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चिली में शुरू हुई गांजे से मिरगी भगाने की मुहिम
यह कहानी है चिली की पाउलिना बोबाडिल्ला की. उनकी सात साल की बेटी जाविएरा को मिरगी की बीमारी थी. दवाइयों ने उस पर असर करना बंद कर दिया था. इसके बाद बोबाडिल्ला ने इंटरनेट पर अपनी बेटी की बीमारी के इलाज की तलाश शुरू की. उन्होंने यू-ट्यूब पर एक अमेरिकी लड़की का वीडियो देखा, जिसे […]
यह कहानी है चिली की पाउलिना बोबाडिल्ला की. उनकी सात साल की बेटी जाविएरा को मिरगी की बीमारी थी. दवाइयों ने उस पर असर करना बंद कर दिया था. इसके बाद बोबाडिल्ला ने इंटरनेट पर अपनी बेटी की बीमारी के इलाज की तलाश शुरू की. उन्होंने यू-ट्यूब पर एक अमेरिकी लड़की का वीडियो देखा, जिसे बोबाडिल्ला की बेटी की तरह ही मिरगी की बीमारी थी. लड़की के माता-पिता भांग (मरिजुआना) के पौधे (कैनबिस) से तेल निकालते और बहुत कम मात्रा में उसे देते. इससे उस लड़की के जीवन में आश्चर्यजनक सुधार आया. बोबाडिल्ला इसे अपनी बेटी पर आजमाना चाहती थीं. उन्होंने अपने साथी से इस बारे में बात की. पहले तो उन्होंने इनकार किया, लेकिन समझाने पर मान गये.
दोनों ने सबसे पहले खुद पर इसका इस्तेमाल किया. फिर बीमार जाविएरा को दिया. उनका दावा रहा कि एक सप्ताह में ही जाविएरा के मिरगी के दौरों में अाश्चर्यजनक रूप से कमी आयी. यहीं से ‘ममा कल्टिवा’ नाम की संस्था ने जन्म लिया. वर्ष 2012 से बोबाडिल्ला और उनके जैसी 20 माताएं, जिनके बच्चे मिरगी, कैंसर या ऐसी दूसरी बीमारियों से पीड़ित हैं, चिली में मरिजुआना के चिकित्सकीय इस्तेमाल के प्रति लोगों को जागरूक करने का काम कर रही हैं. उनका संदेश है – इस पौधे ने हमारे बच्चों का जीवन बदल दिया.
पूरे विश्व में मरिजुआना का चिकित्सकीय इस्तेमाल बढ़ रहा है, लेकिन बच्चों पर इसके इस्तेमाल पर अभी विवाद है. ‘ब्राडली’ से बातचीत में बोबाडिल्ला ने बताया कि ‘ममा कल्टिवा’ निराशा से बचने के लिए किया गया था. हमारे बच्चों पर न दवा असर कर रही थी, न सर्जरी से ही राहत की उम्मीद थी. इस काम में बोबाडिल्ला की मदद एक एनजीओ ने की. वह एनजीओ मरिजुआना के चिकित्सकीय इस्तेमाल को लेकर शोध और प्रचार में मदद करती है. बोबाडिल्ला और उनकी ‘ममा कल्टिवा’ की बदौलत चिली के 20 म्यूनिसपैलिटी को चिकित्सकीय इस्तेमाल के लिए भांग की खेती की इजाजत मिली गयी. चिली में मरिजुआना को खतरनाक ड्रग की श्रेणी से बाहर कर दिया गया है.
‘ममा कल्टिवा’ को जन्म देने वाली माताएं अपने लिए मरिजुआना खुद उगाती हैं. उनका तर्क हैं कि अपने बच्चों को दर्द से निजात दिलाने वाली चीज को वह अपने हाथ से उपजाना चाहती हैं. वह इसमें बड़ी दवा कंपनियों को घुसने से रोकने के लिए भी अभियान चला रही हैं. कई दवा कंपनियां चाहती हैं कि उन्हें गांजा के इस्तेमाल की अनुमति मिल जाये. लेकिन, उनकी नजर मुनाफा कमाने पर है.
‘ममा कल्टिवा’ लैटिन अमेरिकी देशों में फैल गया है. अर्जेंटीना में भी इसके समर्थन में आवाज उठने लगी है. मई में ब्यूनोस आयर्स में ममा कल्टिवा अर्जेंटीना (एमसीए) के समर्थकों ने मारिजुआना मार्च निकाला. मार्च में करीब डेढ़ लाख लोग व्हील चेयर पर थे. मार्च में एमसीए की अध्यक्ष वलेरिया ने कहा कि इसने हमारे बच्चों को हंसना सिखा दिया.
चिली और अर्जेंटीना के बाद ‘ममा कल्टिवा’ कोलंबिया, इक्वाडोर, मैक्सिको और स्पेन में भी अपने संदेश फैला रही है.वैसे भारत समेत दुनिया के कई देशों में मारिजुआना (गांजा) को लेकर समाज में अच्छी धारणा नहीं है. पुलिस इसके खिलाफ अभियान भी चलाती है. वैसे, इसके शोधित रूप का इस्तेमाल कुछ खास तरह की दवाओं में होता है. चिली की मुहिम दुनिया के लिए चौंकाने वाली बात है.
ममा कल्टिवा का गठन
बोबाडिल्ला ममा कल्टिवा नामक संस्था चलाती हैं, जो यह मुिहम चला रही है. उन्होंने बताया कि हमें ऐसी मांओं की जरूरत है, जो खुल कर सामने आएं. अपने अनुभव के बारे में वह बताती हैं कि एक महिला मरिजुआना के चिकित्सकीय इस्तेमाल को लेकर वह कुछ कहना चाहती थीं, लेकिन सब के सामने आना नहीं चाहती थी.
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