटन पोस्ट के एक विशेष ऑप–एड में रुहानी ने लिखा है, संयुक्त राष्ट्र महासभा में हिस्सा लेने के लिए मैं निकलने वाला हूं, मैं अपने समकक्षों से इस मौके का इस्तेमाल करने का आग्रह करता हूं. उन्होंने कहा है, मैं उनसे अनुरोध करता हूं कि मेरी अवाम ने मुङो जनादेश दिया है और रचनात्मक वार्ता में हिस्सा लेने के लिए मेरी सरकार के प्रयास पर सही तरीके से प्रतिक्रिया दी जाए.
ईरानी राष्ट्रपति ने कहा मैं सबसे अनुरोध करता हूं कि वे व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखें और साहस के साथ मुझे अपनी राय से अवगत कराएं..भले ही वह उनके राष्ट्रीय हित में न हो लेकिन उनकी विरासत के, हमारे बच्चों के और आने वाली पीढ़ियों के हित में हो.उन्होंने कहा कि इस बदली हुई दुनिया में अंतरराष्ट्रीय राजनीति एक बहुपक्षीय परिदृश्य है जहां सहयोग और प्रतिस्पर्धा अक्सर एक ही समय में मिलते हैं. खूनखराबे का दौर जा चुका है.