पिछले महीने आइएनएक्स मीडिया की पूर्व प्रमुख इंद्राणी मुखर्जी के जांच एजेंसियों की गवाह बन जाने और शर्तें मान लेने के बाद पूरे मामले में नया मोड़ आ गया. पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम की गिरफ्तारी के साथ जांच की प्रक्रिया में भी तेजी आयी है. मई, 2017 में दर्ज हुए मामले में प्रवर्तन निदेशालय एवं केंद्रीय जांच ब्यूरो ने देश में और बाहर अब तक करोड़ों की संपत्ति जब्त की है.
पिछले साल कार्ति चिदंबरम को 23 दिनों तक जेल में रहना पड़ा था. इंद्राणी मुखर्जी बेटी की हत्या के आरोप में अपने पति और कंपनी के एक अन्य पूर्व प्रमुख पीटर मुखर्जी के साथ पहले से ही गिरफ्तार हैं. इस पूरे प्रकरण के बारे में विस्तृत जानकारी के साथ प्रस्तुत है आज का इन-दिनों…
कैसे कसा शिकंजा
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम, आइएनएक्स मीडिया और इसके निदेशकों पीटर व इंद्राणी मुखर्जी समेत कई अन्य के खिलाफ ‘प्रवर्तन मामले में सूचना रिपोर्ट’ इसीआईआर)-पुलिस एफआइआर की तरह, दाखिल की.
प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दी गयी जानकारी के आधार पर सीबीआइ ने उपरोक्त सभी आरोपियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज करायी. रिपोर्ट में 2007 में आइएनएक्स मीडिया द्वारा विदेश से धन लेने के दौरान की गयी अनियमितता को इस मामले में मुख्य आधार बनाया गया है.
क्या है पूरा मसला
मार्च, 2017 में आइएनएक्स मीडिया ने प्रत्यक्ष विदेश निवेश (एफडीआइ) के जरिये मॉरिशस के तीन निवेशकों को इक्विटी शेयर जारी करने की मांग करते एफआइपीबी के चेयरमैन से अनुरोध किया. एफआइआर के अनुसार, कई टीवी चैनलों को शुरू करने और संचालित करने के लिए इस धन के इस्तेमाल की योजना थी.
एफआइपीबी को दिये गये आवेदन में इस बात का भी जिक्र किया गया था कि कंपनी का उद्देश्य आइएनएक्स न्यूज प्राइवेट लिमिटेड के निर्गत एवं बकाया इक्विटी शेयर कैपिटल के 26 प्रतिशत तक डाउनस्ट्रीम फाइनेंशियल इन्वेस्टमेंट करना है.
कुछ महीने बाद एफआइपीबी बोर्ड ने आईएनएक्स के प्रस्ताव, विशेष कर 4.62 करोड़ रुपये की एफडीआइ/ एनआरआइ इनफ्लो को मंजूरी दे दी, लेकिन डाउनस्ट्रीम इन्वेस्टमेंट की मांग को रजामंदी नहीं दी. एफआइआर में यह भी आरोप लगाया गया है कि आइएनएक्स मीडिया ने जान-बूझ कर नियम व शर्तों का उल्लंघन किया.
उसने बिना इजाजत डाउनस्ट्रीम इन्वेस्टमेंट कराया तथा कंपनी में 305 करोड़ से अधिक की एफडीआइ हासिल की. कंपनी ने अगस्त 2007 से मई 2008 के बीच विदेशी निवेशकों को 800 रुपये प्रति शेयर से अधिक के प्रीमियम पर शेयर जारी किये.
कार्ति चिदंबरम की भूमिका
उक्त मामले में जब आयकर विभाग ने फरवरी 2008 में संबद्ध लोगों को स्पष्टीकरण के लिए तलब किया, तो आइएनएक्स मीडिया ने इस मामले को रफा-दफा करने के लिए कार्ति चिदंबरम को घूस का प्रस्ताव दिया. सीबीआइ का कहना है कि इस मामले में कार्ति ने 10 लाख रुपये लिये.
कार्ति चिदंबरम के घर और कार्यालय पर छापेमारी के दौरान जांच एजेंसी ने उक्त राशि का वाउचर प्राप्त किया, जो एडवांटेज स्ट्रेटिजिक कंसल्टिंग (पी) लिमिटेड के नाम से जारी किया गया था, अप्रत्यक्ष रूप से इस कंपनी का मालिकाना हक कार्ति के पास ही था.
