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NSG में भारत की सदस्यता पाक की दुखती रग छुएगी, चीन के लिए भी करेगी खतरा पैदा : ग्लोबल टाइम्स

बीजिंग : परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की सदस्यता के लिए भारत के प्रयास का विरोध चीन ने पुरजोर विरोध किया है. चीन की आधिकारिक मीडिया की माने तो भारत की सदस्यता न सिर्फ पाकिस्तान की ‘दुखती रग’ को छुएगी और परमाणु हथियारों की होड़ बढ़ाएगी, बल्कि चीन के राष्ट्रीय हितों के लिए ‘खतरा पैदा करेगी.’ […]

बीजिंग : परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की सदस्यता के लिए भारत के प्रयास का विरोध चीन ने पुरजोर विरोध किया है. चीन की आधिकारिक मीडिया की माने तो भारत की सदस्यता न सिर्फ पाकिस्तान की ‘दुखती रग’ को छुएगी और परमाणु हथियारों की होड़ बढ़ाएगी, बल्कि चीन के राष्ट्रीय हितों के लिए ‘खतरा पैदा करेगी.’ इस बाबत सरकारी अखबार ‘ग्लोबल टाइम्स’ में छपे एक लेख में कहा गया है कि भारत की एनएसजी की सदस्यता क्षेत्र में परमाणु टकराव की शुरुआत होगी.

उसने कहा, ‘‘भारत और पाकिस्तान दोनों इस क्षेत्र की परमाणु ताकतें हैं. वे एक दूसरे की परमाणु क्षमताओं को लेकर सजग रहते हैं. एनएसजी की सदस्यता के लिए भारत का आवेदन और उसके संभावित नतीजे निश्चित तौर पर पाकिस्तान में दुखती रग को छुएंगे.’ लेख में कहा गया है, ‘‘पाकिस्तान भारत के साथ परमाणु ताकत में बडा फर्क देखने का इच्छुक नहीं है, ऐसे में इसका नतीजा परमाणु हथियारों की होड हो सकता है. इससे न सिर्फ क्षेत्रीय सुरक्षा प्रभावित होगी, बल्कि चीन के राष्ट्रीय हितों के लिए भी खतरा पैदा होगा.’

सोल में आगामी 24 जून को होने जा रही एनएसजी की बैठक से पहले चीन के सरकारी अखबार ने कहा, ‘‘पिछले सप्ताह भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने देश को एनएसजी में प्रवेश दिलाने के लिए समर्थन हासिल करने के मकसद से दुनिया के कई हिस्सों का दौरा किया। अमेरिका और एनएसजी के कुछ सदस्यों ने भारत की सदस्यता के प्रयास को समर्थन दिया है, लेकिन कई देशों खासकर चीन की ओर विरोध किए जाने से भारत परेशान हो गया लगता है.’

वियना से मिली खबरों के अनुसार 48 सदस्यीय समूह के अधिकतर देशों ने भारत की सदस्यता का समर्थन किया है. चीन, न्यूजीलैंड, आयरलैंड, तुर्की, दक्षिण अफ्रीका और आस्ट्रिया ने भारत के दावेदारी का विरोध किया है. ‘ग्लोबल टाइम्स’ के लेख में कहा गया है, ‘‘चीन इस बात पर जोर देता है कि भारत के प्रवेश से पहले उसको एनपीटी पर हस्ताक्षर करना चाहिए। इस कानूनी और व्यवस्थागत जरुरत को स्वीकार किए बिना भारतीय मीडिया ने चीन के रुख को विघटनकारी करार दिया है.’

उसने कहा, ‘‘एनएसजी में शामिल होने के लिए भारत के अपने आकलन हैं. सबसे तेजी से बढती अर्थव्यवस्था का टैग बरकरार रखने के साथ एनएसजी में भारत की पहुंच से भारत के घरेलू परमाणु उर्जा कार्यक्रम के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार खुल सकता है.’

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