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अच्छे संस्कार

एक स्कूल में क्लास टीचर ने एक दिन ढेरों टॉफियां मंगायीं. टॉफी को टेबल पर रखते हुए उन्होंने अपने छात्र-छात्रओं से कहा- यह सब तुम्हारे लिए ही मंगवाया है. मैं अभी लाइब्रेरी जा रही हूं. चाहती थी कि मैं अपने हाथों ही तुम्हें टॉफी देती, लेकिन अचानक जाना पड़ रहा है. मैं आधे घंटे में […]

एक स्कूल में क्लास टीचर ने एक दिन ढेरों टॉफियां मंगायीं. टॉफी को टेबल पर रखते हुए उन्होंने अपने छात्र-छात्रओं से कहा- यह सब तुम्हारे लिए ही मंगवाया है. मैं अभी लाइब्रेरी जा रही हूं. चाहती थी कि मैं अपने हाथों ही तुम्हें टॉफी देती, लेकिन अचानक जाना पड़ रहा है. मैं आधे घंटे में आ जाऊंगी. फिर भी, जो चाहे इन टॉफियों को उठा कर खा सकता है. कोई प्रतिबंध नहीं है. शिक्षिका चली गयी. कुछ छात्रों ने सोचा अच्छा मौका है, मिस नहीं है.

क्यों न टॉफियां खायीं जाये. उन्होंने टॉफी उठा कर खाना शुरू कर दिया. जबकि कुछ छात्रों ने सोचा, ‘नहीं, मिस की इच्छा थी कि वे अपने हाथों से हमें टॉफियां देतीं. क्यों न मिस के आने की प्रतीक्षा की जाये? फिर आधे घंटे में क्या फर्क पड़ता है? उन्होंने टॉफियां नहीं खायीं.

क्लास टीचर लौट कर आयीं और पूछाअरे अभी भी टॉफियां पड़ हैं, क्या तुमने नहीं खाया? जिन बच्चों ने खाया था तुरंत चिल्लाकर कहने लगेहमने खाया है मिस’. क्लास टीचर ने उन सभी बच्चों का नाम लिख कर रख लिया, जिन्होंने टॉफी खायी थी और जिन्होंने टॉफी नहीं खायी. 10 वर्ष बाद वे सारे छात्र अपनेअपने काम में लग गये. तब क्लास टीचर ने पता किया कि कौनकौन कहांकहां है?

पता चला कि जिन बच्चों ने टॉफियां नहीं खायी थीं- वे ऊंचे पदों पर पहुंच गये थे. जिन्होंने पहले ही टॉफियां खा ली थी वे सामान्य ओहदे पर ही थे. तो दोस्तो, यही है संस्कार का प्रभाव. इसे खुद में उतारना ही श्रेष्ठ संस्कार है. इसके बल पर ही जीवन में कुछ बड़ा हासिल किया जा सकता है.

रास्ते की रुकावट

विद्यार्थियों की एक टोली पढ़ने के लिए रोजाना अपने गांव से 6-7 मील दूर दूसरे गांव जाती थी. एक दिन जातेजाते अचानक विद्यार्थियों को लगा कि उन में एक विद्यार्थी कम है. ढूंढ़ने पर पता चला कि वह पीछे रह गया है. उसे एक विद्यार्थी ने पुकारातुम वहां क्या कर रहे हो? उस विद्यार्थी ने वहीं से उत्तर दियाठहरो, मैं अभी आता हूं. यह कह कर उस ने धरती में गड़े एक खूंटे को पकड़ा. जोर से हिलाया, उखाड़ा और एक ओर फेंक दिया फिर टोली में आ मिला.

उसके एक साथी ने पूछातुम ने वह खूंटा क्यों उखाड़ा? इसे तो किसी ने खेत की सीमा बताने के लिए गाड़ा था. इस पर विद्यार्थी बोलालेकिन वह बीच रास्ते में गड़ा हुआ था. चलने में रु कावट डालता था. जो खूंटा रास्ते की रुकावट बने, उस खूंटे को उखाड़ फेंकना चाहिए. वह विद्यार्थी और कोई नहीं, बल्किलौह पुरु ष सरदार वल्लभ भाई पटेल थे.

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