संयुक्त राष्ट्र: संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की-मून के अगले साल समाप्त हो रहे कार्यकाल के मद्देनजर भारत ने इस वैश्विक संस्था के प्रमुख के चयन की मौजूदा प्रक्रिया में बदलाव एवं सुधार की अपील की है. भारत ने कहा है कि इस चयन के दौरान महिलाओं और क्षेत्रीय चक्रानुक्रम (रोटेशन) पर विशेष गौर किया जाना चाहिए.
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि अशोक मुखर्जी ने यहां कहा कि महासचिव और महासभा पर अक्सर सुरक्षा परिषद का दबाव रहता है.कल महासभा के पुनरुद्धार के मुद्दे पर अनौपचारिक कार्यकारी समूह की बैठक में उन्होंने कहा, ‘‘जैसा कि हमने पहले भी कहा है कि महासचिव (सेक्रेटरी-जनरल) को दुर्भाग्यवश सुरक्षा परिषद का सेक्रेटरी (सचिव)और महासभा का जनरल मान लिया जाता है. इस धारणा को बदलने की जरुरत है.’’
भारत के सुझावों को रखते हुए मुखर्जी ने उम्मीदवारी के लिए वस्तुनिष्ठ मानदंड की पहचान का प्रस्ताव दिया. इसमें ‘‘संयुक्त राष्ट्र चार्टर के उद्देश्यों और सिद्धांतों के प्रति प्रतिबद्धता, व्यापक नेतृत्व, प्रशासनिक एवं राजनयिक अनुभव के साथ-साथ क्षेत्रीय चक्रानुक्रम एवं लैंगिक समानता को पर्याप्त महत्व दिया जाना शामिल है.’’