जग के नाथ
रांची. भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा बुधवार को निकाली गयी. करीब आधा किमी की रथयात्रा में भक्तों की लंबी कतार लगी रही. सबने सुख, शांति और समृद्धि का आशीष मांगा. जयकारे के बीच रथ पर सवार होकर भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलराम मुख्य मंदिर से मौसीबाड़ी पहुंचे. हर तरफ भक्तिभाव की गंगा बह रही थी. रथयात्रा करीब दो घंटे में मौसीबाड़ी पहुंची. अब भगवान 15 जुलाई को मुख्य मंदिर लौटेंगे.
लक्षार्चना में शामिल हुए हेमंत और सुबोधकांत
रथयात्रा से पहले दोपहर 2.30 बजे से शाम चार बजे तक विष्णु लक्षार्चना हुई. पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन रथ पर सवार होकर लक्षार्चना में शामिल हुए. लक्षार्चना में पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोधकांत सहाय, शिक्षा मंत्री नीरा यादव, मेयर आशा लकड़ा, विधायक नवीन जायसवाल, खादी बोर्ड के अध्यक्ष संजय सेठ भी शामिल हुए. इससे पहले भगवान की स्तुति शुरू हुई. इस दौरान भक्त लगातार भगवान का जयकारा लगा रहे थे. शाम 4.51 बजे रथ का रस्सा बांध कर जयकारों के बीच रथ खींचने का अनुष्ठान हुआ. इसी बीच बारिश शुरू हो गयी.
श्रद्धालु और उत्साह के साथ रथ खींचने लगे. रथ करीब दो घंटे बाद मौसीबाड़ी पहुंचा. मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित ब्रजभूषणनाथ मिश्र की अगुवाई में अनुष्ठान संपन्न हुआ. पूजा-अर्चना में रामेश्वर पाढ़ी, सरयू नाथ और पंचानंद मिश्र शामिल हुए. मौसीबाड़ी में भक्तों के दर्शन के लिए भगवान को कुछ समय के लिए रथ पर रखा गया. यहां भक्तों ने पूजा की. फिर सभी विग्रहों को मौसीबाड़ी ले जाया गया. मंगल आरती की गयी. रात 8.30 बजे आरती कर उनका पट बंद कर दिया गया.
रथ को छूने की लगी होड़
रथयात्रा के दौरान भक्तों में रथ छूने की होड़ मची हुई थी. इसमें महिला-पुरुष और बच्चे भी शामिल थे. कई लोग अपने बच्चे को कंधे पर बैठा कर रथ स्पर्श करा रहे थे. भक्तों ने रस्सी को प्रणाम कर रथयात्रा का आनंद लिया. रथ पर सवार भगवान के सेवक भक्तों के बीच प्रसाद बांट रहे थे.
दैनिक भोग लगा
इससे पहले तड़के चार बजे भगवान भगवान का दैनिक भोग लगाया गया. यह कार्यक्रम सुबह 4.30 बजे तक चला. फिर भगवान के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. दोपहर 2.00 बजे दर्शन बंद कर दिया. दोपहर 2.35 बजे विग्रहों का रथारोहण व शृंगार हुआ. शाम चार बजे भगवान की आरती हुई.
हरिशयनी एकादशी को लौटेंगे भगवान
हरिशयनी एकादशी यानी 15 जुलाई को भगवान जगन्नाथ अग्रज बलभद्र व बहन सुभद्रा के साथ मौसीबाड़ी से मुख्य मंदिर लौटेंगे. इस दिन मौसीबाड़ी में सुबह छह बजे से दोपहर 2.30 बजे तक श्रद्धालु भगवान का दर्शन कर सकेंगे. इसके बाद विग्रहों को रथारूढ़ किया जायेगा. दोपहर तीन से चार बजे तक श्रीविष्णुसहस्त्रनाम श्लोक व पूजा-आरती होगी. शाम 4.01 बजे रथ मुख्य मंदिर के लिए प्रस्थान करेगा.
