लंदन : अंतरराष्ट्रीय जांचकर्ताओं ने दर्जनों देशों के बैंकों, अस्पतालों और सरकारी एजेंसियों आदि के सिस्टमों को प्रभावित करने वाले अभूतपूर्व साइबर हमले के पीछे के लोगों की तलाश शुरू कर दी है. इसी बीच सुरक्षा विशेषज्ञों ने इस स्थिति को नियंत्रण में लाने की कोशिश में हैं.
शुक्रवार को हुए इस साइबर हमले को अब तक का सबसे बड़ा साइबर फिरौती हमला माना जा रहा है. इस हमले के कारण दुनिया भर की विभिन्न सरकारी एजेंसियां और बड़ी कंपनियां एक तरह से बंधक बन गईं. प्रभावित हुई संस्थाओं में रुसी बैंकों से लेकर ब्रिटिश अस्पताल, फेडएक्स और यूरोपीय कार फैक्ट्रियां तक शामिल थीं.
यूरोप की पुलिस एजेंसी यूरोपूल ने कहा, ‘‘हलिया हमला अभूतपूर्व स्तर का है और दोषियों का पता लगाने के लिए एक जटिल अंतरराष्ट्रीय जांच की जरुरत होगी.” यूरोपूल ने कहा कि उसके यूरोपियन साइबरक्राइम सेंटर में एक विशेष कार्य बल को ‘‘ऐसी जांचों में मदद करने के लिए विशेष तौर पर तैयार किया गया है और यह जांच में सहयोग के लिए अहम भूमिका निभाएगा.”
हमलावरों ने फिरौती वसूलने वाले एक ऐसे वायरस का इस्तेमाल किया, जिसने माइक्रोसॉफ्ट ऑपरेटिंग सिस्टम की एक सुरक्षा खामी का गलत फायदा उठाया. यह प्रयोगकर्ताओं की फाइलों को तब तक के लिए लॉक कर देता है, जब तक वे हमलावर द्वारा तय की गई राशि का भुगतान वर्चुअल मुद्रा बिटक्वायन में नहीं कर देते.
पीड़ितों से बिटक्वायन में 300 डॉलर के भुगतान की मांग करने वाला जो संदेश पीड़ितों की स्क्रीन पर आया, उसमें लिखा था, ‘‘उप्स, योर फाइल्स हैव बीन एनक्रिप्टेड”. स्क्रीन पर आए संदेश के अनुसार, भुगतान तीन दिन में किया जाना चाहिए वर्ना राशि दोगुना कर दी जाएगी. यदि सात दिन में राशि नहीं दी जाती है तो फाइलें डिलीट कर दी जाएंगी. लेकिन विशेषज्ञों और सरकार ने हैकरों की मांग न मानने के लिए कहा.
अमेरिकी गृह सुरक्षा मंत्रालय के कंप्यूटर आपात प्रतिक्रिया दल ने कहा, ‘‘फिरौती दे देना इस बात की गारंटी नहीं है कि एनक्रेप्टिड फाइलें छोड़ दी जाएंगी।” इस दल ने कहा, ‘‘इससे सिर्फ यह सुनिश्चित होता है कि वायरस फैलाने वालों के पीड़ित का धन मिल जाता है और कुछ मामलों में उन्हें उनकी बैंक संबंधी जानकारी भी मिल जाती है.” फ्रांस की पुलिस ने कहा कि दुनिया भर में ‘‘75 हजार से ज्यादा पीड़ित” हैं लेकिन उसने यह चेतावनी भी दी कि यह संख्या बढ़ भी सकती है.