13.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

मौत की सजा से भारत में महिलाओं के खिलाफ अपराध नहीं होंगे खत्म : एमनेस्टी

लंदन : मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा है कि भारत में महिलाओं के खिलाफ हिंसा की रोकथाम के लिए ‘मौत की सजा’ के बजाय बड़े सुधारों की जरुरत है. 16 दिसंबर के सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले में दोषी ठहराए गए चार आरोपियों को मौत की सजा सुनाए जाने के दिल्ली की एक […]

लंदन : मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा है कि भारत में महिलाओं के खिलाफ हिंसा की रोकथाम के लिए मौत की सजाके बजाय बड़े सुधारों की जरुरत है. 16 दिसंबर के सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले में दोषी ठहराए गए चार आरोपियों को मौत की सजा सुनाए जाने के दिल्ली की एक अदालत के फैसले पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया की निदेशक तारा राव ने यह बात कही.

तारा ने कहा, ‘‘पिछले साल दिल्ली में युवती से बलात्कार और हत्या एक खौफनाक अपराध था और मृतका के परिवार के लोगों के प्रति हमारी गहरी सहानुभूति है. जो लोग दोषी हैं उन्हें अवश्य सजा मिलनी चाहिए लेकिन मौत की सजा इसका जवाब नहीं है.’’ सामूहिक बलात्कार की घटना को लेकर समूचे भारत में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए, भारत सरकार ने नये कानून बनाए जो तेजाब हमले, पीछा करने और ताक झांक सहित महिलाओं के खिलाफ कई तरह की हिंसा को अपराध के दायरे में शामिल करता है.

तारा ने कहा कि इस बारे में कोई सबूत नहीं कि मौत की सजा अपराध के लिए एक विशेष प्रतिरोधक है और इस सजा का इस्तेमाल भारत में महिलाओं के खिलाफ हिंसा को खत्म नहीं करेगा.

उन्होंने कहा कि इन चार लोगों को फांसी के फंदे पर लटकाने से एक संक्षिप्त अवधि का बदलाके अलावा कुछ नहीं हासिल होगा. इस मामले को लेकर व्यापक स्तर पर रोष को समझा जा सकता है पर एक त्वरित समाधान के रुप में मौत की सजा सुनाए जाने से बचा जाना चहिए.

भारत में बलात्कार और महिलाओं के खिलाफ अन्य प्रकार की यौन हिंसा आम बात है. पत्नी के साथ बलात्कार को कानून के तहत अपराध नहीं माना जाता और सुरक्षा बल यौन हिंसा के लिए प्रभावी कानूनी छूट पा रहे हैं.

तारा ने कहा कि इस मुद्दे के समाधान के लिए कानूनी सुधार की जरुरत है लेकिन यह सुनिश्चित करना होगा कि न्याय प्रणाली बलात्कार और यौन हिंसा के अन्य रुपों की रिपोर्ट के हर स्तर पर प्रभावी प्रतिक्रिया करें.

उन्होंने कहा कि इस मामले पर अधिकारियों ने जितना ध्यान दिया वह अवश्य ही भारत में यौन हिंसा के लंबित अन्य हजारों मामलों पर भी दिया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति वर्मा समिति की कई प्रगतिशील सिफारिशों को अभी तक पूरी तरह से लागू नहीं किया गया है. इसमें पुलिस प्रशिक्षण एवं सुधार शामिल है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें