मुंबई के भीड़-भाड़ वाले रास्तों और स्टेशन पर किसी की क्या कहानी है और कौन कितना असामान्य है इसका अंदाज़ा लगाना मुश्किल ही नहीं लगभग नामुमकिन है.
कुर्ती और पैंट पहनकर जब प्रीति कुमारी स्टेशन के पुल और प्लेटफॉर्म पर चलती है तो कोई अंदाज़ा नहीं लगा पाएगा कि कुछ ही मिनट में यह एक ट्रेन चलाने वाली हैं.
प्रीति दुनिया की सबसे व्यस्त माने जाने वाली और भीड़-भाड़ वाली लोकल ट्रेन की ड्राइवर हैं. वो अपने काम को एक चुनौती नहीं बल्कि एक सुनहरा मौका मानती हैं.
प्रीति कहती हैं कि मैं बचपन से ही चाहती थी कि कुछ ऐसा काम करूं जो समान्य नौकरियों से अलग हट कर और चुनौती भरा हो.
जब अक्तूबर 2010 में उन्हें मुंबई की लोकल ट्रेन चलाने की नौकरी मिली थी उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था कि उनकी इस सफलता को मीडिया और दूसरे लोगों की इतना सराहना मिलेगी.
प्रीति नम आंखों से कहती हैं, "जब मैं पहले दिन ट्रेन चलाने वाली थी तब मैंने सपने में नहीं सोचा था कि मुझे इतना मीडिया कवरेज मिलेगा. उस दिन करीब 150-250 मीडिया वालों ने ट्रेन चलाने के पहले मेरी तस्वीर ली. लोगों ने भी मुझे बहुत प्यार दिया."
प्रीति कुमारी ने अपने इस सपने को पूरा करने के लिए पहले इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया और फिर परीक्षा में सफल होने के बाद एक साल की ट्रेनिंग ली. उस ट्रेनिंग के बाद उन्हें पहली नौकरी मुंबई में लोकल ट्रेन चलाने की मिली.
प्रीति कहती हैं कि उनके माता-पिता ने शुरू से ही उन्हें पढ़ाई में पूरा साथ दिया. प्रीति बिहार के एक छोटे से गांव से हैं.
प्रीति कहती हैं, "मेरे माता-पिता जानते हैं कि मैं कोई चुनौती भरा काम करना चाहती हूं. मेरी मां ने मुझे पढ़ाई और काम से कभी दूर नहीं रखा. आज मेरे पति और बेटी भी मेरा पूरा साथ देते हैं."
सुबह उठकर पहले प्रीति अपनी बेटी को स्कूल के लिए तैयार करती हैं फिर वो घर के काम और योग करती हैं.
दोपहर का खाना भी प्रीति ख़ुद ही बनाती हैं. उनकी ड्यूटी आम तौर पर दोपहर से शाम तक होती है. फिर घर आकर वे रात का खाना बनाती हैं और बेटी को पढ़ाने के बाद सोने जाती हैं.
घर और नौकरी दोनों संभालते हुए प्रीति को बदलते ज़माने से कई आशाएं हैं.
वो कहती हैं, "अब ज़माना बदल रहा है. लड़कियां अपने पैरों पर खड़ा होना चाहती हैं और माता-पिता भी अपनी लड़कियों को शिक्षा देने की अहमियत समझने लगे हैं."
आगे वो कहती हैं, "आज के ज़माने में लड़कियां हर क्षेत्र में नाम कर रही हैं. लड़कियों के लिए कोई भी काम नामुमकिन नहीं है."
जब प्रीति को मुंबई में ट्रेन ड्राइवर की नौकरी मिली तो उनके गांव वालों को अचरज हुआ था. उन्हें अपने गांव की लड़की पर गर्व भी हो रहा था.
प्रीति याद करते हुए कहती हैं, "मेरी इस नौकरी से और पढ़ाई में कामयाबी से मेरे गांव में एक उदाहरण बन गया है. लोगों के लिए मेरी सफलता एक प्रेरणा है और मुझे यह देख कर बहुत अच्छा लगता है."
मुंबई की लोकल ट्रेन दुनिया की सबसे भीड़-भाड़ और अति व्यस्त ट्रेन रूट पर दौड़ने वाली ट्रेन मानी जाती है. इनको चलाना कोई कमज़ोर दिल वाले का काम नहीं है.
मुंबई की हर एक लोकल ट्रेन में करीब पांच से सात हज़ार लोग सैर करते हैं.
हर दिन करीब सात लोगों की मुंबई की पटरियों पर मौत होती है. इनमें से कुछ लोग भरी हुई लोकल ट्रेन से लटकने के कारण मर जाते हैं तो कई ट्रैक पार करते वक़्त गाड़ी के नीचे आ जाते हैं.
मुंबई शहर में हर एक मिनट का लोगों के पास हिसाब होता है और इसलिए ज़्यादातर लोग ट्रेन से सफ़र करते हैं. मुंबई के रास्तों के ट्रैफ़िक के बारे में कुछ नहीं कह सकते.
अगर कहीं वक़्त पर जल्दी पहुंचना है तो ट्रेन से बेहतर कोई विकल्प नहीं.
प्रीति कहती हैं, "मुंबई में ट्रेन चलाने के लिए ध्यान बनाए रखना और चौकन्ना रहना ज़रूरी है. लोगों की भीड़ देख कर गाड़ी चलाना और उनको अपने स्टेशन तक सही सलामत पहुंचाना संतोषजनक काम के साथ-साथ हर पल चुनौती भरा भी है."
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