काहिरा: मिस्र में शुक्रवार को सुरक्षा बलों और अपदस्थ राष्ट्रपति मोहम्मद मुर्सी के समर्थकों के बीच ताजा संघर्ष में कम से कम 80 लोगों की मौत हुई. जुम्मे की नमाज के बाद मुर्सी के समर्थक सैन्य समर्थित सरकार की कार्रवाई में 600 से अधिक लोगों के मारे जाने के विरोध में सड़कों पर उतरे थे.
यहां के गृह मंत्रालय ने चेतावनी दे रखी थी कि किसी भी सरकारी इमारत की ओर बढ़ने वाले प्रदर्शनकारियों के खिलाफ पुलिस हथियारों का इस्तेमाल करेगी. मुस्लिम ब्रदरहुड ने इस चेतावनी की परवाह नहीं की और सड़कों पर उतरकर विरोध जताया.
काहिरा, इस्लामिया, दामेता, अलेक्जेंड्रिया और कई अन्य जगहों पर मुर्सी समर्थकों और सुरक्षा बलों के बीच झड़प हुई.आधिकारिक रुप से 80 लोग मारे गए जबकि मुस्लम ब्रदरहुड ने दावा किया कि उसके अधिक समर्थक मारे गए.मिस्र की सेना ने काहिरा और अन्य शहरों में सुरक्षा व्यवस्था सख्त कर रखी थी क्योंकि मुस्लिम ब्रदरहुड ने जुमे की नमाज के बाद 28 मस्जिदों से मार्च निकालने का आह्वान किया था.
जुमे की नमाज के बाद मुर्सी समर्थक हजारों लोग सड़कों पर उतर आए और उन्होंने सेना द्वारा लागू आपातकाल की अवज्ञा में इसे ‘शुक्रवार का रोष’ करार दिया. सुरक्षा बलों ने मिस्र के उत्तरी शहर तांता स्थित एक सरकारी इमारत तक पहुंचने से मुर्सी समर्थकों को रोकने के लिए हवा में गोलियां चलाई और आंसू गैस के गोले छोड़े.
मुस्लिम ब्रदरहुड ने शुक्रवार को विशाल प्रदर्शन करने का संकल्प लिया था वहीं मिस्र की सैन्य सरकार ने अपनी कार्रवाई में कोई नरमी नहीं बरती. मुस्लिम ब्रदरहुड ने आज लोगों से शांतिपूर्वक प्रदर्शन करने की अपील करते हुए अपनी वेबसाइट पर कहा, इस अवैध शासन को उखाड़ फेंकना एक कर्तव्य है.सरकारी मीडिया ने बताया कि काहिरा के सभी प्रवेश द्वार पर स्थित चौकियों पर सैनिक बढा दिए गए हैं ताकि प्रदर्शनकारियों तक हथियार न पहुंचने पाए.काहिरा के उत्तर में सुरक्षा बलों की कारों पर हमलावरों की गोलीबारी में कम से कम 20 पुलिसकर्मी भी घायल हो गए.
गौरतलब है कि रबिया अल अदवैया और अल नाहदा स्थित मुर्सी समर्थक प्रदर्शनकारियों के दो शिविरों को हटाये जाने की सुरक्षा बलों की कार्रवाई में कम से कम 638 लोग मारे गए, जिसके बाद प्रदर्शन करने की घोषणा की गई. सेना द्वारा 3 जुलाई को मुर्सी को अपदस्थ किए जाने के बाद इन दोनों स्थानों पर मुर्सी समर्थक धरने पर बैठे थे.स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता ने कल बताया था कि मिस्र में हुई राष्ट्रव्यापी हिंसा में मारे गए लोगों की संख्या बढ़कर 638 हो गई है जिससे यह अरब क्रांति के दौर के बाद सबसे अधिक खूनखराबे वाला दिन बन गया.