फोर्तालेजा (ब्राजील):प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को जर्मनी के बर्लिन से ब्राजील रवाना हो गये. यहां ब्रिक्स समूह के नेताओं के साथ उनकी पहली बहु-पक्षीय वार्ता होगी. इसमें वह ब्रिक्स विकास बैंक की स्थापना और इसमें इस समूह के सभी देशों की बराबर की हिस्सेदारी के मुद्दे को शीर्ष प्राथमिकता देंगे. विकसित देशों के विकास में वित्तीय योगदान के लिए प्रस्तावित इस बहुपक्षीय वित्तीय संस्थान में भारत बराबर की हिस्सेदारी के पक्ष में है.
भारत नहीं चाहता कि इसमें वही विसंगतियां घुस जाये, जो ब्रिटन वुड्स संस्थाओं अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष, विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक (एडीबी) में है, जहां अमेरिका और जापान जैसे देशों का वर्चस्व है. ब्राजील के इस पूर्वोत्तरीय तटीय नगर में मंगलवार को ब्रिक्स सम्मेलन से पहले मोदी चीन के प्रधानमंत्री शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मिलेंगे और नये विकास बैंक से जुड़े मामलों पर चर्चा करेंगे. वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय व्यवस्था में सुधार के संबंध में इस सम्मेलन की संभावित पहल के संबंध में इन नेताओं से चर्चा करेंगे. सूत्रों ने बताया कि भारत का प्राथमिक लक्ष्य है प्रस्तावित ब्रिक्स विकास बैंक में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका (पांचों सदस्यों) के शेयर बराबर बराबर हों.
पहली बार जर्मनी के रास्ते गये भारत के पीएम आमतौर पर भारत के प्रधानमंत्री अटलांटिक में आगे की यात्राओं पर फ्रैंकफुर्त के मार्ग का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन जर्मनी के आग्रह पर मोदी ने फ्रैंकफुर्त की जगह बर्लिन को यात्रा पड़ाव के रूप में चुना गया. हालांकि, जर्मनी के वर्ल्ड कप फाइनल में पहुंच जाने की वजह से जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल ब्राजील चली गयीं. सो दोनों नेताओं के बीच बैठक नहीं हो सकी.
ब्रिक्स विकास बैंक
ब्रिक्स विकास बैंक की अवधारणा 2012 में दिल्ली में तैयार हुई थी
2013 में डर्बन (दक्षिण अफ्रीका) शिखर सम्मेलन में इसे मंजूरी मिली
50 अरब डॉलर के शुरुआती कोष से इसकी स्थापना होनी है
नये सदस्यों के शामिल होने पर इसकी इक्विटी पूंजी 100 अरब डॉलर की जा सकती है
विवाद के मुद्दे
हिस्सेदारी : 50 अरब डॉलर के शुरुआती कोष में भारत सभी सदस्यों का 10-10 अरब डॉलर का बराबर अंशदान चाहता है, ताकि यह आइएमएफ और विश्व बैंक की खामियों भरे स्वामित्व पैटर्न की गिरफ्त में न आये. इन संस्थाओं में जो ज्यादा धन दे रहा है, वही चीजों को चलाता है.
अध्यक्ष भी है मुद्दा
प्रस्तावित बैंक की अध्यक्षता और इसका नाम भी भारत के लिए प्राथमिकता का मुद्दा है. निश्चित तौर पर भारत चाहेगा कि इसे ‘नया विकास बैंक’ (न्यू डेवलपमेंट बैंक) कहा जाये, जिसकी चर्चा रविवार को जारी प्रस्थान पूर्व बयान में की गयी.
क्या होगा फायदा
इन पहलों से ब्रिक्स में वृद्धि और स्थिरता को बल मिलेगा. अन्य विकासशील देशों को भी इससे फायदा होगा. भारत चाहता है कि बैंक की स्थापना की प्रक्रिया सामान्य हो, न कि जटिल.