दक्षा वैदकर
एक बार एक सेल्समैन बहुत जरूरी मीटिंग के लिए घर से निकलने के पहले वह भगवान से प्रार्थना करता है कि हे भगवान आज मुझे मेरे सारे दुश्मनों से मिलवा दो. उसकी पत्नी पूछती है कि इतनी जरूरी मीटिंग के पहले यह कैसी ‘विश’ मांग रहे हो? सेल्समैन उसे कहता है कि कुछ नहीं. तुम नहीं समझोगी.
वह घर से बाहर निकलता है, तो सोसायटी का एक सदस्य उसे देखता है और ताना मारते हुए कहता है, ‘ये आ गये सोसायटी के सेक्रेटरी साहब. पता नहीं इसे क्यों सेक्रेटरी बना दिया गया. इसके न जूते साफ रहते हैं और न ही टाई ठीक तरह से बंधी होती है.’ वह उस आदमी को देख मुस्कुराता है और निकल जाता है. वह ऑफिस पहुंचता है, तो वहां उसका साथी कर्मचारी उसे देख मजाक उड़ाते हुए कहता है, ‘पता नहीं बॉस ने इसमें क्या देखा, जो इतनी जरूरी डील की मीटिंग इसे दे दी. इसके तो शरीर से ही कितनी बदबू आती है.’ वह सेल्समैन उसे भी देख मुस्कुराता है और कॉफी मशीन की तरफ बढ़ जाता है. वहां उसे अपना एक्स बॉस मिलता है.
वह उसे कहता है, ‘तुझे तो मैंने पहले ही कहा था कि डिपार्टमेंट चेंज मत कर, अब फंस गया न मीटिंग-डील के चक्कर में. फैक्ट्स तो तुझे याद होते नहीं, तू प्रेजेंटेशन क्या देगा?’ सेल्समैन उसे भी देख मुस्कुराता है और अपनी सीट पर आ कर बैठ जाता है. अब वह सारे दुश्मनों की बातें याद करता है और खुद में सुधार करता जाता है. वह अपने शूज अच्छे से साफ करता है. टाई ठीक से बांधता है. डियो खरीद कर लाता है और उसे लगाता है, ताकि उसके पास से बदबू न आये और फिर फैक्ट्स याद करने में जुट जाता है. पूरी तरह तैयारी के साथ वह मीटिंग में जाता है और बेस्ट प्रेजेंटेशन देता है. उसकी डील पक्की हो जाती है.
दोस्तों, हमारी जिंदगी में ऐसे कई लोग हमें मिलते हैं, जो हमें हतोत्साहित करते हैं, हमारी टांग खींचते हैं, हमें रोकते हैं. हमें उनसे परेशान होने की बजाय उनका फायदा उठाना चाहिए. क्योंकि, कई बार हमारे दुश्मन ही हमें ऐसी सीख दे जाते हैं, जो हमारे अपने हमें नहीं दे पाते.
daksha.vaidkar@prabhatkhabar.in
बात पते की..
– आपने वह कहावत तो सुनी ही होगी, ‘निंदक नियरे राखिए..’ जी हां. बुराई करनेवाले को हमेशा साथ रखें, ताकि खुद की गलती पता चले.
– लोगों का काम है बुराई करना, मजाक उड़ाना. यह आप पर निर्भर करता है कि आप उदास हो जाते हैं या उस बुराई से फायदा निकालते हैं.