हालांकि, कुछ मीडिया में यह दावा किया गया कि कार्ति द्वारा ली गयी रकम उपरोक्त बतायी गयी रकम से काफी ज्यादा थी. मामला सामने आने पर पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति ने इस मामले में सभी आरोपों को सिरे से नकार दिया और इसे राजनीतिक बदले की कार्रवाई बताया.
ऐसे घेरे में आये कार्ति चिदंबरम
आइएनएक्स मीडिया के खिलाफ मामला दर्ज किये जाने के कई वर्ष बाद, पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम से जुड़ी एक कंपनी की जांच के दौरान ईडी को आइएनएक्स मीडिया से जुड़े कुछ दस्तावेज मिले.
ईडी काे ये दस्तावेज कार्ति के सीए भास्कररमण के कंप्यूटर से प्राप्त हुए. इसी दस्तावेज से संकेत मिले कि जिस समय वित्त मंत्रालय ने विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड (एफआइपीबी) की मंजूरी दी, उसी समय आइएनएक्स मीडिया द्वारा कार्ति की कथित कंपनी को भुगतान किया गया.
इडी के हवाले से मई 2017 में सीबीआइ ने इस मामले में भ्रष्टाचार का मुकदमा दर्ज किया और कार्ति और पी चिदंबरम दोनों से जुड़ी संपत्ति की तलाशी ली. इसके बाद इडी ने कार्ति के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया.
इंद्राणी और पीटर मुखर्जी के साथ संबंध
इंद्राणी मुखर्जी और उसके पति पीटर मुखर्जी ने साल 2007 में आइएनएक्स मीडिया की स्थापना की थी. दोनों पर आरोप है कि विदेशी निवेश और एफआइपीबी से आवश्यक अनुमोदन के उल्लंघन पर होनेवाली कार्रवाई से बचने के लिए पी चिदंबरम और कार्ति चिदंबरम के साथ मिल कर षड्यंत्र किया.
मार्च 2018 में इंद्राणी मुखर्जी ने सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज बयान में यह स्वीकार किया कि आइएनएक्स मीडिया के पक्ष में एफआइपीबी से मंजूरी प्राप्त करने के लिए कार्ति के साथ 10 लाख डॉलर का सौदा हुआ था. बेटी शीना वोरा की हत्या की मुख्य अभियुक्त इंद्राणी मुखर्जी को दिल्ली की अदालत ने आइएनएक्स मामले में गवाह बनाने की मंजूरी दे दी थी. इंद्राणी ने अपनी अर्जी में पूर्ण और सही गवाही के लिए उक्त मामले में क्षमा की मांग की है.
ईडी ने दर्ज किये अधिकारियों के बयान
आईएनएक्स मामले में तीन शीर्ष अधिकारियों ने ईडी के समक्ष अपना बयान दर्ज कराया है. आर्थिक मामलों के विभाग के तत्कालीन सचिव डी सुब्बाराव ने कहा कि वास्तव में आईएनएक्स में डाउनस्ट्रीम इन्वेस्टमेंट हुअा है, तो एफआईपीबी यूनिट काे कंपनी से इस बात की पुष्टि करनी चाहिए थी.
एफआइपीबी यूनिट की यह जिम्मेदारी थी कि वह बोर्ड को इससे अवगत कराये. एफआइपीबी के तत्कालीन अध्यक्ष डीके सिंह और वित्त मंत्रालय में अधिकारी रहे पीके बग्गा ने भी कहा कि अनुमति से अधिक एफडीआइ मंगाने और एफआइपीबी की मंजूरी के बिना डाउनस्ट्रीम इन्वेस्टमेंट की शिकायत आरबीआई से की जानी चाहिए थी.
उच्चतम न्यायालय से इडी को झटका
उ च्चतम न्यायालय ने आईएनएक्स मीडिया मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी द्वारा दाखिल मुकदमे के सिलसिले में 23 अगस्त, 2019 को पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम को अंतरिम संरक्षण प्रदान किया. इससे ईडी द्वारा उनकी गिरफ्तारी पर 26 अगस्त तक राेक लग गयी. हालांकि, इसके बावजूद पूर्व वित्तमंत्री को सीबीआई की हिरासत में रहना होगा, क्योंकि सीबीआई मामले में अदालत ने किसी तरीके का हस्तक्षेप नहीं किया.
