अफ़ग़ानिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी राष्ट्रीय सुरक्षा निदेशालय (एनडीएस) ने कहा है कि अफ़ग़ान तालिबान नेता मुल्ला मंसूर की मौत पाकिस्तान के अंदरूनी इलाके में अमरीकी ड्रोन हमले में हुई है.
खुफ़िया एजेंसी के बयान के बाद अफ़ग़ानिस्तान के रक्षा मंत्रालय और देश के मुख्य कार्यकारी डॉक्टर अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने भी इसकी पुष्टि कर दी है.
इन बयानों की अहमियत इसलिए भी बढ़ जाती है क्योंकि आमतौर पर तालिबान कमांडरों की मौत की पुष्टि कर पाना मुश्किल होता है.
एनडीएस के अनुसार मुल्ला मंसूर की मौत अमरीकी वायुसेना के हवाई हमले में तब हुई जब वह 21 मई को पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रान्त के दालबन्दिन इलाके में गाड़ियों केे काफ़िले के साथ सफ़र कर रहे थे.
अमरीकी अधिकारियों का कहना है कि हमले में कई ड्रोन इस्तेमाल किए गए.
अमरीका, चीन, पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान चरमपंथी गुटों को शांति वार्ता के लिए मेज पर लाना चाहते हैं.
मुल्ला मंसूर को इस शांति वार्ता में अड़चन के तौर पर भी देखा जा रहा था. मंसूर की अगुवाई में तालिबान इसके लिए राज़ी नहीं हो रहा था.
मंसूर को अल क़ायदा का करीबी और काबुल में कई हमलों की योजना में शामिल माना जाता रहा है.
नेता मुल्ला मंसूर की मौत पर तालिबान की तरफ़ से मिली-जुली ख़बरें आ रही हैं.
हालांकि अफ़ग़ान तालिबान की वेबसाइट पर कुछ नहीं कहा गया है. लेकिन समाचार एजेंसी अफ़ग़ान इस्लामिक प्रेस (एआईपी) ने एक अज्ञात अफ़ग़ान लड़ाके के हवाले से जानकारी दी है कि मंसूर ज़िंदा और सुरक्षित है.
एआईपी ने अज्ञात लड़ाके के हवाले से कहा, "हम इस मामले में आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहना चाहते. हमें अभी इस संबंध में अपने नेतृत्व से टिप्पणी करने के निर्देश नहीं मिले हैं, और ये संभव है कि मंसूर साहेब बहुत जल्द ऑडियो संदेश जारी करेंगे."
वहीं, समाचार एजेंसी एपी ने अफ़ग़ान तालिबान के बड़े नेता मुल्ला अब्दुल रउफ़ के हवाले से बताया है कि मुल्ला मंसूर की हमले में मौत हो गई है.
माना जा रहा है कि मंसूर की मौत की ख़बर यदि सही है तो यह तालिबान के लिए एक बड़ा झटका साबित हो सकती है. इसके बाद तालिबान में पहले से दिख रही दरारें और गहरी हो सकती हैं.
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