कई मुद्दों पर अपनी बेबाक राय रखने के लिए मशहूर आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन का कार्यकाल जल्द ही ख़त्म होने जा रहा है.
रघुराम राजन इसके बाद अपने शैक्षणिक करियर में लौट जाएंगे.
असहिष्णुता से लेकर बीफ़ के मुद्दे पर बोलने वाले रघुराम राजन का कार्यकाल बढ़ेगा या नहीं इसे लेकर काफ़ी समय तक चर्चा गर्म रही.
खुलकर बोलने की वजह से सरकार खुश नहीं थी इसलिए उन्हें दूसरा कार्यकाल नहीं दिया गया, इस सवाल पर उन्होंने कहा,” मेरी सरकार के साथ बातचीत अच्छी रही है, प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री या सरकारी अधिकारियों के साथ अच्छे ताल्लुकात रहे हैं. कभी भी उन्होंने ये नहीं कहा कि आपने मीडिया में ऐसा बयान क्यों दिया. मुझे लगता है कि कभी-कभी विवाद खड़े किए जाते हैं.”
आगे रघुराम राजन कहते हैं , ”कभी-कभी जिन बयानों से विवाद हुए हैं उस पर तो कई बार वित्त मंत्री ने ये कहा कि वो भी यही कहना चाहते थे.”
अपने कार्यकाल में कई बार वो भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी का निशाना बने.
सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा था कि रघुराम राजन पूरी तरह से भारतीय नहीं हैं और गुप्त सूचनाएं विदेश भेजते हैं.
इस पर प्रधानमंत्री मोदी ने सुब्रमण्यम स्वामी का नाम लिए बिना उनकी टिप्पणियों को अनुचित बताया था.
रघुराम राजन ने कहा, ”मैं ये नहीं कहना चाहता हूं कि हमारी नीतियां सुनकर लोग हमेशा तालियां बजाते थे, कई लोग नाराज़ भी हुए. विरोध तो होता है लेकिन कई लोग ये भी कहते हैं कि आपने अच्छा काम किया है.”
उनके दूसरा कार्यकाल नहीं चाहने के फ़ैसले पर कड़ी प्रतिक्रियाएं आई थीं, पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने तो ये भी कहा था कि ये सरकार उनके योग्य नहीं है.
जब सुब्रमण्यम स्वामी ने रघुराम राजन पर निशाना साधा तब सरकार खुलकर बचाव में नहीं आई, इस पर उन्होंने कहा,”दूसरे कार्यकाल के बारे में बातचीत हो रही थी उस पर बाहर से जो लोग आलोचना कर रहे थे उसका कोई प्रभाव नहीं था. मेरी कई मजबूरियां हैं, सरकार की भी कुछ इच्छाएं होंगी और अंत में हम किसी समझौते पर नहीं पहुंच पाए. लेकिन उसके पीछे कोई मंशा थी ये कहना ठीक नहीं होगा.”
हाल ही में राजन ने कहा कि आरबीआई ने दरों में जो बदलाव किए उसका फ़ायदा बैंक ग्राहकों को नहीं दे रहे, आरबीआई ने हाल ही में 150 बेसिस प्वाइन्ट काटा है.
रघुराम राजन ने कहा, ”वैसे बैंकों ने ब्याज दरों में कटौती की है लेकिन अभी भी और कटौती की जा सकती है. मेरे ख़्याल में बैंक भी सोच रहे हैं कि इतनी जल्दी डिपॉज़िट रेट काटेंगे तो लोग दूसरी जगह जाएंगे, शायद सोना खरीदेंगे या छोटी बचत योजनाओं में पैसा जमा करेंगे. इस वजह से कटौती नहीं कर रहे. अभी ऋण की मांग कमज़ोर है, जब कॉर्पोरेट निवेश शुरू करेंगे, तब प्रतियोगिता बढ़ेगी तब बैंक दरों में कटौती करेंगे.”
उन्होंने कहा, ”दरों में कटौती होनी चाहिए लेकिन उन्हें आमदनी भी चाहिए, सार्वजनिक बैंकों की बात करें क्रेडिट बढ़ नहीं रहा तो जमा राशि भी नहीं बढ़ रही, मेरे ख़्याल में वक्त की बात है, देखें.”
रघुराम राजन ने कहा,” पहले तो वित्त मंत्री से आदेश आता था कि ब्याज दरों में कटौती करो लेकिन अब बाज़ार से ये आदेश आएगा कि अगर वो दरें नहीं काटेंगे तो कोई नहीं आएगा बैंकों के पास.”
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