सीबीआई व ईडी के मुकदमे के खिलाफ गिरफ्तारी से बचने और अंतरिम संरक्षण के लिए चिदंबरम द्वारा दायर की गयी याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने यह फैसला सुनाया.
इसके बाद सुनवाई सोमवार तक के लिए स्थगित हो गयी. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि चिदंबरम हमेशा जमानत पर थे और वे ईडी की जांच में सहयोग कर रहे थे. अदालत का यह फैसला ईडी के लिए एक झटका है, क्योंकि अभी वह पूर्व मंत्री काे हिरासत में लेकर पूछताछ नहीं कर पायेगी.
इडी ने दर्ज किया फेमा उल्लंघन का मामला
जनवरी 2008 में वित्त मंत्रालय की वित्तीय खुफिया इकाई (एफआइयू-आइएनडी) ने पीटर मुखर्जी और इंद्राणी मुखर्जी के स्वामित्व वाली आइएनएक्स मीडिया प्राइवेट लिमिटेड में 305 करोड़ रुपये से अधिक के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के बारे में बताया था.
यह निवेश मॉरीशस स्थित तीन कंपनियों ने किया था. इसके बाद मुंबई के आयकर विभाग ने इस मामले को प्रत्यर्पण निदेशालय को भेज दिया. वर्ष 2010 में, प्रत्यर्पण निदेशालय ने आइएनएक्स मीडिया के खिलाफ कथित तौर पर विदेशी विनिमय नियमन अधिनियम (फेमा) के उल्लंघन का मामला दर्ज किया.
गिरफ्तारी से पहले चिदंबरम का बयान
चिदंबरम के आवास पर सीबीआइ द्वारा उन्हें हिरासत में लिये जाने से पहले कांग्रेस दफ्तर में प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया. प्रेस वार्ता में चिदंबरम ने कहा कि वे अपने हितों की रक्षा के लिए कानून की शरण में गये हैं.
उनका कहना था कि आइएनएक्स मीडिया केस में उन पर कोई अापराधिक आरोप नहीं है. चिदंबरम ने कहा कि उनके परिवार से जुड़ा कोई भी व्यक्ति इस मामले में अभियुक्त नहीं है और न ही ईडी व सीबीआइ ने किसी अदालत के समक्ष कोई चार्जशीट दाखिल की है. उन्होंने पूरे मामले में उनके और बेटे के खिलाफ झूठ फैलाये जाने का आरोप लगाया.
नहीं मिली अग्रिम जमानत
चिदंबरम को जब ईडी और सीबीआइ ने पूछताछ के लिए बुलाया, तो गिरफ्तारी से बचने के लिए उन्होंने अदालत से अग्रिम जमानत मांगी. इससे पहले 31 मई, 2018 और 25 जुलाई, 2018 को हाइकोर्ट के आदेश से उन्हें अग्रिम जमानत मिली थी. चिदंबरम के अनुसार, बीते एक साल से अधिक समय तक चिदंबरम को अग्रिम जमानत प्राप्त थी.
वर्तमान मामले की अंतिम सुनवाई 25 जनवरी को पूरी हो गयी थी और फैसला सुरक्षित रख लिया गया था. सात महीने के बाद हाइकोर्ट ने चिदंबरम की अग्रिम जमानत रद्द कर दी. उन्होंने कहा कि फैसला जो भी हो, वे कानून का सम्मान करेंगे.
इडी ने चिदंबरम पर लगाये गंभीर आरोप
उच्चतम न्यायालय में अपनी दलील रखते हुए 23 अगस्त को ईडी ने चिदंबरम पर गंभीर आरोप लगाये. ईडी ने कहा कि आइएनएक्स मीडिया समूह के एफआइपीबी मंजूरी के लिए जब इंद्राणी और पीटर मुखर्जी तत्कालीन वित्तमंत्री पी चिदंबरम से मिले, तो उन्होंने उनसे कहा कि ‘मेरे बेटे का ख्याल रखना.’ ईडी ने अदालत में यह थी कहा कि जांच के दौरान पाया गया कि चिदंबरम के पास विदेश में 11 अचल संपत्ति और 17 बैंक खाते हैं.
