चिंताजनक. राज्य सरकार और पारा शिक्षकों के बीच खींचतान, मजाक बन गयी प्राथमिक शिक्षा
कुछ मामलों में राज्य सरकार के शिक्षा विभाग की नीतियां स्पष्ट नहीं होने से राज्य की प्राथमिक शिक्षा ध्वस्त होती जा रही है. मांगाें को लेकर आये दिन पारा शिक्षक, शिक्षा परियोजनाकर्मी और बीआरपी-सीआरपी के कर्मचारी हड़ताल कर रहे हैं. इससे खासकर ग्रामीण इलाकों में स्कूलों की पढ़ाई ठप हो जा रही है.
गौरतलब है कि राज्य में करीब 41000 प्राथमिक और उत्क्रमित मध्य विद्यालय हैं, जिनमें से 15000 से ज्यादा स्कूल केवल पारा शिक्षकों के भरोसे ही चलते हैं. ऐसे में सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि जब इन स्कूलों में पढ़ाने वाले पारा शिक्षक अपनी मांगों को लेकर कई हफ्तों तक हड़ताल पर चले जाते होंगे, तो इन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों का क्या हाल होता होगा. एक ओर राज्य सरकार प्राथमिक शिक्षा पर हर साल करोड़ों रुपये खर्च करती है, लेकिन कुछ अनसुलझे मुद्दों की वजह से राज्य की प्राथमिक शिक्षा मजाक बनकर रह गयी है.
रांची : यह कहना गलत नहीं होगा कि राज्य सरकार और पारा शिक्षकों के बीच चल रही खींचतान में प्राथमिक स्कूलों के हजारों बच्चों का भविष्य पिस रहा है. यह समस्या तभी से कायम है, जब से पारा शिक्षकों की नियुक्ति शुरू हुई है. प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए पूरे देश में सर्व शिक्षा अभियान चलाया जा रहा है.
अभियान के तहत केंद्र सरकार प्रतिवर्ष अरबों रुपये खर्च भी कर रही है. हर एक किमी पर एक प्राथमिक और दो किमी मध्य विद्यालय की स्थापना की जा रही है. पारा शिक्षकों और शिक्षा कर्मियों की नियुक्ति भी इसी अभियान का हिस्सा हैं. झारखंड में आंदोलनरत पारा शिक्षकों, शिक्षा परियोजनाकर्मियों और बीआरपी-सीआरपी के कर्मचारियों का कहना है कि वे नियुक्ति के समय से ही समस्या से त्रस्त हैं. धरना-प्रदर्शन और हड़ताल का सिलसिला भी जारी है. हर बार राज्य सरकार आंदोलनकारी संगठनों से वार्ता अौर समझाैता भी करती है, लेकिन इन समझौतों पर अमल नहीं किया जाता है. उधर, हड़ताल का सीधा असर बच्चों की पढ़ाई पर पड़ रहा है.
इसलिए हड़ताल कर रहे हैं पारा शिक्षक : पारा शिक्षक अपनी सेवा स्थायी करने की मांग कर रहे हैं. वे चाहते हैं कि उन्हें सरकारी शिक्षक के पद पर समायोजित किया जाये और उसी के अनुरूप उन्हें वेतन दिया जाये. इसे लेकर पारा शिक्षक महासंघ कई बार आंदोलन कर चुका है.
हर आंदाेलन के बाद राज्य सरकार मानदेय में बढ़ोतरी कर देती है. हालांकि, इस बार पारा शिक्षक केवल मानदेय बढ़ोतरी की शर्त पर अपना आंदोलन वापस लेने को तैयार नहीं हैं. वे पड़ोसी राज्य बिहार और छत्तीसगढ़ की तर्ज पर सेवा स्थायी करने व निश्चित वेतनमान देने की मांग रहे हैं.
संविदा पर नियुक्त हुए पारा शिक्षक : राज्य गठन के समय प्राथमिक और मध्य विद्यालयों की संख्या लगभग 19,000 थी. सर्व शिक्षा अभियान शुरू होने के बाद विद्यालयों की संख्या करीब 41,000 पहुंच गयी. अपग्रेड कर 19,257 इजीएस को प्राथमिक और 10,258 प्राथमिक को मध्य विद्यालय बनाया गया. विद्यालयों में पारा शिक्षकों की नियुक्ति ग्राम शिक्षा समिति द्वारा की गयी. उनकी नियुक्ति संविदा के आधार पर की गयी थी और उनका मानदेय 500 रुपये प्रतिमाह तय किया गया था.
