वो समय गया जब पांच साल का बच्चा स्कूल जाकर ककहरा सीखता था. अब दो-ढाई साल के बच्चे प्ले स्कूल जाकर बहुत कुछ सीख जाते हैं. यह पीढ़ी अपनी उम्र से ज्यादा तेज हैं. अगर उन्हें इस तरह पढ़ाया जा रहा है तो वो ये सब पढ़ भी रहे हैं, इसलिए इनको लेकर कोई तनाव मत लो. ये आज के हिसाब से बिलकुल फिट हैं.
शारदा देवी का जन्म दिवस भी धूमधाम से मनाया गया. राशि ने वंशिका और झरना को याद दिलाया कि अब मां जी का जन्मदिन भी हो चुका और अब वो अपनी पढ़ाई शुरू करें. दोनों ने कहा कि उन्हें याद है कि अब पढ़ना है. दोनों अपनी-अपनी किताबें लेकर आ गयीं. राशि ने दोनों का सिलेबस देखा और परीक्षा की तारीखें देखीं. 20 दिन बाद परीक्षा शुरू होनेवाली थी. पहले तो उसने सभी विषयों का पाठ्यक्र म देख कर उनसे सवाल पूछे, जिससे राशि को उनके सभी सब्जेक्ट की तैयारी के बारे में पता चल सके. फिर उसने सारे विषयों के लिए दिन निर्धारित किए. जिस विषय में वंशिका कमजोर थी, उसके लिए ज्यादा दिन रखे और जो विषय उसका तैयार था या जिसमें वो सहज महसूस करती थीं उनके लिए कम समय रखा.
राशि ने परीक्षाओं के बीच मिलनेवाले अंतराल का भी ध्यान रखा. जिसमें दो परीक्षाओं के बीच कम गैप था, उसकी तैयारी के लिए राशि ने ज्यादा दिन तय किये. इस तरह उसने प्रत्येक विषय के लिए दिन निर्धारित कर दिये. अब वंशिका को उसी के अनुरूप पढ़ना था. साथ ही राशि ने यह भी कहा कि वह जिस विषय को तैयार करवायेगी, उस विषय का टेस्ट वो चार दिन बाद लेगी. वंशिका ने कहा ये तो अनफेयर है. जिस-जिस विषय को हम तैयार करें तो आप उसका टेस्ट लेते रहिए. इस पर राशि ने कहा कि मैं चार दिन बाद टेस्ट इसलिए लूंगी, ताकि मैं जान सकूं कि दूसरा सब्जेक्ट पढ़ने के बाद तुम्हें पहले वाला विषय कितना याद है. अगर तुमने रटकर याद किया होगा तो सब दिमाग से निकल जायेगा और समझकर याद करोगी तो तुमसे मैं कभी भी, कोई भी प्रश्न पूछूं, तुम सही उत्तर दोगी.
इसलिए मैं तुम्हें समझाकर ही पढ़ाऊंगी. वैसे भी अगर तुमने अभी कोई विषय तैयार किया है और मैं इसी समय तुम्हारा टेस्ट लेती हूं तो तुम्हें सब याद होगा. असली परीक्षा तो तब है जब अचानक से तुमसे पूछा जाये. तब पता लगेगा कि तुम्हें वाकई याद है या नहीं. लेकिन मम्मा, एग्जाम में हमें रिवीजन के लिए समय मिलता है ना! वंशिका ने कहा. हां, लेकिन उसे बोनस समझो. मैं तो तुम्हें इसी तरह पढ़ा कर तुम्हारा एग्जाम लूंगी और तुम्हें बात माननी होगी, ताकि मैं जान सकूं कि तुम्हें बिना रिवीजन के कितना याद है और जब तुम रिवीजन करके परीक्षा दोगी तो बिल्कुल सही उत्तर लिख कर आओगी.
इसलिए कोई भी विषय तैयार करो तो एक हफ्ते बाद उसके उत्तर लिखो, तुम्हें अपने आप समझ आ जायेगा कि तुम्हें कितना याद है. इस सिस्टम से पढ़ोगी तो कभी भूलोगी नहीं. कुछ समझ आया? राशि ने पूछा. ठीक है समझ गयी. वंशिका ने कहा. उसने आगे कहा ये तो मेरी पढ़ाई की बात हुई. झरना को क्या पढ़ाओगी? इसके सिलेबस में तो कुछ खास है नहीं.
तुम्हें क्या पता सेकेंड स्टैंडर्ड में भी कितनी टफ पढ़ाई हो गयी है. उसको हिंदी और अंगरेजी दोनों विषय की ग्रामर पढ़ानी है. उसके एग्जाम में अनसीन पैसेज भी आयेगा, जिसकी तैयारी के लिए बहुत सारे पैसेज पढ़वा कर प्रैक्टिस करवानी होगी. तुम्हें शायद अपने सेकेंड स्टैंडर्ड के एग्जाम के बारे में याद नहीं है.
तुमने तो अनसीन पैसेज का केवल एक ही उत्तर सही दिया था, बाकी गलत हो गये थे. उसके साथ मैं कोई रिस्क नहीं लेना चाहती. साथ ही मैथ्स में जोड़-घटाव और गुणा-भाग सभी आयेंगे. उस पर सोशल साइंस. बहुत ज्यादा पढ़ाना है उसे और छोटे बच्चे को पढ़ना-समझाना बहुत मुश्किल होता है. राशि ने कहा. तभी माधुरी वहां आयी और बोली कि दीदी, यह तो बच्चों के साथ ज्यादती है.
इतनी-सी उम्र में बच्चा भला अनसीन पैसेज के जवाब खुद ढूंढ कर कैसे देगा? माधुरी, अब इस तरह की दलीलों से क्या बच्चों के प्रश्नपत्र आसान हो जायेंगे? हमारी मजबूरी है उन्हें इसी सिस्टम के तरह पढ़ाना. वर्ना बच्चे पीछे रह जायेंगे. हमने तो ग्रामर छठे क्लास से पढ़ी थी मगर आज समय बदल गया है और ये हमारे जमाने के नहीं, आज के समय के बच्चे हैं. वो समय गया जब पांच साल का बच्चा स्कूल जाकर ककहरा सीखता था. अब दो-ढाई साल के बच्चे प्ले स्कूल जाकर बहुत कुछ सीख जाते हैं. ये पीढ़ी अपनी उम्र से ज्यादा तेज और बुद्धिमान हैं. अगर उन्हें इस तरह पढ़ाया जा रहा है तो वो ये सब पढ़ भी रहे हैं, इसलिए इनको लेकर कोई तनाव मत लो. ये आज के हिसाब से बिलकुल फिट हैं. हमें ही इस मन:स्थिति में ढलकर उनका साथ देना होगा. वर्ना हम और हमारे बच्चे दोनों ही पीछे छूट जायेंगे, जो किसी भी तरह से हमारे और हमारे बच्चों के लिए ठीक नहीं होगा. राशि ने कहा.
वीना श्रीवास्तव
लेखिका व कवयित्री
इ-मेल: veena.rajshiv@gmail.com