श्रद्धालुअों की सेवा में जुटे रहे कार्यकर्ता
रांची : जगन्नाथपुर मेले में आनेवाले लाखों श्रद्धालुअों की सेवा में विभिन्न संगठनों के कार्यकर्ता दिन भर जुटे रहे. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) की अोर से मुख्य मंदिर के नीचे सेवा शिविर लगाया गया था. लगभग 400 स्वयंसेवक श्रद्धालुअों से व्यवस्थित रहने की अपील कर रहे थे. रास्ता दिखा रहे थे. वहीं योगदा सत्संग सोसाइटी अॉफ इंडिया, योगदा आश्रम व योगदा मध्य व उच्च विद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में शिविर लगा कर दूर-दराज से आनेवाले श्रद्धालुअों के बीच नमकीन चूड़ा व पीने के पानी का पैकेट दिन भर बांटा गया. हजारों श्रद्धालुअों ने चूड़ा का खाकर ठंडा पानी पी कर गले को तर किया.
इस कार्य में स्वामी अमयानंद जी महाराज, हाइस्कूल के प्रधानाध्यापक विभाकर ठाकुर, मध्य विद्यालय के प्रधानाध्यापक विनय कुमार झा सहित शिक्षक व दर्जनों विद्यार्थियों ने सक्रिय भूमिका निभायी. मारवाड़ी सहायक समिति के शिविर में पीने के स्वच्छ पानी की व्यवस्था की गयी थी. इंडियन होमियोपैथी एसोसिएशन व एसबीआइ की अोर से नि:शुल्क चिकित्सा शिविर लगाया गया. आदिवासी सरना समिति बड़कागढ़, सर्वेश्वरी समूह, रथमेला सुरक्षा समिति, आदिवासी सेना सहित अन्य सामाजिक संगठनों ने सेवा शिविर लगा कर श्रद्धालुअों की सेवा की.
भक्तों को मोक्ष देता है विग्रहों का दर्शन
जगन्नाथपुर मंदिर के मुख्य पुजारी पंडित ब्रजभूषण नाथ मिश्र ने कहा : रथ पर भगवान जगन्नाथ, भाई बलराम और बहन सुभद्रा के दर्शन करने से पाप दूर हो जाते हैं. मोक्ष की प्राप्ति होती है. पौराणिक कथाओं के अनुसार इससे रथयात्रा मेले का महत्व कई गुणा बढ़ जाता है.
भगवान जगन्नाथ कृष्ण के अवतार हैं. कृष्णावतार में बहन सुभद्रा ने उनसे वरदान मांगा था कि कलियुग में आपके कलिक अवतार में जब दोनों भाइयों और वे एक साथ हों, तो तीनों के दर्शन मात्र से लोगों के सभी पाप धुल जायें. बहन का यह वचन सुन भगवान ने तथास्तु कह दिया. श्रद्धालुओं को यह सौभाग्य रथयात्रा के दिन ही प्राप्त होता है. श्री मिश्र कहते हैं कि इसी उपलक्ष्य में हर साल रथयात्रा मेले का आयोजन होता है.
प्रति वर्ष आषाढ़ शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भगवान जगन्नाथ बहन सुभद्रा व बड़े भाई बलराम एक साथ रथ पर सवार होकर मौसीबाड़ी जाते हैं. इस दौरान तीनों एक साथ लोगों को दर्शन देते हैं. रथयात्रा की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें किसी प्रकार का भेदभाव नहीं होता. सभी संप्रदाय के लोग एक साथ भगवान का दर्शन कर उनकी पूजा-अर्चना कर सकते हैं. श्री मिश्र ने बताया कि दुनिया का सबसे बड़ा पापी भी यदि रथ पर सवार तीनों विग्रहों का दर्शन कर लेता है, तो उसके सभी पाप दूर हो जाते हैं. रथारूढ़ करते समय तीनों विग्रहों का दर्शन सबसे उत्तम माना गया है.
सुरक्षा मेें मुस्तैद दिखे जवान
रथ यात्रा के दौरान सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गये थे़ मेला परिसर व आसपास की सुरक्षा में जवान मुस्तैद दिखे़ यहां 1000 पुलिसकर्मी और 150 मजिस्ट्रेट की प्रतिनियुक्ति की गयी है़ सुरक्षा में लगे जवानों को निर्देश दिया गया है कि किसी व्यक्ति की संदिग्ध गतिविधि पर उसकी पूरी जांच करें. जरूरत पड़े, तो उसे संबंधित थाना को सौंप दे़ं रथ यात्रा के दौरान यातायात की व्यवस्था दुरुस्त रखने के लिए 40 जवानों को तैनात किया गया था़ ट्रैफिक डीएसपी व थाना प्रभारी यातायात सुचारू रखने के लिए मॉनिटरिंग कर रहे थे़ एसएसपी और सिटी एसपी ने भी सुरक्षा का जायजा लिया.