वाशिंगटन : अमेरिका ने कहा है कि अफगानिस्तान के हेरात प्रांत में भारतीय वाणिज्य दूतावास पर हुए आतंकी हमले के पीछे पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का हाथ है और उसके पास इस बात के पुख्ता सबूत हैं.
अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता मेरी हर्फ ने कल लश्करे तैयबा के सहयोगी संगठनों और नेताओं के खिलाफ अतिरिक्त प्रतिबंधों की घोषणा करते हुए कहा, पुख्ता जानकारी के आधार पर अमेरिका सरकार का आकलन है कि हेरात में 23 मई, 2014 को भारतीय वाणिज्य दूतावास पर हुए हमले के लिए लश्करे तैयबा जिम्मेदार है.
हालांकि सूचना की संवेदनशीलता को देखते हुए उन्होंने उस विश्वसनीय जानकारी का ब्यौरा देने से इनकार कर दिया जिसके आधार पर लश्करे तैयबा को इस हमले के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है. हेरात में आतंकवादी हमला नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री पद के शपथ ग्रहण समारोह से तीन दिन पहले हुआ था जिसका उद्देश्य स्पष्ट रुप से दक्षेस देशों से जुड़ी उनकी पहल को पटरी से उतारना था.
गौरतलब है कि मोदी ने 26 मई को नई दिल्ली में होने वाले अपने शपथ ग्रहण समारोह के लिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ समेत दक्षेस देशों के राष्ट्राध्यक्षों को आमंत्रित किया था. विदेश विभाग की प्रवक्ता ने कहा, हमारा आकलन सभी सूत्रों से मिली व्यापक जानकारी पर आधारित है. इस जानकारी के आधार पर इस मामले में हमारा मानना है कि यह विश्वसनीय है. हम बहुत सारे स्त्रोतों पर ध्यान देते हैं जो हमने खुद से जुटाया है. हमारा आकलन है कि लश्करे तैयबा ने यह हमला किया. शपथ ग्रहण समारोह से एक दिन पहले अफगानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करजई ने एक भारतीय समाचार चैनल से कहा था कि आतंकवादी हमले के लिए लश्करे तैयबा जिम्मेदार है.
23 मई को हेरात स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास पर भारी हथियारों से लैस चार बंदूकधारियों ने हमला किया था जिन्हें जवाबी कार्रवाई में मार गिराया गया. भारत ने हमले के लिए अफगानिस्तान की सीमा से बाहर के आतंकी तत्वों को जिम्मेदार ठहराया था.
अमेरिका ने कल लश्करे तैयबा को दोबारा आतंकवादी संगठन घोषित किया और प्रतिबंधित संगठनों की सूची में उसके कई महत्वपूर्ण संगठनों को शामिल किया. इन संगठनों में जमात-उद-दवा, अल-अनफल ट्रस्ट, तहरीके हुरमते रसूल और तहरीके तहफूज किबला अव्वाल शामिल हैं.