गुजरात में पिछले 55 साल से शराब पर पाबंदी है लेकिन राज्य का एक भी कोना ऐसा नहीं जहां पीने वालों को शराब नहीं मिलती हो.
1960 में गुजरात और महाराष्ट्र जब अलग अलग राज्य बने तभी से गुजरात में शराब पर पाबंदी लागू है.
गुजरात में 60 हज़ार पुलिस बल और नशाबंदी विभाग के दो हज़ार सिपाही इस पाबंदी के अमल के लिए तैनात किए गए हैं. लेकिन सरकारी आंकड़े कुछ और ही कहते हैं.
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले पांच साल के दौरान राज्य में 2.46 अरब रुपए की अवैध अंग्रेजी शराब ज़ब्त की गई.
इसे देखते हुए आम लोगों का राज्य सरकार पर से भरोसा ख़त्म होता दिख रहा है. लेकिन अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने पिछले साल 82 करोड़ रुपए की शराब को नष्ट किया है.
उधर, आम नागरिकों ने निराश होकर अब ख़ुद ही शराब के अवैध ठेकों पर छापे मारने शुरू कर दिए हैं. इन छापों का नाम रखा गया है ‘जनता रेड’.
व्यसन मुक्ति आंदोलन चला रहे गुजरात ठाकोर सेना के नेता खोडाजी ठाकोर ने बीबीसी को बताया, “गुजरात के गांवों में देशी-विदेशी शराब के कारण हज़ारों युवकों की मौत हो रही है. हम सिर्फ सरकार के भरोसे नहीं बैठ सकते.”
खोडाजी ने कहा, “बीते 26 जनवरी को ठाकोर सेना ने गुजरात में व्यसन मुक्ति आंदोलन की शुरुआत की थी. इसके बाद से अब तक उत्तरी गुजरात के आठ सौ से अधिक गांवों में हमने जनता रेड किए और शराब के ठेकों को बंद करवाया.”
गांधीनगर रेंज के आईजी हसमुख पटेल ने बीबीसी को बताया कि हर ज़िले के पुलिस अधीक्षक को अपने इलाक़े के पचास गांवों को शराब मुक्त बनाने का लक्ष्य दिया गया है.
वे कहते हैं, “हमने जनता रेड करने वाले नेताओं से कहा है कि जहां भी शराब बिकती है, उसकी जानकारी आप पुलिस को दीजिए, क्योंकि जनता रेड की स्थिति में शराब के ठेकेदारों और आम लोगों के बीच संघर्ष हो सकता है. इससे क़ानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ सकती है.”
हालांकि पटेल ये भी मानते हैं कि शराब मुक्त गांव बनाने की दिशा में ज़्यादा कामयाबी नहीं मिली है.
कुछ ही दिनों पहले अहमदाबाद क्राइम ब्रांच ने राजस्थान में शराब का ठेका चलाने वाले और गुजरात में नियमित रूप से शराब भेजने वाले कैलाश राठी को गिरफ़्तार किया था.
राठी को गिरफ़्तार करने वाले सब-इंसपेक्टर तरल भट्ट ने बीबीसी से कहा, “राठी ने बताया था कि गुजरात में अवैध रूप से शराब भेजने के लिए उसने 27 ट्रक खरीदी थी. वह इन्हीं ट्रकों की मदद से शराब गुजरात भेजता था.”
अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि गुजरात में कितनी मात्रा में अवैध शराब आती होगी. नशाबंदी विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि अवैध शराब पकड़े जाने के बाद कोर्ट के आदेश अनुसार ‘हम मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में अवैध शराब को नष्ट कर देते हैं. खुली सड़क पर शराब को रखकर उस पर रोड रोलर घुमाया जाता है’.
इस अधिकारी के मुताबिक बीते साल 82 करोड़ रुपये की विदेशी शराब को नष्ट किया गया था.
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