समायोजन नीति बनाये सरकार :
झारखंड प्रदेश पारा शिक्षक संघ के अध्यक्ष संजय दुबे ने
कहा है कि सरकार ने अब तक पारा शिक्षकों के साथ विश्वासघात किया है. पारा शिक्षक अब तक आश्वासन पर आंदोलन समाप्त करते रहे हैं, लेकिन अब जब तक मांग पूरी नहीं होगी आंदोलन जारी रहेगा. हमारी मांग है कि सरकार पारा शिक्षकों के लिए समायोजन नीति बनाये व गत वर्ष हुए समझौता को लागू करे.
पारा शिक्षकों के विभिन्न गुट अब तक अपनी मांग को लेकर 166 दिन हड़ताल कर चुके हैं. वर्ष 2010 में 49 दिनों तक हड़ताल चली थी. इसके पहले वर्ष 2007 में 30 दिन, 2008 में 33 दिन तथा 2009 में 40 दिनों तक पारा शिक्षक हड़ताल पर रहे. आंदोलन के दौरान एक पारा शिक्षक की मौत भी हो चुकी है. वर्ष 2012 में सबसे अधिक 63 दिन शिक्षक हड़ताल पर रहे थे.
आज से हड़ताल पर जाने की तैयारी
टेट की अनिवार्यता से छूट देकर सरकारी शिक्षक के पद पर समायोजन करने, सात हजार अप्रशिक्षित शिक्षकों को प्रशिक्षण देने, 26 अगस्त 2015 को हुए पांच सूत्री समझाैते को लागू करने, रसोइयों के मानदेय में वृद्धि करने सहित अन्य मांगों को लेकर झारखंड प्रदेश पारा शिक्षक महासंघ ने 17 सितंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी है. मांगे पूरी होने के बाद ही (अधिसूचना जारी होने के बाद) शिक्षक हड़ताल से वापस लाैटेंगे. इस बार आर-पार की लड़ाई लड़ने के उद्देश्य से पारा शिक्षकों द्वारा तैयारी की जा रही है.
आंदोलन के बाद बढ़ जाता है मानदेय
सर्व शिक्षा अभियान के तहत नियुक्त हुए पारा शिक्षकों को शुरुआत में प्रतिमाह 500 रुपये मानदेय मिलता था. वर्ष 2003 में पारा शिक्षकों का मानेदय बढ़ा कर 1000 रुपये प्रतिमा किया गया. वर्ष 2004 में मानदेय बढ़ कर 2000 हो गया. वर्ष 2005 में आंदोलन के बाद पारा शिक्षकों के मानदेय को तीन स्लैब में बांटा गया. शिक्षकों को 2500, 3000 व 3500 रुपये दिया जाने लगा. वर्ष 2009 में मानदेय बढ़ाकर 5000, 5500 व 6000 रुपये कर दिया गया. वर्तमान में एक शिक्षक को न्यूनतम 6700 व अधिकतम 8400 रुपये मानदेय मिलता है.
िनयुक्ति में पारा शिक्षकों के लिए 50% सीटें आरक्षित हैं
रांची : झारखंड में पारा शिक्षक, शिक्षक नियुक्ति परीक्षा पास कर स्थायी सरकारी शिक्षक बन सकते हैं. राज्य में अब तक लगभग आठ हजार पारा शिक्षक स्थायी शिक्षक बनाये जा चुके हैं. राज्य में प्राथमिक शिक्षकों लिए होने वाली नियुक्त में पारा शिक्षकों के लिए 50 फीसदी सीटें आरक्षित की गयी हैं.
इसके लिए प्राथमिक शिक्षक नियुक्ति नियमावली में संशोधन किया गया है. राज्य में जब भी प्राथमिक शिक्षकों के लिए नियुक्ति परीक्षा होगी, कुल रिक्त पद के 50 फीसदी सीटें पारा शिक्षकों के लिए आरक्षित होंगी.
प्रमाण पत्रों का सत्यापन शुरू : पारा शिक्षकों के प्रमाण पत्रों का सत्यापन भी नहीं हुआ है. राज्य में लगभग 50 फीसदी पारा शिक्षकों के प्रमाण पत्र का सत्यापन बाकी है. सभी जिला शिक्षा अधीक्षक को प्रमाण पत्र सत्यापन कराने को कहा है. स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग द्वारा निर्देश दिये जाने के बाद भी अब तक प्रमाण पत्रों का सत्यापन नहीं हुअा है.
