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मसूद को बचाने की चालें चलता चीन, जानें वैश्विक आतंकी घोषित करने की प्रक्रिया

हालिया दो दशकों में जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर ने कई आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया है. इसे देखते हुए साल 2009, 2016, 2017 में भी कोशिश की गयी थी कि मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित किया जाये और उस पर शिकंजा कसा जाये. लेकिन, हर बार चीन इस कोशिश पर पानी फेर देता […]

हालिया दो दशकों में जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर ने कई आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया है. इसे देखते हुए साल 2009, 2016, 2017 में भी कोशिश की गयी थी कि मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित किया जाये और उस पर शिकंजा कसा जाये. लेकिन, हर बार चीन इस कोशिश पर पानी फेर देता है.
साल 2009: 26 नवंबर 2008 को मुंबई पर बड़ा आतंकी हमला हुआ था. जिसके बाद मसूद अजहर की इस हमले में संलिप्तता को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र में साल 2009 में प्रस्ताव लाया गया था कि अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित किया जाये. भारत को दुनियाभर से सहयोग मिला था और 13 देशों ने भरपूर समर्थन दिया था. लेकिन, चीन ने मसूद के खिलाफ सबूत दिखाने की बात करके प्रस्ताव के खिलाफ वीटो का प्रयोग किया था.
साल 2016: मसूद अजहर पर वैश्विक आतंकी घोषित कर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव साल 2016 में भी आया था. जनवरी, 2016 में पठानकोट वायुसेना हवाई अड्डे पर बड़ा आतंकी हमला हुआ था, जिसका मास्टरमाइंड मसूद अजहर था. संयुक्त राष्ट्र में मसूद को ग्लोबल आतंकी घोषित करने का प्रस्ताव लाया गया, जिसे 14 देशों के वोट भी मिले, लेकिन चीन ने एक बार फिर सबूत दिखाने की रट लगाकर मार्च और अक्तूबर, 2016 में दो बार इस प्रस्ताव पर तकनीकी रोक लगा दी.
साल 2017: सितंबर, 2016 में उरी में सेना के जवानों पर आतंकी हमला हुआ था, जिसमें 19 जवानों की जान चली गयी थी. इस हमले का मास्टरमाइंड भी मसूद अजहर ही था. जिसके बाद, साल 2017 में पी-3 देश अजहर मसूद के खिलाफ प्रस्ताव लेकर आये थे और पी-3 देशों के इस प्रस्ताव का समर्थन अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने खुलकर किया था. लेकिन, एक बार फिर प्रस्ताव पर सबूत के अभाव व आम सहमति न बनने का बहाना देकर चीन ने विरोध किया और मसूद अजहर को ग्लोबल आतंकी घोषित होने से रोक दिया.
साल 2019: पिछले माह 14 फरवरी, 2019 को पुलवामा में सीआरपीएफ की बस पर फिदायीन हमला हुआ, जिसमें देश के 40 से अधिक जवान शहीद हो गये थे. इस भयानक आतंकी हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी, जिसका सरगना आतंकी मसूद अजहर है. पुलवामा हमले के बाद दुनिया के सभी प्रमुख देश भारत के समर्थन में आये और हर संभव मदद की पेशकश भी की.
इसके बाद, अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस आगे बढ़कर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में प्रस्ताव ले आये कि अब मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित किया जाये और प्रतिबंधित कर दिया जाये. इस प्रस्ताव पर विचार करने व आपत्ति दर्ज कराने के लिए 10 दिन का समय भी दिया था, लेकिन प्रस्ताव पर विचार करने के लिए 10 दिन के समय को कम बताकर चीन ने प्रस्ताव पर तकनीकी रोक लगा दी.
वैश्विक आतंकी घोषित करने की प्रक्रिया
किसी भी व्यक्ति को वैश्विक आतंकी घोषित करने का फैसला संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद करती है. इसमें अमेरिका, चीन, फ्रांस, ब्रिटेन और रूस स्थाई सदस्य हैं और दस अस्थाई सदस्य होते हैं. वैश्विक आतंकी घोषित करने के लिए सुरक्षा परिषद के सदस्य देशों में से कोई भी इसका प्रस्ताव ला सकता है.
इसके बाद बाकी सदस्य देश इस पर अपना मत रखते हैं. ऐसे प्रस्ताव पर पांचों स्थाई सदस्यों का सहमत होना जरूरी है. परिषद के स्थाई सदस्यों के पास वीटो पावर यानी प्रस्ताव से असहमत होने का अधिकार होता है. प्रस्ताव आने के बाद 10 दिनों (कार्य दिवसों) तक इस पर आपत्तियां मांगी जाती हैं.
अगर कोई स्थाई सदस्य इस अवधि में आपत्ति दर्ज नहीं करवाता तो प्रस्ताव पास हो जाता है. इसके बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद समिति प्रस्ताव 1267 सूची में उस व्यक्ति का नाम दर्ज हो जाता है और वह वैश्विक आतंकी घोषित हो जाता है. लेकिन यदि किसी सदस्य ने इस प्रस्ताव पर आपत्ति जता दी यानी वीटो कर दिया तो यह प्रस्ताव पास नहीं होता. आपत्ति जताये जाने के बाद यह प्रस्ताव कम से कम छह महीने के लिए रुक जाता है. यह आपत्ति तीन महीने और बढ़ाई जा सकती है. इसके बाद फिर से इस प्रस्ताव को लाया जा सकता है.
क्या है दंड विधान?
जब किसी व्यक्ति को वैश्विक आतंकी घोषित किया जाता है तो उसकी संपत्ति जिस देश में होती है, वह देश उसे तुरंत जब्त कर लेता है. साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि वैश्विक आतंकी घोषित किये गये व्यक्ति को कहीं से किसी तरह की वित्तीय मदद न मिलने पाये.
एेसे व्यक्ति को किसी भी देश में प्रवेश की अनुमति नहीं मिलती है. इतना ही नहीं, वह व्यक्ति जिस देश में होगा वहां भी उसे किसी तरह की यात्रा करने की अनुमति नहीं होगी.
कोई भी देश ऐसे व्यक्ति को हथियार, हथियार बनाने में काम आने वाले सामान और तकनीकी सहायता मुहैया नहीं करा सकता है
Prabhat Khabar Digital Desk
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