रामनवमी के दिन से शुक्रवार को दिल्ली सरकार वाहनों के लिए ऑड-ईवन योजना का दूसरा चरण शुरू कर रही है.
इस योजना की ख़ास बातें –
ऑड-ईवन फ़ॉर्मूला क्या है?
दिल्ली की सड़कों पर एक दिन ऑड और उसके अगले दिन ईवन नंबर की गाड़ियां चलेंगी. ऑड-ईवन का मतलब है गाड़ी की नंबरप्लेट का आख़िरी नंबर सम है या विषम.
मसलन 15 अप्रैल को ऑड नंबर वाली गाड़ियों को दिल्ली की सड़कों पर चलने की इजाज़त होगी और 16 अप्रैल को ईवन नंबर के वाहन चलेंगे.
दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण से निपटने के लिए यह योजना दूसरी बार 15 दिन के लिए चलाई गई है.
पिछली बार एक जनवरी से 15 जनवरी के बीच इसका पहला चरण लागू किया गया था.
सरकारी व्यवस्था
योजना के तहत कार से आने वाले लोग रोज़ गाड़ी नहीं ला सकेंगे. दिल्ली सरकार का दावा है मैट्रो ट्रेन के फेरे बढ़ा दिए गए हैं और राजधानी में अतिरिक्त बसें चलाई जाएंगी.
इसके लिए क़रीब 2000 ट्रैफ़िक कर्मचारी और साढ़े पांच सौ से ज़्यादा अधिकारियों की तैनाती की जा रही है. इनके साथ पांच हज़ार से ज़्यादा स्वयंसेवक भी दिल्ली की सड़कों पर तैनात होंगे.
दिल्ली के परिवहन मंत्री गोपाल राय का कहना है, "योजना को सही ढंग से लागू करने के लिए पूरे शहर को 11 ज़ोन में बांटा गया है. हर ज़ोन में दस सेक्टर होंगे. इसके अलावा हर सेक्टर में एक मोबाइल प्रवर्तन टीम लागू होगी."
योजना लागू करने वाली टीमों को दस बिंदुओं पर फ़ोकस करने को कहा गया है, जिनमें शहर के सभी अहम रेलवे स्टेशन, बस अड्डे, अस्पताल, स्कूल-कॉलेज, कारोबारी केंद्र, शहर की सीमाएं और भीड़भाड़ वाले इलाक़े शामिल किए हैं.
यातायात विभाग ने 200 ऐसे चौराहे छांटे हैं जहां कर्मचारी अपनी टीमों के साथ तैनात होंगे.
पिछले चरण में 4000 स्वयंसेवकों ने योजना को लागू करने में हिस्सा लिया था. इस बार उनकी तादाद पांच हज़ार से ज़्यादा रखी गई है. शहर में कुछ खास जगहों पर 10 सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं.
यह फ़ॉर्मूला दिल्ली में और दिल्ली के बाहर पंजीकृत सभी गाड़ियों पर ऑड-ईवन नंबर प्लेट वाला लागू होगा.
उल्लंघन करने पर सज़ा?
ट्रैफ़िक पुलिस, परिवहन विभाग और अधिकारी सड़क पर उतरेंगे और नियमों का उल्लंघन करने वालों का मोटर व्हीकल एक्ट के तहत 2000 रुपए का चालान काटा जाएगा.
किसे है छूट
योजना में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री की गाड़ियां शामिल नहीं हैं. सुप्रीम कोर्ट के सभी न्यायाधीश, लोकसभा स्पीकर और डिप्टी स्पीकर को छूट मिलेगी.
राज्यसभा के उपसभापति, लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष के नेता, केंद्रशासित प्रदेशों और सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को इसमें रियायत मिलेगी.
हाईकोर्ट के न्यायाधीशों और लोकायुक्त को इससे अलग रख गया है. अकेली महिला ड्राइवरों, महिला ड्राइवर के साथ 12 साल की उम्र वाले बच्चे गाड़ी में बैठे हों तो उन्हें भी छूट मिलेगी. आपातकालीन वाहन, एम्बुलेंस, फ़ायर, अस्पताल, जेल, एन्फ़ोर्समेंट वाहनों को इससे अलग रख गया है.
अर्धसैनिक बलों, रक्षा मंत्रालय और विशेष सुरक्षा समूह के वाहन भी ऑड-ईवन फ़ॉर्मूला में नहीं आएंगे.
राजनयिकों के वाहनों को भी इससे अलग रखा गया है. बीमारों को अस्पताल ले जाने के लिए इमरजेंसी वाहन इसमें शामिल नहीं हैं.
विकलांगों के वाहनों को भी ऑड-ईवन फ़ॉर्मूले से अलग रखा गया है.
सीएनजी से चलने वाली, इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड कारों को इसमें छूट होगी. दोपहिया वाहनों को भी इसमें शामिल नहीं किया गया है.
हर महीने का प्लान?
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का कहना है एक जनवरी से 15 जनवरी के बीच लागू हुए पहले चरण के दौरान शहर के प्रदूषण का स्तर ‘उतना नहीं गिरा जितने की उम्मीद थी.’
उनका कहना था कि पहले चरण के दौरान शहर की सड़कों पर ट्रैफ़िक घटाने में काफ़ी मदद मिली थी.
केजरीवाल के मुताबिक़ सरकार हर महीने 15 दिनों के लिए यह योजना लागू करने पर गंभीरता से विचार कर रही है.
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