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हमारे यहां अमरीका से ज़्यादा संयम है: जेटली

ब्रजेश उपाध्याय बीबीसी संवाददाता, वॉशिंगटन भारतीय वित्त मंत्री अरुण जेटली का कहना है कि भारत में किसी तरह की "इनटॉलरेंस" या असहिष्णुता नहीं है. उन्होंने कहा है कि भारत को तोड़ने की बात करने वालों के ख़िलाफ़ तीखी राजनीतिक प्रतिक्रिया स्वाभाविक है. अमरीका की यात्रा पर आए जेटली ने वॉशिंगटन में बीबीसी हिंदी से कहा […]

भारतीय वित्त मंत्री अरुण जेटली का कहना है कि भारत में किसी तरह की "इनटॉलरेंस" या असहिष्णुता नहीं है.

उन्होंने कहा है कि भारत को तोड़ने की बात करने वालों के ख़िलाफ़ तीखी राजनीतिक प्रतिक्रिया स्वाभाविक है.

अमरीका की यात्रा पर आए जेटली ने वॉशिंगटन में बीबीसी हिंदी से कहा कि मीडिया में इस तरह की ख़बरों से भारत में होने वाले विदेशी निवेश पर कोई असर नहीं पड़ा है.

वित्त मंत्री का कहना था कि उनकी सरकार का एजेंडा बिल्कुल नहीं बदला है.

ये पूछे जाने पर कि जो सरकार विकास के मुद्दे पर सत्ता में आई थी, वहां से अंतरराष्ट्रीय मीडिया में विकास की जगह कन्हैया की ख़बरें क्यों आ रही हैं, जेटली ने कहा, "कुछ विषय पत्रकारों को ज़्यादा समझ में आते हैं."

उनका कहना था, "ज़मीन पर कोई इंटॉलरेंस नहीं है. अगर अमरीका के राष्ट्रपति चुनाव के भाषण पढ़ लिए जाएं तो उसकी तुलना में हमारे यहां बहुत अधिक संयम है."

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जेटली का कहना था कि पूरी दुनिया में सबसे तेज़ी से भारत ही बढ़ रहा है. विदेशी निवेश अपने रिकॉर्ड ऊंचाई पर है. इससे साफ़ है कि सरकार का जो आर्थिक एजेंडा है, सबसे अधिक प्रभाव उसी का है.

उनका कहना था, "किन्हीं दो लोगों ने ग़ैर-ज़िम्मेदाराना बयान दे दिया, तो उससे देश का माहौल नहीं बनता, लेकिन समाचार पत्रों के लिए ख़बर बन जाती है."

उनका ये भी कहना था कि कुछ लोगों ने कुछ ऐसे उसूलों की बात की है जो भारत को तोड़ने की बात करते हैं,ऐसे में उनके ख़िलाफ़ तीखी राजनीतिक प्रतिक्रिया आनी स्वभाविक है.

उन्होंने कहा कि अमरीका में भारत के प्रति जो सोच है उसमें भारी बदलाव आया है. व्यापार के लिए जो परिस्थितियां बनाई जाती हैं उसमें काफ़ी तेज़ी से सुधार आया है.

लेकिन वॉशिंगटन में ये सवाल भी उठते रहे हैं कि सरकार राज्यसभा में बहुमत न होने की वजह से अपने सुधार कार्यक्रम या नए क़ानून लागू नहीं कर पा रही है. उसके पास कोई प्लान-बी नहीं दिख रहा है.

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इसके जवाब में जेटली का कहना था कि राज्यसभा का गणित बदलने जा रहा है.सरकार की तरफ़ से लाया गया एक अहम क़ानून गुड्स ऐंड सर्विसेज़ टैक्स (जीएसटी) वहां से पास होगा, इसका उन्हें पूरा विश्वास है.

अरुण जेटली का कहना था कि उन्होंने वॉशिंगटन में एच-1बी वीज़ा शुल्क बढ़ाए जाने का मामला भी उठाया है. उन्होंने इसे भारत के ख़िलाफ़ एक पक्षपातपूर्ण रवैया बताया.

उनका कहना था, "भारत के आईटी प्रोफ़ेशनल्स पूरी दुनिया में छाए हुए हैं. इनकी संख्या अधिक है, इस वजह से हमारे साथ भेदभाव हो ये उचित नहीं है."

पिछले साल अमरीकी कांग्रेस ने एच-1बी और एल-1 वीज़ा शुल्क को 4,500 डॉलर तक बढ़ा दिया, इन दोनों का इस्तेमाल भारतीय आईटी कंपनियां अधिक करती हैं.

अमरीकी अधिकारियों ने जेटली से कहा कि अमरीका का क़ानून उन्हें ऐसा करने की अनुमति देता है.

जेटली का कहना था, "हमने उनसे यही कहा कि जिस आधार पर वो दूसरे मुल्कों के साथ डील कर रहे हैं, भारत के साथ भी उसी आधार पर करें."

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प्रधानमंत्री मोदी ने किसानों से वादा किया था कि छह साल में उनकी आय दोगुनी कर देंगे. लेकिन अर्थशास्त्रियों का कहना है कि इसके लिए कृषि क्षेत्र की वर्तमान दो फ़ीसद की विकास दर को 14 फीसद पर ले जाना होगा. यह नामुमकिन सा लगता है.

इस सवाल के जवाब में जेटली का कहना था कि असली चुनौती टारगेट को बड़ा रखने में है. उन्होंने कहा, "दरवाज़ा बड़ा नहीं करोगे तो हाथी घर में नहीं घुसता."

उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में आधारभूत ढांचे में निवेश से, सिंचाई और बिजली में निवेश कर और खेती के अतिरिक्त ग्रामीण उद्योग, फ़ूड प्रोसेसिंग, पशुपालन, दूध पर आधारित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देकर किसानों की आय को बहुत बढ़ाया जा सकता है.

उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर को डबल-डिजिट पर ले जाना इसलिए मुश्किल लग रहा है क्योंकि दुनिया की अर्थव्यवस्था डांवाडोल है.

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उनका कहना था, "अगर मॉनसून बेहतर रहा और दुनिया के हालात बेहतर हुए तो साढ़े सात फ़ीसद की विकास दर को बढ़ाया जा सकता है."

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