वाशिंगटन/काबुल : अफगानिस्तान की खुफिया एजेंसी ने आज कहा है कि पाकिस्तान के अशांत बलूचिस्तान प्रांत के भीतर अमेरिका द्वारा कियेगये एक दुर्लभ ड्रोन हमले में अफगान तालिबान नेता मुल्ला अख्तर मंसूर मारा गया है. मंसूर की मौत आतंकवादियों के लिए भारी झटका और युद्ध से जर्जर अफगानिस्तान की शांति प्रक्रिया के लिए एक बड़ा संबल है.
अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि मंसूर और उसके एक अन्य साथी आतंकी को कल अमेरिकी विशेष अभियान बलों द्वारा संचालित मानवरहित विमानों से उस समय निशाना बनाया गया, जब वे अफगान सीमा के पास स्थित पाकिस्तान के अशांत बलूचिस्तान प्रांंत में अहमद वाल शहर के पास एक सुदूर इलाके में किसी वाहन में सवार होकर जा रहे थे.
अफगानिस्तान की मुख्य खुफिया एजेंसी ने कहा कि मंसूर पाकिस्तान के अंदर अमेरिकी ड्रोन हमले में मारा गया. राष्ट्रीय सुरक्षा निदेशालय ने एक संक्षिप्त बयान में कहा, ‘‘कुछ समय से मंसूर की करीब से निगरानी की जा रही थी. इसके बाद बलुचिस्तान में एक वाहन में अन्य लड़ाकों के साथ जाते समय उसे निशाना बनाया गया.” म्यांमा की राजधानी नेपीदाव में संवाददाताओं से बातचीत में अमेरिकी विदेश मंत्री जॉन कैरी ने कहा, ‘‘मंसूर अमेेरिकी जवानों, अफगान नागरिकों और अफगान सुरक्षा बलाें के लिये एक आसन्न खतरा था.
कैरी ने कहा कि मंसूर शांति प्रक्रियाओं के भी विरोध में था. उन्होंने कहा, ‘‘अमेरिका लंबे समय से कहता आया है कि अफगान नीत, अफगान स्वामित्व वाली मैत्री प्रक्रिया शांति सुनिश्चित करने का निश्चित रास्ता है. हम शांति चाहते हैं और मंसूर इसके लिए खतरा था.” पेंटागन ने पहले इस बात की पुष्टि कर दी थी कि उसने राष्ट्रपति बराक ओबामा की मंजूरी वाले अभियान में मंसूर को निशाना बनाया.
मंसूर ने जुलाई 2015 में नेतृत्व संभाल लिया था. उसने तालिबान के संस्थापक मुल्ला मोहम्मद उमर की जगह ली थी. पेंटागन के प्रेस सचिव पीटर कुक ने कहा, ‘‘मंसूर तालिबान का नेता रहा था और वह अफगानिस्तान और काबुल के प्रतिष्ठानों पर हमलों के नियोजन में संलिप्त था. वह अफगान नागरिकों एवं सुरक्षा बलों, हमारे कर्मियों तथा गठबंधन सहयोगियों के लिए खतरा पैदा कर रहा था.” व्हाइट हाउस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अमेरिका ने हमले के कुछ ही समय बाद पाकिस्तान और अफगानिस्तान दोनों को ही इसकी सूचना दे दी.
काबुल में, अफगान मुख्य कार्यकारी अधिकारी अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने कहा कि यदि मंसूर की मौत की पुष्टि हो जाती है तो तालिबान के पदों पर बड़े बदलावों की उम्मीद की जा सकती है और कई तालीबानी नेता शांति प्रक्रिया में शामिल हो सकते हैं. अब्दुल्ला ने कहा कि मंसूर अफगान शांति प्रक्रिया में एक बड़ा अवरोधक रहा है और उसकी मौत इस आतंकी समूह के लिए एक बड़ा झटका होगी.
अमेरिका के कई शीर्ष सांसदों ने मंसूर को मार गिराये जाने के अभियान की प्रशंसा की. सीनेटर एवं शक्तिशाली सीनेट आर्म्ड सर्विसेज कमेटी के अध्यक्ष जॉन मैक्केन ने कहा, ‘‘मैं इस खबर का स्वागत करता हूं कि मुल्ला मंसूर को मार गिराया गया. इस अभियान को अंजाम देने वाले अमेरिकी सैन्य बलों की क्षमता एवं उनके पेशेवर अंदाज को मैं सलाम करता हूं. इस कार्रवाई ने अमेरिका एवं अफगानिस्तान को सुरक्षित बनाया है.”
सीनेटर एवं सीनेट फॉरेन रिलेशंस कमेटी के अध्यक्ष बॉब कॉर्कर ने कहा, ‘‘अगर तालिबान नेता मुल्ला अख्तर मंसूर की मौत की खबर में सच्चाई है तो यह आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक अहम जीत और अफगानिस्तान में हमारे सैन्यकर्मियों के लिए एक स्वागत योग्य खबर होगी.” अफगानिस्तान में जन्मा मंसूर 1990 के दशक में समूह के शुरुआत से ही तालिबान का सदस्य था और वह 2013 से प्रभावी रुप से इसकी कमान संभाल रहा था.
विश्लेषकों ने कहा कि मंसूर की मौत तालिबान के लिए एक बड़ा झटका होगी. उसकी मौत से जो शून्य पैदा होगा, वह एक बार फिर नेतृत्व को संघर्ष के लिए मजबूर कर देगा.
कौन है मुल्ला अख्तर मंसूर?
मुल्ला अख्तर मंसूर तालिबान का चीफ है. जब तालिबान का शीर्ष नेता मुल्ला उमर मारा गया तो संगठन ने उसे अपना नया चीफ चुना. वह पहले मुल्ला उमर का सहायक था. वह 20 सदस्यों वाले शूरा का भी काम देखता था. उसके बारे में यह भी कहा जाता है कि वह अफगानिस्तान से बातचीत का पक्षधर था.