ब्रिटेन में यूरोपियन यूनियन पर जनमत संग्रह चर्चा का बड़ा मुद्दा है. क्या ब्रिटेन यूरोपियन यूनियन में रहने के लिए मतदान करेगा या इससे बाहर होने के लिए?
सिख जैसा प्रवासी समुदाय इस बारे में क्या सोचता है, इसे लेकर एक ऑनलाइन सर्वे कराया गया.
इसमें ब्रिटेन में रहने वाले सिखों में क़रीब 60 फ़ीसदी ने यूरोपियन यूनियन के साथ रहने की इच्छा ज़ाहिर की.
29 साल के ओंकारदीप सिंह खालसा लंदन में ग्राफ़िक्स डिज़ाइनर हैं. वह उन ब्रितानी सिखों में हैं, जो यूरोपियन यूनियन में रहने के लिए वोट देंगे. इस साल ब्रिटिश सिख रिपोर्ट के मुताबिक़ सिख समुदाय के ऐसे लोगों की संख्या 57 फ़ीसदी है.
ओंकारदीप सिंह के मुताबिक़ यह ज़्यादा शिक्षित होने की निशानी है. यूरोपियन यूनियन के बनने की शुरुआती खूबियों में आज़ादी से आवाजाही, बेरोकटोक व्यापार और हर चीज़ की आसानी शामिल रहा है. एकजुटता के ये सिद्धांत और एक मानवता की बात सिख विचारों से काफ़ी मिलते हैं.
राष्ट्रीय स्तर के ऑनलाइन सर्वे में 1500 सिखों ने हिस्सा लिया. इसमें प्रवासी संकट, पहचान और यूरोपियन यूनियन से जुड़े सवाल थे.
सर्वे में हिस्सा लेने वालों में ज़्यादातर की उम्र 20 से 40 साल के बीच थी. इस सर्वेक्षण को महज़ नमूने के तौर पर नहीं देखा जा रहा. इससे बड़े मुद्दों पर सिखों के संभावित विचारों की जानकारी मिलती है.
ब्रिटिश सिख रिपोर्ट के प्रमुख जसवीर सिंह कहते हैं, "यूरोपियन यूनियन की सदस्यता की वजह से सिखों को काफ़ी फ़ायदा हुआ. पूर्वी यूरोप में कुछ दुखद घटनाएं ज़रूर हुईं, जहां सिखों से भेदभाव हुआ पर कुल मिलाकर मैं कह सकता हूँ कि यूरोप में सिख समुदाय काफ़ी अच्छा कर रहा है और कुछ हद तक वो ब्रिटेन के सिख समुदाय की ओर देखता है."
ब्रिटेन में क़रीब 4 लाख 30 हज़ार सिख हैं. इस साल की रिपोर्ट भी बताती है कि उनमें से कुछ ही हैं, जो एशियाई पहचान को ख़ुशी से ज़ाहिर करते हैं.
जसवीर सिंह ने कहा कि 78 फ़ीसदी ख़ुद के बारे में बताते हुए सिख शब्द का इस्तेमाल करते हैं. 64 फ़ीसदी ब्रिटिश शब्द का इस्तेमाल करते हैं. एशियाई शब्द के लिए कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली.
ऑनलाइन सर्वे में ज़्यादातर लोगों की तरह 27 साल के हरदीप भी सिख पहचान को लेकर ख़ुशी जताते हैं.
वह कहते हैं, "मुझे लगता है कि प्रतिक्रिया हमेशा सकारात्मक रहती है. साल दर साल सम्मान बढ़ रहा है.. लोग हमारी भाषा में अभिवादन करते हैं, जो हैरान करने वाली बात है."
हालांकि रिपोर्ट बताती है कि 10 में महज़ एक सिख ही आस्था की पहचान से जुड़े पांच ककार पहनते हैं. ये पांच ककार हैं केश, कंघा, कच्छ, कड़ा और कृपाण.
37 साल के तेजेंदर ऐसे ही सिखों में हैं, जो पांच ककार धारण नहीं करते.
वे कहते हैं, "जब मैं 17 साल का था, तब मैंने पगड़ी बांधनी शुरू करने का इरादा किया. तभी मुझे लगा कि मैं इसके लिए तैयार नहीं हूँ. फ़िलहाल मुझे लगता है कि सिख की तरह दिखने से पहले मुझे सिख होने की पात्रता हासिल करनी चाहिए."
ब्रिटेन में 23 जून को जनमत संग्रह होना है, जिसमें अभी काफ़ी समय है.
ब्रिटेन में राजनेताओं को जानकारी है कि सिख समुदाय या बड़े स्तर पर कहें तो एशियाई समुदाय के वोट अहम होंगे.
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