रियो डि जिनेरियो : जिमनास्टिक में ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर इतिहास का पहला अध्याय लिख चुकी दीपा करमाकर कल जब रियो खेलों में उतरेंगी तो उनकी निगाहें नयी ऊंचाई को छूने पर लगी होंगी. इस स्पर्धा के लिए क्वालीफाई करने वाली दीपा पहली भारतीय महिला हैं. सभी तरह की मुश्किलों से लड़कर त्रिपुरा की 22 वर्षीय लड़की ने अप्रैल में इसी स्थान पर ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया था. बेहद मुश्किल प्रोडूनोवा में महारत हासिल करने के लिए उन्होंने अपना सबकुछ झोंक दिया और वह अपने प्रदर्शन के लिए उस पर विश्वास कर रही हैं. दीपा ने कहा कि उन्होंने इसको करीब 1000 बार किया है. ऐसे में उनके लिए अन्य चीजों में बेहतर करना अहम रहेगा.
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दीपा करमाकर पर टिकी है भारत में जिमनास्टिक की उम्मीद
रियो डि जिनेरियो : जिमनास्टिक में ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर इतिहास का पहला अध्याय लिख चुकी दीपा करमाकर कल जब रियो खेलों में उतरेंगी तो उनकी निगाहें नयी ऊंचाई को छूने पर लगी होंगी. इस स्पर्धा के लिए क्वालीफाई करने वाली दीपा पहली भारतीय महिला हैं. सभी तरह की मुश्किलों से लड़कर त्रिपुरा की […]
उनके कोच विश्वेश्वर नंदी ने कहा, ‘‘मैंने उसकी कठिन परिश्रम और लगन देखी है. शुरुआत में जब उसने इसमें हाथ आजमाया तो मैं थोड़ा डरा हुआ था लेकिन कभी हार नहीं मानने के उसके जज्बे ने उसमें विश्वास पैदा किया. हम लोगों को सिर्फ ध्यान केंद्रित रखने की जरुरत है.” दीपा राष्ट्रमंडल खेलों (ग्लासगो 2014) में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला जिमनास्ट हैं. इसके बाद उन्होंने हिरोशिमा में हुए एशियाई चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीता और 2015 के विश्व चैम्पियनशिप में वह फाइनल राउंड तक पहुंची और प्रतियोगिता में पांचवें स्थान पर रही थी.
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