इन विषयों की देनी होती है परीक्षा
कक्षा एक से पांच के लिए
विषय अंक
बाल विकास एवं शिक्षण पद्धति 30
सहायक शिक्षक : हिंदी एवं अंगरेजी 30
उर्दू सहायक शिक्षक उर्दू एवं अंगरेजी
जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा 30
गणित 30
पर्यावरण अध्ययन 30
कक्षा छह से आठ के लिए
बाल विकास एवं शिक्षण पद्धति (अनिवार्य) 30
भाषा (अनिवार्य)सामान्य शिक्षक: हिंदी,अंगरेजी 30
उर्दू शिक्षक : उर्दू एवं अंगरेजी
क्षेत्रीय व जनजातीय भाषा (अनिवार्य) 30
गणित एवं विज्ञान (गणित एवं विज्ञान शिक्षक) 60
समाज अध्ययन (समाज अध्ययन के शिक्षक
के लिए या अन्य विषय के शिक्षक के लिए) 60
हड़ताल पर न जायें पारा शिक्षक : िशक्षा मंत्री
शिक्षा मंत्री डॉ नीरा यादव ने कहा है कि गत वर्ष पारा शिक्षकों से जिन बिंदुओं पर समझौता हुआ था उनमें से 25 फीसदी मानदेय बढ़ोतरी को छोड़ कर उनकी सभी मांगें पूरी कर दी गयी हैं. समझौते के दौरान ही पारा शिक्षकों को बता दिया गया था कि मानदेय में बढ़ोतरी भारत सरकार की सहमति के बाद ही किया जायेगा. इसके लिए प्रस्ताव केंद्र को भेजा गया था, लेकिन मानदेय में 25 फीसदी की बढ़ोतरी को स्वीकृति नहीं मिली. मानदेय बढ़ोतरी को लेकर प्रयास जारी है. पारा शिक्षकों से अपील है कि वे बच्चों के हित में हड़ताल पर न जायें.
तीसरी बार बेमियादी हड़ताल पर गये शिक्षा परियोजनाकर्मी
रांची : कुछ समय के अंतराल के बाद अपनी मांगों को लेकर झारखंड शिक्षा परियोजना के अधिकारी व कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गये हैं, जो अब भी जारी है. झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद कर्मी संघ के बैनर तले यह तीसरी अनिश्चितकालीन हड़ताल है.
संघ की मांग है कि उन्हें छठे वेतनमान के आधार पर नियमित वेतन का भुगतान किया जाये. कर्मियों का समूह जीवन बीमा आैर चिकित्सा बीमा कराया जाये. इस हड़ताल की वजह से परियोजना कार्यालयों में कामकाज ठप सा हो गया है. वहीं, सर्व शिक्षा अभियान का काम भी बंद है. हालांकि, हड़ताल समाप्त कराने की दिशा में पहल भी शुरू हो गयी है. निदेशक मुकेश कुमार ने स्वयं वार्ता की पहल की है. इससे पहले संघ के आह्वान पर वर्ष 2010 में 1 अप्रैल से 30 अप्रैल तक तथा वर्ष 2016 में 18 जनवरी से लेकर 17 फरवरी तक परियोजनाकर्मी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर रहे थे. लिखित समझाैता किया गया, लेकिन उसे अब तक लागू नहीं किया गया है.
समझाैता कर भूल जाती है सरकार
शिक्षा परियोजना परिषद कर्मी संघ अपनी तीन सूत्री मांगों को लेकर आंदोलन पर हैं. पूर्व में लिखित समझाैता किया गया था, लेकिन सरकार ने लागू ही नहीं किया. आंदोलन पर जाने को मजबूर किया गया. समझाैता कर अधिकारी भूल जाते हैं. हम अधिक कुछ नहीं मांग रहे हैं, बल्कि अपना हक मांग रहे हैं, जो नहीं दिया जा रहा है.
