कराची : कराची से सटे दादू गांव की रहनेवाली एक किशोरी ने अपनी इज्जत के लुटेरों के खिलाफ कानूनी लड़ाई क्या लड़ी, उसकी जान पर बन आयी.
इंसाफ तो नहीं मिला, लेकिन परिवार के साथ नर्क-सी जिंदगी बिताने को मजबूर हो गयी है. यह खुलासा पीड़िता की जिंदगी पर बनी डॉक्यूमेंट्री से हुआ है, जिसका प्रसारण ब्रिटेन में हुआ.
जारी हुआ मौत का फरमान
पाकिस्तान में एक 17 साल की किशोरी इंसाफ के लिए एक मुश्किल जंग लड़ रही है. चार साल पहले सिर्फ 13 साल की उम्र में कायनात सूमरो का सामूहिक दुष्कर्म किया गया था. कायनात ने इस अपराध के खिलाफ आवाज उठाई और वह अपने ही देश में अवांछित हो गयी हैं. उसी के गांववालों ने उसे ‘काली कुंवारी’ करार देते हुए उसकी हत्या का फरमान सुना दिया गया.
सच्चई बताती एक डॉक्यूमेंट्री
इंसाफ के लिए कायनात की जंग अभी जारी है और उनके संघर्ष पर बनी एक डॉक्यूमेंट्री. फिल्म ‘आउटलॉड इन पाकिस्तान’ (पाकिस्तान में अवांछित) अमेरिका के एक टीवी चैनल पर दिखाई जायेगी. यह फिल्म इस साल अमेरिका में होने वाले सनडांस. फिल्म फेस्टिवल में भी दिखाई गयी.
फिल्म में कायनात बताती हैं कि जब वह स्कूल से घर लौट रही थी, तो गांव की पतली सी गली में चार लोगों ने उसके साथ दुराचार किया. इंसाफ मिलने के बजाय दुष्कर्म के आरोपियों ने ही उसके पिता और एक भाई की पिटाई की. उसका बड़ा भाई अचानक गायब हो गया और तीन महीने बाद उसकी लाश मिली.
जारी रहेगा संघर्ष
लगातार दी जा रही हत्या की धमिकयों और हिंसा ने सूमरो परिवार को दादु में अपने घर को छोड़कर कराची शहर में बसने को मजबूर कर दिया. परिवार के आदमियों को कहीं काम नहीं मिला, तो महिलाएं कपड़ों पर कढ़ाई का काम करने लगीं, ताकि कम से कम किराया दिया जा सके. अदालती सुनवाई के दौरान कायनात को बेहद खराब सवालों का सामना करना पड़ता है.
परिवार ने दिया साथ
दूसरे भाई साबिर को अपनी बहन को मारने के लिए उकसाया गया, लेकिन कायनात के परिवार ने उसकी हत्या करने से इनकार कर दिया और उसे इंसाफ4 दिलाने के लिए कानून का रास्ता अपनाया. कायनात के पिता कहते हैं कि उनके परिवार ने इंसाफ की इस लड़ाई में सब कुछ खो दिया है.