आज बाजार में भारी उथल-पुथल है. अर्थव्यवस्था को लेकर सुस्ती की बात हो रही है और इसका असर भी बाजार में दिख रहा है. सरकार अपने स्तर से प्रयास कर रही है , लेकिन ऐसी परिस्थितियों में एक निवेशक के लिए हमेशा से एक सवाल बना रहता है कि अब कहां निवेश करें? इस सवाल का लगभग सभी आर्थिक सलाहकारों से एक ही जवाब मिलता है कि सबसे बढ़िया रास्ता एसआइपी है यानी आप अनुशासित तरीके से अपना एसआइपी जारी रखें. लंबी अवधि में यह आपको बहुत ही बेहतर रिटर्न प्रदान करेगा.
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जानें, समझें कितना उपयोगी है एसआइपी
आज बाजार में भारी उथल-पुथल है. अर्थव्यवस्था को लेकर सुस्ती की बात हो रही है और इसका असर भी बाजार में दिख रहा है. सरकार अपने स्तर से प्रयास कर रही है , लेकिन ऐसी परिस्थितियों में एक निवेशक के लिए हमेशा से एक सवाल बना रहता है कि अब कहां निवेश करें? इस सवाल […]
हर भारतीय घरों में छोटी बचत करने का संस्कार चला आ रहा है. छोटे बच्चों को गुल्लक के माध्यम से बचत करने की आदत डाल दी जाती है. काफी दिनों के बाद जब गुल्लक भर जाता है, तो उसे फोड़ कर जमा किये गये ढेर सारे पैसों को देखते ही मन खुशी से झूम जाता है.
गौर करें तो पायेंगे कि छोटी-छोटी बचत करके एक मोटी रकम तैयार की जा सकती है और जब इस मोटी रकम पर पावर ऑफ कंपाउंडिंग का लाभ मिल जाये, तो यह एक बड़ा फंड तैयार हो जाता है.
विभिन्न म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए यह रास्ता उपलब्ध है. इसे सिस्टेमेटिक इंवेस्टमेंट प्लान यानी एसआइपी कहते हैं. आप शेयरों में कम जोखिम लेते हुए निवेश करने का लाभ लंबी अवधि में इसी रास्ते से ले सकते हैं.
इक्विटी म्यूचुअल फंड में हर माह एक छोटी रकम का निवेश करते हुए 5-10 साल में एक बड़ी पूंजी तैयार कर सकते हैं. एसआइपी इस लिए भी सबसे उपयुक्त है कि यह बचत और निवेश की सही प्लानिंग का बेहतरीन जरिया है.
नये निवेशकों के लिए यह जानना जरूरी है कि वे कितने पैसे से शुरू कर सकते हैं एसआइपी. निवेश का यह रास्ता इतना सरल है कि आप 500 रुपये के न्यूनतम राशि से भी एसआइपी शुरू कर सकते हैं.
आजकल तो ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर 100 रुपये से भी एसआइपी शुरू करने के विकल्प दिये जा रहे हैं. एसआइपी शुरू करने से पहले फंड का चयन जरूरी है. और सबसे अच्छा होता है कि आप अपने किसी स्थानीय आर्थिक सलाहकार की मदद लें और सही फंड का चयन कर उसमें एसआइपी शुरू करें.
एसआइपी को कितने भी समय तक चलाया जा सकता है. निवेशक के पास यह विकल्प रहता है कि वह जब चाहे तब इसे समाप्त भी कर सकता है. इस पर कोई पेनाल्टी भी नहीं लगती है.
एसआइपी में पैसा हर माह सीधा बैंक खाता से कट जाता है. आपको सिर्फ यह तय करना होता है कि आप किस तारीख को यह प्रक्रिया करना चाहते हैं.
निवेशक एसआइपी के माध्यम से निवेश की गयी राशि में से कभी भी जरूरत पड़ने पर, पैसा निकाल सकते हैं. एसआइपी पर फर्क नहीं पड़ता है और वह चलती रहती है.
पावर ऑफ कंपाउंडिंग
छोटी-छोटी रकम द्वारा किये जा रहे निवेश पर मिलने वाला ब्याज लंबी अवधि में इतना बढ़ जाता है कि एक बड़ी पूंजी तैयार कर देता है. इसको एक उदाहरण से समझते हैं. अगर एक व्यक्ति Rs 2000 का एसआइपी करता है, तो 20 साल बाद निवेशित 4.80 लाख की रकम बढ़ कर, औसत 12 प्रतिशत के रिटर्न के अनुसार 19.98 लाख हो जायेगी, जबकि 25 साल में निवेशित कुल 6.0 लाख की राशि बढ़ कर 37.95 लाख हो जायेगी. इससे यह स्पष्ट है कि लंबी अवधि में पावर ऑफ कंपाउंडिग का जबर्दस्त लाभ मिलता है.
केस 1 : 2000 की एसआइपी पर अगर 12 प्रतिशत का अनुमानित औसत रिटर्न हो
अवधि निवेशित राशि अनुमानित पूंजी
10 वर्ष 2.40 लाख 4.65 लाख
15 वर्ष 3.60 लाख 10.09 लाख
20 वर्ष 4.80 लाख 19.98 लाख
25 वर्ष 6.00 लाख 37.95 लाख
केस 2 : 5000 की एसआइपी पर अगर 12 प्रतिशत का अनुमानित औसत रिटर्न हो
अवधि निवेशित राशि अनुमानित पूंजी
10 वर्ष 6.00 लाख 11.62 लाख
15 वर्ष 9.00 लाख 25.23 लाख
20 वर्ष 12.0 लाख 49.96 लाख
25 वर्ष 15.0 लाख 94.88 लाख
नोट : इन दोनों चार्ट को गौर करें. लंबी अवधि में 25 साल तक किया गया मात्र 2000 रुपये का एसआइपी 37.95 लाख रुपये की पूंजी तैयार कर देता है, जबकि आपका निवेश मात्र छह लाख रुपये का ही है, जबकि 5000 रुपये के एसआइपी में दस साल में छह लाख रुपये का किया गया निवेश अवधि समाप्ति के बाद मात्र 11.62 लाख ही बन पाया है.
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