एयरसेल-मैक्सिस सौदे में भी आरोप
केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) साल 2006 में हुए एयरसेल-मैक्सिस सौदे में भी चिदंबरम की भूमिका की जांच कर रही है. मलेशियाई कंपनी मैक्सिस ने 3500 करोड़ रुपये में एयरसेल में 100 फीसदी हिस्सेदारी प्राप्त की थी. उस वक्त चिदंबरम केंद्रीय वित्त मंत्री थे. इस मामले में चिदंबरम ने नियमों का उल्लंघन कर सौदे को रजामंदी दी थी.
विदेशी निवेश को स्वीकृति देने के लिए वित्तमंत्री की सीमा 600 करोड़ है, फिर भी 3500 करोड़ रुपये की एयरसेल-मैक्सिस डील को आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति की मंजूरी के बगैर ही पास कर दिया गया. इस मामले में चिदंबरम और उनके परिवार पर हवाला का केस दर्ज है. हालांकि, चिदंबरम ने खुद पर और बेटे के खिलाफ लगे सभी आरोपों का खारिज कर दिया है. वे सभी आरोपों को राजनीतिक प्रतिशोध बताते हैं.
कब क्या हुआ
15 मई 2017 : सीबीआइ ने प्राथमिकी दर्ज की और आरोप लगाया कि 2007 में आइएनएक्स को विदेश से मिले 305 करोड़ रुपये मामले में विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआइपीबी) की मंजूरी हासिल करने में नियमितताएं बरती गयीं. उस दौरान पी चिदंबरम वित्त मंत्री थे. इसी महीने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस मामले को लेकर मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया.
16 जून, 2017 : फॉरेन रीजनल रजिस्ट्रेशन ऑफिसर और ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन ने कार्ति चिदंबरम के खिलाफ लुक-आउट सर्कुलर जारी किया.
10 अगस्त, 2017 : मद्रास उच्च न्यायालय ने कार्ति और चार अन्य लोगों के खिलाफ जारी लुक-आउट सर्कुलर पर रोक लगा दी.
14 अगस्त, 2017 : उच्चतम न्यायालय ने उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगायी.
18 अगस्त, 2017 : उच्चतम न्यायालय ने कार्ति को 23 अगस्त को सीबीआइ के समक्ष पेश होने का आदेश दिया.
11 सितंबर, 2017 : सीबीआइ ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि उसने विदेश में ‘संभावित लेनदेन’ और कार्ति के कथित 25 ऑफशोर प्रॉपर्टीज की जांच के विवरण को एक सीलबंद लिफाफे में प्रस्तुत किया है.
22 सितंबर, 2017 : सीबीआइ ने उच्चतम न्यायालय से कहा कि कार्ति की विदेश यात्रा पर इसलिए रोक लगायी गयी है, क्योंकि कथित तौर पर वे अपने विदेशी बैंक अकाउंट को बंद कर रहे हैं.
9 अक्तूबर, 2017 : कार्ति ने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में बेटी के दाखिले के लिए विदेश जाने की अनुमति मांगी. इसी दिन पी चिदंबरम ने उच्चतम न्यायालय में कहा कि सरकार राजनीतिक कारणों से उन्हें और बेटे कार्ति को फंसा रही है.
20 नवंबर, 2017 : उच्चतम न्यायालय ने कार्ति को उनकी बेटी के दाखिले के लिए ब्रिटेन जाने की अनुमति प्रदान की.
8 दिसंबर, 2017 : एयरसेल-मैक्सिस मामले में अपने खिलाफ जारी सीबीआइ के समन को कार्ति ने उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी.
16 फरवरी, 2018 : कार्ति के सीए एस भास्कररमण को गिरफ्तार किया गया. वह कार्ति के पैसे का प्रबंधन करने में उनकी मदद कर रहे हैं.
23 फरवरी 2018 : आइएनएक्स मीडिया केस में कार्ति को उच्चतम न्यायालय से राहत नहीं मिली. अदालत ने उन्हें एक मार्च को प्रवर्तन निदेशालय के सामने पेश होने का आदेश दिया.
