ब्रिटेन, जर्मनी, फ़्रांस, इटली और स्पेन ने कहा है कि वो अपने यहां की कंपनियों का डेटा एकदूसरे से बांटेंगे.
दुनिया के प्रमुख वित्तीय संस्थानों ने इस फ़ैसले का स्वागत किया है.
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने कहा है कि इस क़दम से धन छिपाने की कोशिश पर कुछ लगाम लग सकती है.
मगर आलोचकों का कहना है ऐसे क़दम तभी कामयाब होंगे, जब अमरीका जैसी बड़ी अर्थव्यवस्था इसका हिस्सा होगी.