उत्तर कोरिया का पर्यावरण कई ऐसे प्रवासी पक्षियों को पूरी तरह से विलुप्त होने से बचा रहा है जो कभी भरपूर मात्रा में पाए जाते थे.
भले ही इस देश में विदेशियों के आने पर रोक हो, लेकिन एवियन, पूर्वी एशियाई, ऑस्ट्रेलेशियन फ्लाइवे के रास्ते कुछ मेहमानों के आने पर कोई रोक नहीं है.
पांच करोड़ पक्षियां, सारस से लेकर सॉन्ग बर्ड, साल में दो बार इस फ्लाइवे के रास्ते उत्तर कोरिया आते हैं.
इनमें से 80 लाख या तो तटीय पक्षियां हैं या तो वेडर्स हैं.
और सैकड़ों ऐसी पक्षियां हैं जो उत्तर कोरिया के पश्चिमी तट, येल्लो सागर पर उनका एक मात्र रुकने का ठिकाना है.
बार-टेल्ड गॉडविट पक्षियां, ज्वार के बाद समुद्र के तट पर फैली मिट्टी से कीड़े और घोंघे खाते हैं.
वहीं विलुप्त होने के कगार पर पहुंची गौरेया पक्षी इनमें से छोटे कीड़े ढूंढकर खाती हैं.
इन तस्वीरों को खींचा है न्यूज़ीलैंड बडर्सस के एक ग्रुप ने जो उत्तर कोरियाई सरकार की इजाज़त से यहां पहुंचे थे.
अपने उच्च तक़नीक़ वाले दूरबीनों और कैमरों के साथ इन लोगों ने पक्षियों की गिनती की जो अपने ऐतिहासिक यात्रा पर दक्षिण से उत्तरी हेमिस्फियर के ऊपर पहुंचे थे.
कीवी बडर्सस, न्यूज़़ीलैंड के एक संरक्षण एनडीओ से जुड़े हैं जिसका नाम है ‘पुकोरोकोरो मिरांडा नैच्यूरलिस्ट ट्रस्ट’.
इनका कहना है कि जैसे-जैसे इन पक्षियों का निवास स्थान घटता जा रहा है, ये उन जगहों का रुख कर रहे हैं जो उनके रहने के लिए बिल्कुल मुफीद है.
ऐसे में उत्तर कोरिया उनका पसंदीदा जगह बनता जा रहा है.
इन कीवी बडर्सस ने उत्तर कोरिया के पश्चिमी तट, मुंडॉक काउंटी में 10 दिन बिताए.
इन लोगों ने ना सिर्फ़ उन जगहों का दौरा किया जहां ये पक्षियां भोजन करते हैं, लेकिन उन सॉल्ट वर्क्स और धान के खेतों का भी दौरा किया जहां ये पक्षियां आराम करती हैं.
कीवी बडर्सस ने दूरबीन के ज़रिए स्थानीय निवासियों को तटीय पक्षियां दिखाईं. इनमें से तो कुछ ऐसे पक्षी भी थे जो न्यूज़ीलैंड से ही यहां आए थे.
चीन और दक्षिण कोरिया की तुलना में उत्तर कोरिया में ज्यादा विकास कार्य नहीं हुआ है जिससे देश की ज्यादातर मडफ्लैट्स सही सलामत हैं.
संरक्षणवादी मानते हैं कि नदी को दूषित करने वाली फैक्ट्रियां कम होने, और खेतों से कम उर्वरकों और कीटनाशकों के नदी में मिलने से पक्षियों के लिए अच्छा है.
यहां दूर तक मडफ्लैट्स दिखाई देते हैं जो सीप, समुद्री कीड़े और कड़े खोल वाले जानवरों से भरपूर होते हैं. ये तटीय पक्षियों के लिए अच्छा आहार होता है.
यात्रा के दौरान न्यूज़ीलैंड बडर्सस का कहना था कि उन्होंने कई ऐसे नए इलाकों को देखा जो कई पक्षियों के लिए अंतरराष्ट्रीय महत्व के हैं, जैसे बार-टेल्ड गॉडविट, यूरोशियन कर्रल्यू और बुरी तरह से विलुप्त होने के कगार पर पहुंच चुके इस्टर्न कर्रल्यू.
तटीय पक्षियां करीब एक महीने वसंत और करीब तीन महीने शरद ऋृतु के मौसम में यहां रहती हैं और कीचड़ में मिलने वाले कीड़ों को खाती हैं.
लेकिन बार-टेल्ड गॉडविट की एक ख़ास प्रजाति उत्तर की तरफ उड़ते हुए केवल उत्तर कोरिया और येल्लो सी के आसपास ही रुकती हैं.
शरद ऋृतु में ये पक्षी एक बार में 8 से 9 दिनों में 12 हज़ार किलोमीटर की यात्रा पूरी करते हैं.
दुनिया में कोई भी ऐसा पक्षी नहीं है जो इतनी लंबी दूरी बिना रुके पूरी करता हो.
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