28 फरवरी 2018 : सीबीआइ चेन्नई एयरपोर्ट पर कार्ति को गिरफ्तार कर दिल्ली ले आयी. दिल्ली उच्च न्यायालय ने उन्हें एक दिन की पुलिस हिरासत में भेजा. इसी दिन पी चिदंबरम सुप्रीम कोर्ट पहुंचे. याचिका दाखिल किये जाने से पहले ही कार्ति गिरफ्तार हो गये.
चिदंबरम ने बताया कि वित्तमंत्री रहते हुए 2007 में उन्होंने ही आईएनएक्स मीडिया को फॉरेन इन्वेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड (एफआइपीबी) की अनुमति दी थी. इससे उनके बेटे या परिवार के किसी व्यक्ति का कोई संबंध नहीं है.
5 मार्च, 2018 : मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी के समन को चुनौती देने के लिए कार्ति उच्चतम न्यायालय गये.श्
6 मार्च, 2018 : विशेष अदालत ने कार्ति को तीन दिन के लिए सीबीआइ की हिरासत में भेजा.
12 मार्च, 2018 : दिल्ली की एक अदालत ने कार्ति को 12 दिन के लिए न्यायिक हिरासत में भेजा. भ्रष्टाचार मामले में जमानत के लिए कार्ति दिल्ली उच्च न्यायालय पहुंचे.
15 मार्च, 2018 : उच्चतम न्यायालय ने कार्ति को अंतरिम सुरक्षा प्रदान की. ईडी कार्ति को गिरफ्तार नहीं कर सकी.
23 मार्च, 2018 : आइएनएक्स मामले में कार्ति को दिल्ली उच्च न्यायालय ने 10 लाख के निजी मुचलके पर जमानत दी. ईडी ने कार्ति और उनकी कंपनी की 1.16 करोड़ की संपत्ति जब्त की.
31 मार्च, 2018 : आइएनएक्स मामले में पटियाला हाउस अदालत ने पीटर मुखर्जी को 13 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में भेजा. जांच एजेंसियों ने कहा था कि वह पीटर की हिरासत चाहती है, ताकि वह उन्हें कार्ति के सामने बैठा कर पूछताछ कर सके.
31 मई, 2018 : आइएनएक्स मामले में पी चिदंबरम की गिरफ्तारी पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने तीन जुलाई तक अंतरिम रोक लगायी.
6 जून, 2018 : चिदंबरम से सीबीआइ ने चार घंटे तक पूछताछ की.
23 जुलाई, 2018 : ईडी के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अग्रिम जमानत के लिए कांग्रेस नेताओं ने दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया.
25 जुलाई 2018 : दिल्ली उच्च न्यायालय ने पी चिदंबरम की गिरफ्तारी पर रोक लगायी.
11 अक्तूबर, 2018 : प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने भारत, ब्रिटेन और स्पेन स्थित कार्ति चिदंबरम की 54 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की.
25 अक्तूबर 2018 : जांच एजेंसी ने आरोप पत्र दाखिल किया.
29 नवंबर 2018 : दिल्ली उच्च न्यायालय ने चिदंबरम की गिरफ्तारी पर 15 जनवरी तक अंतरिम रोक लगायी.
19 दिसंबर 2018 : प्रवर्तन निदेशालय के समन पर पी चिदंबरम निदेशालय के दफ्तर पहुंचे.
21 जून, 2019 : आइएनएक्स में कथित संलिप्तता को लेकर केंद्रीय सतर्कता आयोग ने वित्त मंत्रालय के पूर्व नौकरशाहों, सिंधुश्री खुल्लर और अनूप के पुजारी पर मुकदमे की मंजूरी मांगी.
11 जुलाई, 2019 : शीना वोरा हत्या के आरोप में जेल में बंद आइएनएक्स की प्रमुख इंद्राणी मुखर्जी गवाह बनीं.
20 अगस्त, 2019 : दिल्ली उच्च न्यायालय ने पी चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी.
21 अगस्त, 2019 : सीबीआइ ने चिदंबरम को हिरासत में लिया और सीबीआइ मुख्यालय ले गयी.
22 अगस्त, 2019 : चिदंबरम को दिल्ली में सीबीआइ की विशेष अदालत के समक्ष पेश किया गया और 26 अगस्त तक के लिए सीबीआइ हिरासत में भेज दिया गया.