ब्रिटेन के एक बड़े इस्लामिक प्रचारक अंजुम चौधरी को तथाकथित इस्लामिक स्टेट के लिए समर्थन जुटाने के जुर्म में साढ़े पांच साल जेल की सज़ा सुनाई गई है.
49 वर्षीय अंजुम चौधरी को चरमपंथी समूह आईएस के प्रति ऑनलाइन समर्थन देने का दोषी पाया गया.
पुलिस के मुताबिक़ चौधरी के अनुयायियों ने ब्रिटेन और विदेशों में हमलों को अंजाम दिया है.
चौधरी के सहयोगी 33 वर्षीय मोहम्मद मिज़ानुर रहमान को भी अदालत ने बराबर सज़ा दी.
अदालत ने दोनों दोषियों को 15 साल तक अपना पता बदलने से लेकर सभी जानकारियां पुलिस को देने का आदेश दिया है.
सुनवाई के दौरान ये बात भी सामने आई कि साल 2014 में आईएस के ख़िलाफ़त क़ायम करने के एलान के बाद इन दोनों ने अपने भाषणों में आईएस को समर्थन देने की अपील की थी.
अधिकारियों के मुताबिक़ अंजुम चौधरी प्रतिबंधित संगठन अल-मुहाजिरून को चलाने में मदद करते थे.
अल-मुहाजिरून संगठन नौजवान पुरूषों और महिलाओं को कट्टरपंथी बनाने का काम करता था, जिनमें 2013 में सैनिक ली रिग्बी की हत्या करने वाले भी शामिल हैं.
चरमपंथरोधी संस्थान सीपीएस के प्रमुख सू हेमिंग ने कहा, "दोनों को अच्छी तरह से मालूम था कि दाएश एक प्रतिबंधित आतंकवादी समूह है जो जघन्य घटनाओं के लिए ज़िम्मेदार है और दोनों जो काम कर रहे हैं वो अवैध है."
उन्होंने कहा, " जो लोग ऐसी संगठनों का समर्थन करने का निमंत्रण देते हैं उन पर मुक़दमा चलाया जाएगा और इस अपराध के लिए जेल भेजा जाएगा."
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