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लंबी फ़िल्में बनाऊंगा: आशुतोष गोवारिकर

संजय मिश्रा मुंबई से, बीबीसी हिंदी डॉटकॉम के लिए ‘लगान’, ‘जोधा अकबर’ जैसी ऐतिहासिक फ़िल्में बनाने बनाने वाले बॉलीवुड निर्देशक आशुतोष गोवारिकर पिछले दिनों अपनी फ़िल्म ‘मोहनजोदड़ो’ की पहली झलक को लेकर सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर जमकर आलोचना के शिकार हुए. लोगों ने उनकी फ़िल्म के ट्रेलर को पसंद नहीं किया. आशुतोष ने बीबीसी से […]

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‘लगान’, ‘जोधा अकबर’ जैसी ऐतिहासिक फ़िल्में बनाने बनाने वाले बॉलीवुड निर्देशक आशुतोष गोवारिकर पिछले दिनों अपनी फ़िल्म ‘मोहनजोदड़ो’ की पहली झलक को लेकर सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर जमकर आलोचना के शिकार हुए.

लोगों ने उनकी फ़िल्म के ट्रेलर को पसंद नहीं किया.

आशुतोष ने बीबीसी से बातचीत में कहा, "जब आप ऐतिहासिक विषय पर फ़िल्म बनाते हैं तो थोड़ा बहुत बदलाव आता ही है. इसमें मैंने एक आर्कियोलॉजिस्ट के तौर पर काम किया, अपनी आलोचना पर मैं सिर्फ इतना ही कहूंगा कि फ़िल्म देखिए जिसे मैंने मनोरंजन के लिए बनाया है, फ़िल्म में सत्यता के साथ-साथ मेरी काल्पनिक कहानी भी है."

फ़िल्म की बोली-भाषा को लेकर किए गए प्रयोग पर आशुतोष बताते हैं, "हमने ये ध्यान रखा कि फ़िल्म को देश के साथ-साथ विदेशों में भी देखा जाए, इसीलिए इसमें कई भाषाओं को मिलाकर सिंधु घाटी की भाषा को गढ़ा गया है."

आशुतोष आगे कहते हैं, "भाषा और सभ्यता के अभ्यास के लिए अमरीका के जॉनथन मार्क, जिन्होंने 35 से 40 साल तक मोहनजोदड़ो और हड़प्पा पर भारत के पांच आर्कियोलॉजिस्ट के साथ मिलकर काम किया, स्क्रिप्ट को जब इन सभी लोगों ने हरी झंडी दी तभी फ़िल्म का काम शुरू हुआ."

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‘लगान’ के बाद से ही लंबी फ़िल्म बनाने की बात पर आशुतोष की खूब खिंचाई की गई.

जब इस बार ‘मोहनजोदड़ो’ की 200 पन्नों की स्क्रिप्ट लेकर वो ऋतिक के पास गए तो उन्होंने सबसे पहले इसे छोटी करने को कहा.

जब आशुतोष ने इस कहानी को छोटा कर 80 पन्नों में समेटा तब जाकर ऋतिक ने फ़िल्म साइन की.

आशुतोष कहते हैं, "कुछ कहानियों को कहने में वक्त लगता है, लेकिन ‘मोहनजोदड़ो’ के लिए ऐसी बात नहीं थी. मैं शुरू से ही फ़िल्म की लंबाई को लेकर निश्चिंत था. अब मैंने तय कर लिया है कि अपनी कहानियों को ढाई घंटे की फ़िल्म बनाकर ही ख़त्म करूंगा."

फ़िल्म के किरदारों के चुनाव की बात पर आशुतोष बताते हैं, "किरदारों को चुनते समय एक बात हमने तय कर ली थी कि हम ऐसे कलाकारों को लेंगे जिनकी पब्लिक इमेज ‘लार्जर दैन लाइफ’ हो जैसे ऋतिक रोशन, कबीर बेदी, नितीश भारद्वाज की है."

आशुतोष ने कच्छ जैसे लोकेशन पर कलाकारों के साथ खूब पढ़ाई और वर्कशॉप करी. कच्छ में जहां आधा रेगिस्तान है, धूल, मिटटी, धूप और बहुत सी चीजों की असुविधा थी, वहाँ कलाकारों ने एक साथ लंबा समय बिताया. जब सबने अपनी-अपनी भूमिका को समझा, तब जा कर सेट पर मोहनजोदड़ो जैसा माहौल बन पाया.

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पिछले दिनों ‘मांझी’, ‘उड़ता पंजाब’, ‘ग्रेट ग्रैंड मस्ती’ जैसी कई फ़िल्में रिलीज से पहले लीक हो गई थीं. इस बात से आशुतोष भी अपनी फ़िल्म को लेकर चौकन्ने रहे हैं.

हालांकि वो कहते हैं, "फ़िल्म का लीक होना हमारी फ़िल्म इंडस्ट्री के लिए बहुत बड़ा संकट है, टेक्नोलॉजी जहां रोजमर्रा की ज़िन्दगी के लिए फायदेमन्द है. वहीं ये एक डिसएडवांटेज भी है, फ़िल्म के लीक होने से बॉक्स ऑफिस पर इसका बड़ा नुकसान होता है."

वो बताते हैं, "हम क्रिएटिव काम के दौरान अपने लोगों से बार-बार यही रिक्वेस्ट करते हैं कि किसी भी चीज का दुरुपयोग ना करें और साथ ही अपने दर्शकों से यही गुज़ारिश करता हूँ की एक फ़िल्म को बनाने में बहुत लोगों की मेहनत होती है, यदि आपको कहीं से लीक कॉपी मिल भी जाए तो ना देखें."

आशुतोष आमिर खान के साथ ‘लगान’ और शाहरुख़ खान के साथ ‘स्वदेश’ जैसी फ़िल्में कर चुके हैं.

वो कहते हैं, "आमिर और शाहरुख़ तो एक्टिंग के दिनों में मेरे कोस्टार हुआ करते थे. मेरी बहुत तमन्ना है उनके साथ फिर से काम करने की, लेकिन उनके हिसाब की स्क्रिप्ट नहीं आ रही, जैसे ‘व्हाट्स योर राशि’, ‘जोधा अकबर’ और ‘खेलें हम जी जान से’ के क़िरदार अलग किस्म के थे."

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फ़िल्म ‘उड़ता पंजाब’ को लेकर सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष पहलाज निहलानी पर कई आरोप लगे थे.

ऐसे आरोप लगते रहे हैं कि सेंसर बोर्ड सर्टिफ़िकेट देने में मनमानी करता रहा है. आशुतोष कहना है, "मुझे लगता है फ़िल्म मेकर को एक क्रिएटिव फ़्रीडम मिलनी चाहिए और सेंसर बोर्ड को सिर्फ सर्टिफिकेट देना चाहिए कट्स नहीं."

इस बार 15 अगस्त के मौके पर ‘मोहनद जोदड़ो’ और अक्षय कुमार की फ़िल्म ‘रुस्तम’ एक साथ रिलीज़ के लिए तैयार है.

आशुतोष कहते हैं, "साल में 52 हफ्ते और रिलीज के लिए 350 से 400 फ़िल्में होंगीं तो आपस में टक्कर होनी ही है, इसे आप रोक नहीं सकते, हमें ज़्यादा से ज़्यादा थिएटर चाहिए जिससे फ़िल्म की पहुंच अधिक लोगों तक हो सके."

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