काबुल: काबुल स्थित अमेरिकी विश्वविद्यालय पर आतंकी हमले में कम से कम नौ लोग मारे गये. अधिकारियों ने बताया कि यह हमला करीब 10 घंटे तक चला, जिसमें फंसे हुए छात्रों ने मदद की अपील भी की. विश्वविद्यालय का परिसर कल शाम शुरू हुए इस हमले के दौरान गोलीबोरी और विस्फोटों से दहल गया.इस हमले से कुछ ही सप्ताह पहले विश्वविद्यालय के एक अमेरिकी और एक आस्ट्रेलियाई प्रोफेसर का किसी स्कूल के पास से बंदूक दिखाकर अपहरण कर लिया गया था.
हमले की अभी तक किसी गुट ने जिम्मेदारी नहीं ली है, लेकिन यह हमला एक ऐसे समय पर हुआ है, जब तालिबानी उग्रवादियों ने पश्चिमी देशों से समर्थित काबुल सरकार के खिलाफ अपने हमलों को तेज कर दिया है. गृह मंत्रालय के प्रवक्ता सदीक सिद्दीकी ने एएफपी से कहा, ‘‘ हमले में सात छात्र मारे गए हैं और 30 अन्य छात्र और लेक्चरर घायल हो गए है.
इसके अलावा दो पुलिसकर्मी भी हमले में मारे गए हैं. ‘ उन्होंने बताया कि रात भर चले इस अभियान में सैकडों छात्रों को बचाया गया, इनमें से कई छात्रों ने मदद के लिए ट्विटर पर हताशा से भरे संदेश लिखे थे. वहीं कई छात्रों ने बचाव के लिए कक्षा के दरवाजों पर फर्नीचर लगा दिया था.प्राधिकारियों ने इस बात पुष्टि करने से इंकार कर दिया कि किसी को बंधक बनाया गया था या नहीं. इन छात्रों के साथ ऐसोसिएटेड प्रेस के फोटो पत्रकार मसूद होसैनी भी फंस गए थे. ऐसा कहा जा रहा है कि वह हमले में घायल हो गए थे और बाद में वह कुछ छात्रों के साथ वहां से बच निकलने में कामयाब रहे.
अमेरिका के एक अधिकारी ने बताया कि अफगान बलों के हमलों की जवाबी कार्रवाई में नाटो सैन्य सलाहकार उनकी सहायता कर रहे हैं. हालांकि उन्होंने इसमें शामिल सैनिकों की संख्या की कोई जानकारी नहीं दी. राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (एनएससी) ने अपने बयान में हमले की कडी निंदा करते हुए कहा, ‘‘ हमारी संवेदनाएं हमले में मारे गए लोगों के परिवार वालों के साथ हैं और हम घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना करते हैं.
‘प्रतिष्ठित अमेरिकी विश्वविद्यालय की यहां 2006 में स्थापना की गई थी. वर्तमान में यहां करीब 1700 से अधिक छात्र हैं. यह उग्रवादियों के लिए हाई प्रोफाइल लक्ष्य माना जाता है क्योंकि यहां विदेशी शिक्षक आते हैं. सात अगस्त को विश्वविद्यालय के दो प्रोफेसरों का बंदूक दिखाकर उनके वाहन से अपहरण कर लिया गया था. अफगानिस्तान में निजी विश्वविद्यालय से संबंधित अपहरण की यह पहली घटना थी.