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जनाब शौक के लिए लड़ते हैं चुनाव

बरहमपुर (ओड़िशा): कुछ लोगों के लिए चुनाव जीने-मरने का सवाल होता है, पर जनाब के लिए इनका पसंदीदा शगल है. के श्याम बाबू सुबुधी लोकसभा और विधानसभा के 27 चुनाव लड़ चुके हैं. यह बात दीगर है कि जीते कभी नहीं. हर बार जमानत जब्त हुई. फिर भी हौसले पस्त नहीं हुए. के श्याम बाबू […]

बरहमपुर (ओड़िशा): कुछ लोगों के लिए चुनाव जीने-मरने का सवाल होता है, पर जनाब के लिए इनका पसंदीदा शगल है. के श्याम बाबू सुबुधी लोकसभा और विधानसभा के 27 चुनाव लड़ चुके हैं.

यह बात दीगर है कि जीते कभी नहीं. हर बार जमानत जब्त हुई. फिर भी हौसले पस्त नहीं हुए. के श्याम बाबू सुबुधी (76) फिर शौक पूरा करने के लिए बरहमपुर व अस्का लोकसभा से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने जा रहे हैं और अपने अंदाज में चुनाव प्रचार भी शुरू कर चुके हैं. यहां 10 अप्रैल को मतदान होगा.

उन्होंने कहा, ‘15 मार्च को बरहमपुर से और 16 मार्च को अस्का से पर्चा भर दूंगा.’ देश में सबसे ज्यादा चुनाव लड़ने का रिकॉर्ड बनाने का इरादा रख कर इस अनोखे अभियान में जुटे श्याम बाबू ने कहा, ‘जब मैं चुनाव लड़ता हूं, तो निश्चित रूप से जीतने की उम्मीद भी रखता हूं. इस बार भी मेरी जीत की संभावना बहुत ज्यादा है, क्योंकि लोग बाकी लोगों से तंग हो चुके हैं.’ होम्योपैथी के डॉक्टर उम्मीद भले ही जीत की रखते हों, लेकिन सच यह है कि लोकसभा के 17 और विधानसभा के 10 चुनाव में जमानत जब्त करवा चुके हैं.

1957 से लड़ रहे हैं चुनाव
श्याम बाबू का शौक बहुत पुराना है. 1957 में पूर्व मंत्री और सियासी दिग्गज बृंदावन नायक के खिलाफ सियासी पारी की शुरुआत की थी. उसके बाद पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव, ओड़िशा के पूर्व मुख्यमंत्री बीजू पटनायक और जेबी पटनायक विभिन्न चुनावों में उनके प्रतिद्वंद्वी रह चुके हैं. प्रचार के लिए कभी वाहनों और इश्तहार, पोस्टरों की मदद नहीं लेनेवाले श्याम बाबू स्थानीय मतदाताओं से वोट मांगने के लिए अपनी साइकिल पर निकलते हैं और ज्यादा दूर जाना हो, तो बस या ट्रेन से जाते हैं.

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