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हॉबी पर ध्यान देना है बहुत जरूरी

।। दक्षा वैदकर ।। मेरी कॉलोनी में एक लड़का रहता था. स्कूल के दिनों से ही उसका पढ़ाई-लिखाई में बिल्कुल मन नहीं था. वह प्राकृतिक जगहों की सैर करानेवाली एक संस्था से जुड़ गया था और हर हफ्ते ट्रैकिंग पर जाया करता था. उसने स्कूलिंग जैसे-तैसे पूरी की, लेकिन दो बार फेल होने की वजह […]

।। दक्षा वैदकर ।।

मेरी कॉलोनी में एक लड़का रहता था. स्कूल के दिनों से ही उसका पढ़ाई-लिखाई में बिल्कुल मन नहीं था. वह प्राकृतिक जगहों की सैर करानेवाली एक संस्था से जुड़ गया था और हर हफ्ते ट्रैकिंग पर जाया करता था. उसने स्कूलिंग जैसे-तैसे पूरी की, लेकिन दो बार फेल होने की वजह से उसने पढ़ाई छोड़ दी.

परिवार की चिंता बढ़ती ही जा रही थी, क्योंकि लड़के की उम्र शादी की हो गयी थी और उसे नौकरी नहीं मिल रही थी. परिवार के लोगों की पहचान से जहां भी उसे छोटी-मोटी नौकरी लगती, वह ट्रैकिंग के लिए इतनी छुट्टियां मारता कि उसे नौकरी से निकाल दिया जाता. लड़के की इस आदत की वजह से सभी परेशान थे.

सबसे बड़ी बात कि खुद लड़के को इसकी परवाह ही नहीं थी. वह तो हर दूसरे दिन ट्रैकिंग पर जाता और घूमते-घूमते पेड़ों की अजीब टहनियां इकट्ठी करता, जो कभी किसी जानवर से मेल खाती थीं, तो कभी मछली से. वह उन लकड़ियों को घर पर लाता और बैठे-बैठे उन्हें फिनिशिंग देता. पूरा कमरा लकड़ी के बुरादों से भर जाता. उसके पिता कई बार वे लकड़ियां गुस्से में बाहर फेंक देते, लेकिन वह चुपके से उन्हें दोबारा घर में ले आता.

कुछ चार-पांच महीने पहले उसने एक बहुत बड़े पेड़ का तना देखा, जिसका आकार कुछ अजीब-सा था. उसने जड़ सहित पेड़ उखाड़ा और गाड़ी में भर कर ले आया. इतना बड़ा पेड़ का तना कमरे में देख परिवार वाले उस पर खूब चिल्लाये, लेकिन उसने किसी की नहीं सुनी. तीन महीने की मेहनत के बाद उसने उस तने में चार जानवरों की आकृतियां कार्विग करके उभारी. ऊपरी हिस्से को समानांतर किया और बड़ा कांच उस पर फिट किया.

अब यह एक खूबसूरत व मॉडर्न स्टाइल का टेबल बन चुका था. ट्रैकिंग में ही उसकी मुलाकात एक अमीर बिजनेसमैन से हुई थी, जिसने बातचीत के दौरान उस टेबुल की तसवीरें उसके मोबाइल पर देखी. उसने वह टेबल एक लाख में खरीद लिया. इतना ही नहीं, अब उस लड़के द्वारा लकड़ियों से तैयार की गयी विभिन्न आकृतियों की प्रदर्शनी भी लगनेवाली है. अब परिवार वाले उस पर गर्व करते हैं.

बात पते की..

– पैरेंट्स को चाहिए कि बच्चे की हॉबीज पर भी ध्यान दें. क्योंकि जब हॉबी ही काम या बिजनेस बन जाती है, तो प्रॉफिट होता ही है.

– यह न सोचें कि जो काम हमारे खानदान में किसी ने नहीं किया है, उसे करना बेकार है. शुरुआत तो कहीं से भी हो सकती है.

Prabhat Khabar Digital Desk
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