अभिनव कुमार, प्रवक्ता परियोजना परिषद कर्मी संघ
नहीं सुलझीं बीआरपी व सीआरपी की समस्याएं
रांची : झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद द्वारा संचालित सर्व शिक्षा अभियान के तहत संविदा पर नियुक्त 3262 बीआरपी व सीआरपी की समस्याएं अब तक नहीं सुलझ पायी हैं. 500 बीआरपी और 2762 सीआरपी राज्य के प्रखंडों में कार्यरत हैं. ये छह सूत्री मांगों के लिए समय-समय पर आंदोलन करते रहे हैं. मार्च 2016 में हुए समझाैता के किसी भी बिंदु को लागू नहीं करने के विरोध में बीआरपी-सीआरपी महासंघ झारखंड प्रदेश ने एक बार फिर आंदोलन पर उतरने की घोषणा की है. महासंघ द्वारा 19 सितंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की तैयारी की जा रही है. इनकी हड़ताल से निचले स्तर पर शिक्षा व्यवस्था प्रभावित होगी.
अब तक नहीं मिला बढ़ा हुआ मानदेय : बीआरपी, सीआरपी को नियुक्ति के समय दैनिक पारिश्रमिक मिलता था. बीआरपी को प्रतिदिन 150 रुपये व सीआरपी को 100 रुपये की दर से भुगतान किया जाता था. परियोजना परिषद ने अप्रैल 2010 से मासिक मानदेय देने का निर्णय लिया. बीआरपी को 9500 रुपये व सीआरपी को 9000 रुपये प्रतिमाह मानदेय तय हुआ. एक अप्रैल 2015 को मानदेय में 10 प्रतिशत वृद्धि करने का निर्णय लिया गया. वर्ष 2016 में भी 10 प्रतिशत मानदेय में बढ़ोतरी का निर्णय लिया गया, लेकिन उसका भुगतान अब तक शुरू नहीं हो पाया है.
इनके कंधों पर है कई कार्यों की जिम्मेवारी
स्कूलों में संचालित मध्याह्न भोजन (एमडीएम) योजना, सर्व शिक्षा अभियान से जुड़ी सभी योजनाअों के अनुश्रवण के साथ-साथ शिक्षकों को प्रशिक्षण देना, बाल समागम करना, खेल प्रतियोगिता, सांस्कृतिक कार्य सहित विद्यालय, संकुल व प्रखंड स्तर पर व्यवस्था से जुड़े अधिकतर कार्यों की जवाबदेही बीआरपी व सीआरपी की होती है. जिला, मुख्यालय व विभाग स्तर से मांगी गयी जानकारी, आंकड़ों का संग्रह कर रिपोर्ट तैयार करने की भी जिम्मेवारी इन्हीं के कंधे पर होती है.
बीआरपी-सीआरपी की मुख्य मांगें
अन्य राज्यों की तरह बीआरपी, सीआरपी, आरपी को वेतन-भत्ता व अन्य सुविधाअों का लाभ मिले
परियोजना की 38वीं कार्यकारिणी के निर्णय के अनुसार स्वीकृत पदों पर समंजन किया जाये
इपीएफ कटाैती के प्रावधान के अनुसार इपीएफ कटाैती का लाभ व जीवन बीमा का लाभ दिया जाये
प्राथमिक व उच्च विद्यालयों में शिक्षक नियुक्ति में बीआरपी, सीआरपी, आरपी को भी आरक्षण का लाभ मिले.
अनुश्रवण भत्ता नहीं मिलने पर प्रतिदिन तीन विद्यालय भ्रमण संबंधी आदेश निरस्त करें.
प्रखंड संसाधन केंद्र में प्रतिदिन जाकर भ्रमण पंजी में अनुश्रवण प्रतिवेदन अंकित करने का आदेश निरस्त की जाये
लिखित समझौता लागू नहीं हुआ
बीआरपी-सीआरपी महासंघ कभी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर नहीं गया है, लेकिन समय-समय पर धरना-प्रदर्शन करते रहे हैं. इसके पहले विधानसभा के समक्ष चार दिवसीय धरना दिया गया था. लिखित समझाैता हुआ, लेकिन उसे लागू नहीं किया जा रहा है. इससे क्षुब्ध होकर महासंघ ने आंदोलन पर उतरने का निर्णय लिया है. 17 सितंबर को सभी जिला मुख्यालयों में मशाल जुलूस निकाला जायेगा. 19 सितंबर से ये लोग हड़ताल पर जायेंगे.
पंकज शुक्ला, अध्यक्ष बीआरपी-सीआरपी महासंघ